Poem (कविता)

अनुशासन पर छोटी कविता – Short Poems on Discipline in Hindi – Poetry on Discipline

अनुशासन पर छोटी कविता

जीवन में अनुशासन बहुत जरुरी होता है बिना अनुशासन के हम अपने जीवन में सफलता हासिल नहीं कर सकते | जब हम कोई भी काम करते है तो उस काम को करने के लिए सबसे अधिक जरुरत हमें अनुशासन की पड़ती है क्योकि अगर हम उस काम को पुरे अनुशासनपूर्वक करते है तो निश्चित रूप से आप उस काम को सफलतापूर्वक कर सकते है | इसके लिए हम आपको अनुशासन के ऊपर कुछ बेहतरीन कविताएँ बताते है जिन कविताओं को पढ़ कर आप अनुशासन के बारे में जान सकते है |

विद्यार्थी और अनुशासन पर कविता

अगर आप अनुशासन पर नारे, अनुशासन पर दोहा, अनुशासन पर श्लोक, अनुशासन पर छोटी कहानी, विद्यार्थी और अनुशासन पर दोहे, अनुशासन के दोहे, अनुशासन पर विचार, विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध, अनुशासन और चींटी पर कविता के बारे में जानना चाहे तो यहाँ से जान सकते है :

अनुशासन बन्धन तँ उकरू लगैत अछि
आ स्वेच्छाचारिते स्वतन्त्रता बुझाइत अछि
नहि तँ, स्वतन्त्र देशकेर निवासीक हेतु
अनुशासन सहज ओकर स्वाभाविक धर्म थिकै
से जँ नहि बुझलक तँ भेल ओ स्वतन्त्रा कोना?
ताहि हेतु शासनकेँ अंकुश लगबय पडै़क
जकरा कनेको कर्त्तव्य बोध छैक अपन
तकरा लै निश्चय कलंकक ई बात थिकै
किन्तु की समाजकेँ कर्त्तव्यबोध छैक अपन
एहि जटिल प्रश्रक तँ उत्तर तकबाक होयत
से स्वेच्छाचारिता तँ सीमाकेँ टपने अछि
कोन क्षेत्र शेष जतय देखि नहि पड़ैत हो?
ज्ञान प्राप्ति हेतु पहिल सीढ़ी तँ श्रद्धाथिक
किन्तु आइ श्रद्धेसँ सबकेँ असर्द्धा छै
जखनहि जे जेठ भेल तखनहि से दूरि गेल
बूढ़ आ पुरान लोक बुद्धि सँ विहीन मुदा
काल्हुक जे जनमल से बुद्धिक बखारी अछि
टोकबै कनेको तँ चट दऽ मुँह दूसि लेत
कहि देत जाउ जाउ, अनका पड़तारिऔक
हम तँ अभिमन्यु थिकहुँ, गर्भेसँ चक्रव्यूह
भेदनकेर प्रक्रिया सिखनहि बहरयलहुँ अछि।
बेसी किछु बाजब तँ मानि लेत महादेव
बं बं बू कहि कऽ झट ठामहि ओंघड़ाय कहत
कयने छी आटाँकेँ गील आनि घरसँ तेँ
बिनु खुर पुजाइ लेने कलमे उठाउ किएक?

Poem on Importance of Discipline in Hindi

चल-चलकर चींटी ना थकती,
करती अनुशासन की भक्ति।
खुद से ज्यादा बोझ उठाकर,
आसमान को लक्ष्य बनाकर।
प्रति पल आगे बढ़ती जाती,
कर्मभाव हमको सिखलाती।
गजब दृढ़ आदर्श हैं उसके,
साथी कभी मार्ग ना भटके।
दृढ़ निश्चय कर वह बलखाती,
प्रेमभाव से पंक्ति बनाती।
प्रति पल आगे बढ़ाती जाती,
कर्मभाव हमको सिखलाती
लिखे निरंतर ऐसी गाथा,
ठोंक रहा था भूपति माथा।
सदा पराजय उसके हाथ,
मिला उसे चींटी का साथ।
दृढ़ निश्चय कर कदम बढ़ाया,
विजय स्वयं उसके कर आया।
यही मंत्र वह हमें बताती,
लक्ष्य निरंतर उसको भाती।
प्रति पल आगे बढ़ाती जाती,
कर्मभाव हमको सिखलाती।

विद्यार्थी और अनुशासन पर कविता

अनुशासन पर हास्य कविता

कोहरे मे लिपटे
वृक्ष /पहाड़ कितने हसीं लगते है
जेसे प्रकृति ने
चादर ओढ़ली हो
सुबह की ठण्ड से |
इन पर पड़ी ओंस की बूंदों से
खुल जाती है इनकी नींद
साथ ही सूरज के उदय होते
ऐसा लगता है मानों
घर का कोई बड़ा बुजुर्ग
अपने बच्चों को जेसे उठा रहा हो |
तब ऐसा महसूस होता है की
प्रकृति भी सिखाती है
सही तरीके से जीने के लिये
प्यार भरा अनुशासन |

Poem on Discipline in Students Life in Hindi

अगर आप poem on discipline in school in hindi, poems on discipline in students in hindi , poem on discipline in students life, short story on discipline in hindi, lines on discipline in hindi, self discipline in hindi, Hindi Poem on Disciplne, Poem on Self-discipline in life, Story on discipline in hindi , essay on discipline in student life in hindi, anushasan par shlok, anushasan thought in hindi के बारे में जानना चाहे तो यहाँ से जान सकते है :

वे आकाश की ओर प्रस्थान करने के बाद
सीधे पाताल का ही रुख करती हैं
दायाँ की मस्ती
बाएँ की तफरीह को एक तरफ छोड़
सीधाई या निचाई ही उन्हें भाती हैं
तभी तो पाँवों का अनुशासन हैं सीढियां
एक तल की सतह से हौले-हौले उठ
दूसरे तल में बेआवाज
जीवित तलाश की तरह पहुँचते हुए
चुपके से अपना कद निकालते हुए
एक किनारे से
खामोश अंधेरे को ले कर
दूसरे तल की चहकती रोशनी
से ताल-मेल मिलाकर
तीसरे माले में जा पहुँचती हैं
जहाँ एक गर्भवती तन्हा स्त्री
सूनी अवसादग्रस्त आँखों से किसी पदचाप की बाट जोह रही है
सीढ़िया,
यहाँ फिर एक तमीज़ बरतती हैं
और उम्मीद को अपने भीतर
जगह दे
बिना किसी आवाज़ के
ऊपर की ओर चल देती हैं

Short Poems on Discipline in Hindi - Poetry on Discipline

Poem on Self Discipline in Hindi

अनुशासन में बंधे हुए हैं,
ग्रह-उपग्रह और सब तारे,
अनुशासन की सीमा में हैं,
बंधे हुए जड़-चेतन सारे.
अगर समय से सूर्य न निकले,
दूर न होगा अंधियारा,
कैसे जीवन मिले जगत को,
कैसे हो फिर उजियारा!
अगर समय पर चांद न निकले,
शीतलता न मिलेगी,
चारु चंद्र की चंचल किरणें,
फिर कैसे सुख देंगी?
एक नियम से घूम रही है,
धरती प्यारी-प्यारी,
तभी टिके हम एक जगह पर,
टलती उलझन भारी.
वृक्षों से फल नीचे गिरते,
कभी न ऊपर जाते,
विद्या पाकर गुणी पुरुष हैं,
और नम्र हो जाते.
यह है अनुशासन की महिमा,
भुला इसे मत देना,
इससे शिक्षा लेकर अपना,
जन्म सफल कर लेना.

Poem for Discipline in Hindi

अगर आप किसी भी कक्षा जैसे Class 1, Class 2, Class 3, Class 4, Class 5, Class 6, Class 7, Class 8, Class 9, Class 10, Class 11, Class 12 के लिए अनुशासन की कविताएँ अन्य भाषाओ जैसे Hindi, Kannada, Malayalam, Marathi, Telugu, Urdu, Tamil, Gujarati, Punjabi, Nepali, English Language Font 120 Words, 140 Character के 3D HD Image, Wallpapers, Photos, Pictures, Pics Free Download के बारे में जानना चाहे तो यहाँ से जान सकते है :

स्वयं पर स्वयं का शासन
कहलाता है अनुशासन।
यह कोई पराधीनता नहीं
ना ही है कोई बंधन
यह है नियमों का अनुसरण
बनता है जिससे आदर्श जीवन।
अनुशासन चेतना का परिष्करण है
अनुशासन सिद्धांतों का अनुकरण है
अनुशासन सुसंस्कार है
सफल जीवन का यही आधार है।
अच्छे विद्यालय ही
अनुशासन के निर्माता है
सुसंस्कृत परिवार में ही बालक
अनुशासन पाता है।
अनुशासित विद्यार्थी
बढ़ाते हैं देश का मान
जो दिखाते हैं अनुशासनहीनता
नहीं पाते कहीं भी सम्मान।
समाज में बढती अव्यवस्था
अनुशासनहीनता का परिणाम है
नियमों को जो करते हैं दरकिनार
बुद्धिमान नहीं वे नादान है।
अनुशासन राष्ट्र हित में जरुरी है
ना सोचो कि यह कोई मजबूरी है
कर्तव्यों का पालन हमारी जिम्मेदारी है
अनुशासित रहना ही सच्ची समझदारी है।
अनुशासन सफलता की धुरी है
प्रशासन, स्कूल, समाज और परिवार
सबकी सफलता के लिए
अनुशासन जरुरी है।
अनुशासन परिवार, समाज और राष्ट्र की आवश्यकता है
बिना अनुशासन कोई भी आगे नहीं बढ़ सकता है
अनुशासन से ही समस्यायों का समाधान है
अनुशासन में ही विकसित होता ज्ञान है।
अनुशासन जीवन का प्राण है
सफलता के लिए अनुशासन रामबाण है
अनुशासन पशुता से ऊपर उठाता है
अनुशासन ही मानव को मानव बनाता है।

2 Comments

2 Comments

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Most Popular

    To Top
    pg slot