ज़ाकिर खान आज के बहुत प्रसिद्ध कॉमेडियन है जिनका जन्म 20 अगस्त 1987 में इंदौर मध्य प्रदेश में हुआ था ज़ाकिर खान एक शायर के रूप में अपनी प्रसिद्धि बटोरने में कामयाब हुए है | जाकिर खान ने बहुत ज्यादा शायरियां लिखी है जिन शायरियो के बारे में हम आपको बताते है जिनके बारे में जानकारी जानने के लिए आप हमारे माध्यम से इस पोस्ट को पढ़ सकते है और अपने दोस्तों के साथ शेयर भी कर सकते है |
Zakir Khan Shayari Titli
अगर आप qayamat lyrics, images, inspirational, rooh, masoom ladki, youtube Video, and poetry, written, Best zakir khan poetry in hindi, new zakir khan dialogue shunya, aag, zakir khan poetry in urdu के बारे में जानकारी के लिए यहाँ से जान सकते है :
वो तितली की तरह आयी और ज़िन्दगी को बाग कर गयी
मेरे जितने भी नापाक थे इरादे, उन्हें भी पाक कर गयी।
माना की तुमको भी इश्क़ का तजुर्बा कम् नहीं,
हमने भी तो बागो में है कई तितलियाँ उड़ाई…
ज़िन्दगी से कुछ ज्यादा नहीं बास इतनी सी फरमाइश है ,
अब तस्वीर से नहीं, तफ्सील से मिलने की ख्वाइश है…
Zakir Khan Shayari Lyrics in Hindi
कामयाबी, तेरे लिए हमने खुदको को कुछ यूँ तैयार कर लिया,
मैंने हर जज़्बात बाज़ार में रख कर इश्तेहार कर लिया…
यूँ तो भूले है हमे लोग कई पहले भी बोहोत से,
पर तुम जितना उनमे से कभी कोई याद नहीं आता…
तुझे खोने का खौफ जबसे निकला है बाहर,
तुझे पाने की जिद भी टिक न सकी दिल में…
Zakir Khan Shayari Shunya
इश्क़ को मासूम रहने दो , नोटबुक के आखरी पन्ने पर,
आप उससे किताबों में डाल के मुश्किल न कीजिये…
रफ़ीक़ों से रक़ीब अच्छे जो जल कर नाम लेते हैं
गुलों से ख़ार बेहतर हैं जो दामन थाम लेते हैं
कितनी पामाल उमंगों का है मदफ़न मत पूछ
वो तबस्सुम जो हक़ीक़त में फ़ुग़ाँ होता है
Zakir Khan Shayari Qayamat Lyrics
मार डाला मुस्कुरा कर नाज़ से
हाँ मिरी जाँ फिर उसी अंदाज़ से
मैं भी हैरान हूँ ऐ ‘दाग़’ कि ये बात है क्या
वादा वो करते हैं आता है तबस्सुम मुझ को
दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रिवायात ने दिल तोड़ दिया
Zakir Khan Shayari Jashn e Rekhta
ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
जा चुकी है बहार चुप हो जा
हम से पूछो न दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा
हम ने सुना था की दोस्त वफ़ा करते हैं “फ़राज़”
जब हम ने किया भरोसा तो रिवायत ही बदल गई
Zakir Khan Shayari Inspirational
अगर आप जाकिर खान शायरी क़यामत, जाकिर खान शायरी इन हिंदी, मैं शून्य पे सवार हूँ, मेरे कुछ सवाल है जो क़यामत, जाकिर खान पोएट्री, उसे अच्छा नहीं लगता, मेरे कुछ सवाल है जो सिर्फ क़यामत तथा जाकिर खान कविता के बारे में यहाँ से जान सकते है :
दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
आशिक़ी हो कि बंदगी ‘फ़ाख़िर’
बे-दिली से तो इब्तिदा न करो
भूली हुई सदा हूँ मुझे याद कीजिए
तुम से कहीं मिला हूँ मुझे याद कीजिए
Zakir Khan Shayari Masoom Ladki
कौन जाने कि इक तबस्सुम से
कितने मफ़्हूम-ए-ग़म निकलते हैं
देखने वालो तबस्सुम को करम मत समझो
उन्हें तो देखने वालों पे हँसी आती है
अब न आएँगे रूठने वाले
दीदा-ए-अश्क-बार चुप हो जा
Zakir Khan Shayari on Success
ऐ अदम के मुसाफ़िरो होशियार
राह में ज़िंदगी खड़ी होगी
दुश्मनों से क्या ग़रज़ दुश्मन हैं वो
दोस्तों को आज़मा कर देखिए
अपने आप के भी पीछे खड़ा हूँ मई ,
ज़िन्दगी , कितने धीरे चला हूँ मैं…
और मुझे जगाने जो और भी हसीं होकर आते थे ,
उन् ख़्वाबों को सच समझकर सोया रहा हूँ मैं….
Zakir Khan Shayari on Bewafai
अब वो आग नहीं रही, न शोलो जैसा दहकता हूँ,
रंग भी सब के जैसा है, सबसे ही तो महेकता हूँ…
एक आरसे से हूँ थामे कश्ती को भवर में,
तूफ़ान से भी ज्यादा साहिल से डरता हूँ…
बस का इंतज़ार करते हुए,
मेट्रो में खड़े खड़े
रिक्शा में बैठे हुए
गहरे शुन्य में क्या देखते रहते हो?
गुम्म सा चेहरा लिए क्या सोचते हो?
क्या खोया और क्या पाया का हिसाब नहीं लगा पाए न इस बार भी?
घर नहीं जा पाए न इस बार भी?
