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भगवान झूलेलाल की आरती – Jhulelal Aarti Lyrics in Hindi & Sindhi Free Download – ॐ जय दूलह देवा

भगवान झूलेलाल की आरती

झूलेलाल सिंधी धर्म के लोगो के उपास्य देव हैं इसीलिए इन्हे इष्ट देव माना जाता है कहा जाता है की सिंधीयो के मुश्किल समय में भगवान वरुण देव के इस अवतार ने धरती पर जन्म लिया और उन लोगो को मुश्किल से निकाला | इसीलिए सिंधी समाज इन्हे अपना भगवान मानता है इन्हे सिंध के इष्ट देव के नाम से भी जाना जाता है यह भगवान वरुण देव के अवतार थे इसीलिए हम सिंधी धर्म के लोगो द्वारा इन लोगो की पूजा अर्चना की जाती है जिसके लिए वह इनकी आरती गाकर इन्हे प्रसन्न करते है इसीलिए अगर आप श्री झूलेलाल की आरती जानना चाहते है तो यहाँ से जान सकते है |

झूलेलाल कौन थे ?

Wikipedia Ke अनुसार, झूलेलाल जी वरुण देव यानि जल देवता के अवतार है इसीलिए विद्वानों के अनुसार मिरखशाह नाम का एक सिंध का शासक था जो की बहुत बलवान था जिसकी वजह से वह अपनी प्रजा पर बहुत अधिक अत्याचार करता था | जिसकी वजह से सिंधी समाज के लोगो ने उस शासक के इस अत्याचारों से परेशां होकर 40 दिन तक कठिन तप किया जिसके बाद सिंधु नदी में से एक बहुत बड़े मत्स्य पर विराजमान भगवान झूलेलाल प्रकट हुए | तब उन्होंने कहा की आज से ठीक 40 दिन बाद में इस धरती पर जन्म लूंगा पर मिरखशाह के अत्याचारों से आप सभी को आज़ाद कराऊंगा |

चालीस दिन बाद चैत्र माह की द्वितीया का दिन था उसी दिन उस राज्य में एक उडेरोलाल नाम के एक बालक ने जन्म लिया उसके बाद उन्होंने कुछ समय के बाद उन्होंने अपनी प्रजा को मिरखशाह के अत्याचारों से मुक्त करवा दिया जिसकी वजह से सिंधी समाज के लोग उन्हें झूलेलाल, लालसांई नाम से पूजने लगे व इन्ही को मुस्लिम धर्म के लोग ख्वाजा खिज्र जिन्दह पीर के नाम से भी पूजते है |

Jhulelal Aarti Download – Image, Wallpaper, Photo, Picture

Jhulelal Aarti Lyrics in Hindi

Jhulelal Aarti In Hindi

Jhulelal Aarti MP3 Free Download Song, PDF, Lyrics, भजन, गाने : झूलेलाल जी की जयंती पर सिंधी समाज के लोग झूलेलाल जी के भजन गाकर उनकी इसी आरती को गाते है जिससे वह अपने इष्ट देव को प्रसन्न कर पाते है :

ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा।। ॐ जय…

तुहिंजे दर दे केई सजण अचनि सवाली।
दान वठन सभु दिलि सां कोन दिठुभ खाली।। ॐ जय…

अंधड़नि खे दिनव अखडियूँ – दुखियनि खे दारुं।
पाए मन जूं मुरादूं सेवक कनि थारू।। ॐ जय…

फल फूलमेवा सब्जिऊ पोखनि मंझि पचिन।।
तुहिजे महिर मयासा अन्न बि आपर अपार थियनी।। ॐ जय…

ज्योति जगे थी जगु में लाल तुहिंजी लाली।
अमरलाल अचु मूं वटी हे विश्व संदा वाली।। ॐ जय…

जगु जा जीव सभेई पाणिअ बिन प्यास।
जेठानंद आनंद कर, पूरन करियो आशा।। ॐ जय…

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