Shayari

दाग देहलवी की शायरी – Daagh Dehlvi Shayari in Hindi & Urdu – 2 Line Poerty & Best Ghazal

दाग देहलवी की शायरी

उर्दू के प्रसिद्द कवियों में से एक कवि दाग देहलवी जिनका वास्तविक नाम नवाब मिर्ज़ा खान दाग़ था उनका जन्म सन् 1831 में दिल्ली में तथा उनकी मृत्यु फालिज की वजह से सन् 1905 ई. में हुई थी | इन्होने जौक़ को अपना गुरु बनाया जिन्होंने इन्हे उर्दू भाषा की शिक्षा उच्च स्तर पर दी वहां से ही इन्होने कविताएँ करना प्रारम्भ कर दिया था | दाग़ देल्हवी जी ने अपने जीवनकाल में कई प्रकार की रचनाये की थी जिसमे से कुछ रचनाओं में से शेरो शायरियो के बारे में हम आपको बताते है जो की आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है जिसे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर भी कर सकते है |

Daag Dehlvi Shayari in Urdu

अगर आप दाग़ देहलवी की ग़ज़लें, daag dehlvi rekhta, daag dehlvi books pdf, daag e dehlvi, daag dehlvi kavita kosh, daagh dehlvi poetry facebook, daagh dehlvi biography in urdu, daagh dehlvi pdf, deewan e daagh dehlvi, kalam e daagh dehlvi, daagh dehlvi information in urdu, daagh dehlvi twitter के बारे में जानना चाहे तो यहाँ से जान सकते है :

उज़्र उन की ज़बान से निकला
तीर गोया कमान से निकला

छेड़ माशूक़ से कीजे तो ज़रा थम थम कर
रोज़ के नामा ओ पैग़ाम बुरे होते हैं

चाक हो पर्दा-ए-वहशत मुझे मंज़ूर नहीं
वर्ना ये हाथ गिरेबान से कुछ दूर नहीं

उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से
कभी गोया किसी में थी ही नहीं

उधर शर्म हाइल इधर ख़ौफ़ माने
न वो देखते हैं न हम देखते हैं

Daag Dehlvi Ki Shayari in Hindi

ग़श खा के ‘दाग़’ यार के क़दमों पे गिर पड़ा
बेहोश ने भी काम किया होशियार का

कहीं है ईद की शादी कहीं मातम है मक़्तल में
कोई क़ातिल से मिलता है कोई बिस्मिल से मिलता है

कल तक तो आश्ना थे मगर आज ग़ैर हो
दो दिन में ये मिज़ाज है आगे की ख़ैर हो

ख़बर सुन कर मिरे मरने की वो बोले रक़ीबों से
ख़ुदा बख़्शे बहुत सी ख़ूबियाँ थीं मरने वाले में

ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं

Daag Dehlvi Shayari in Hindi

Daagh Dehlvi Poetry in Urdu Collection

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया
झूटी क़सम से आप का ईमान तो गया

क्या क्या फ़रेब दिल को दिए इज़्तिराब में
उन की तरफ़ से आप लिखे ख़त जवाब में

क्या पूछते हो कौन है ये किस की है शोहरत
क्या तुम ने कभी ‘दाग़’ का दीवाँ नहीं देखा

क्या लुत्फ़-ए-दोस्ती कि नहीं लुत्फ़-ए-दुश्मनी
दुश्मन को भी जो देखिए पूरा कहाँ है अब

कोई छींटा पड़े तो ‘दाग़’ कलकत्ते चले जाएँ
अज़ीमाबाद में हम मुंतज़िर सावन के बैठे हैं

Shayari of Daag Dehlvi

क्यूँ वस्ल की शब हाथ लगाने नहीं देते
माशूक़ हो या कोई अमानत हो किसी की

क्या क्या फ़रेब दिल को दिए इज़्तिराब में
उन की तरफ़ से आप लिखे ख़त जवाब में

क्या इज़्तिराब-ए-शौक़ ने मुझ को ख़जिल किया
वो पूछते हैं कहिए इरादे कहाँ के हैं

ज़माने के क्या क्या सितम देखते हैं
हमीं जानते हैं जो हम देखते हैं

क़त्ल की सुन के ख़बर ईद मनाई मैं ने
आज जिस से मुझे मिलना था गले मिल आया

दाग देहलवी के शेर

अगर आप Images for Daagh Dehlvi Shayari in Hindi , Best Classical Sher of Urdu Poet Daagh Dehlvi, बंदगी से खुदा नहीं मिलता दाग़ देहलवी, दाग देहलवी के हिंदी शेर, Best And Famous Daagh Dehlvi, Shayari Collection Hindi News, Mirza Daag Dehlavi Ki Shayari के बारे में जानना चाहे तो यहाँ से जान सकते है :

कोई नाम-ओ-निशाँ पूछे तो ऐ क़ासिद बता देना
तख़ल्लुस ‘दाग़’ है वो आशिक़ों के दिल में रहते हैं

की तर्क-ए-मय तो माइल-ए-पिंदार हो गया
मैं तौबा कर के और गुनहगार हो गया

ख़ुदा की क़सम उस ने खाई जो आज
क़सम है ख़ुदा की मज़ा आ गया

ख़ार-ए-हसरत बयान से निकला
दिल का काँटा ज़बान से निकला

कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरी
लब पे रह जाती है आ आ के शिकायत मेरी

Daag Dehlvi Shayari in Urdu

दाग़ देहलवी उर्दू शायरी

ग़ज़ब किया तिरे वअ’दे पे ए’तिबार किया
तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया

इस वहम में वो ‘दाग़’ को मरने नहीं देते
माशूक़ न मिल जाए कहीं ज़ेर-ए-ज़मीं और

ग़म्ज़ा भी हो सफ़्फ़ाक निगाहें भी हों ख़ूँ-रेज़
तलवार के बाँधे से तो क़ातिल नहीं होता

चाह की चितवन में आँख उस की शरमाई हुई
ताड़ ली मज्लिस में सब ने सख़्त रुस्वाई हुई

उन की फ़रमाइश नई दिन रात है
और थोड़ी सी मिरी औक़ात है

Daagh Dehlvi 2 Line Poetry

आओ मिल जाओ कि ये वक़्त न पाओगे कभी
मैं भी हम-राह ज़माने के बदल जाऊँगा

अयादत को मिरी आ कर वो ये ताकीद करते हैं
तुझे हम मार डालेंगे नहीं तो जल्द अच्छा हो

अब तो बीमार-ए-मोहब्बत तेरे
क़ाबिल-ए-ग़ौर हुए जाते हैं

अभी आई भी नहीं कूचा-ए-दिलबर से सदा
खिल गई आज मिरे दिल की कली आप ही आप

आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद
बंदगी से ख़ुदा नहीं मिलता

2 Line Poerty

Daag Dehlvi Two Line Shayari

ऐ दाग़ अपनी वज़्अ’ हमेशा यही रही
कोई खिंचा खिंचे कोई हम से मिला मिले

आती है बात बात मुझे बार बार याद
कहता हूँ दौड़ दौड़ के क़ासिद से राह में

आप पछताएँ नहीं जौर से तौबा न करें
आप के सर की क़सम ‘दाग़’ का हाल अच्छा है

इक अदा मस्ताना सर से पाँव तक छाई हुई
उफ़ तिरी काफ़िर जवानी जोश पर आई हुई

इस नहीं का कोई इलाज नहीं
रोज़ कहते हैं आप आज नहीं

दाग़ देहलवी २ लाइन शायरी

उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं
बाइस-ए-तर्क-ए-मुलाक़ात बताते भी नहीं

उर्दू है जिस का नाम हमीं जानते हैं ‘दाग़’
हिन्दोस्ताँ में धूम हमारी ज़बाँ की है

इस लिए वस्ल से इंकार है हम जान गए
ये न समझे कोई क्या जल्द कहा मान गए

ईद है क़त्ल मिरा अहल-ए-तमाशा के लिए
सब गले मिलने लगे जब कि वो जल्लाद आया

इफ़्शा-ए-राज़-ए-इश्क़ में गो ज़िल्लतें हुईं
लेकिन उसे जता तो दिया जान तो गया

Daag Dehlvi Ghazals Lyrics

अयादत को मिरी आ कर वो ये ताकीद करते हैं
तुझे हम मार डालेंगे नहीं तो जल्द अच्छा हो

अर्ज़-ए-अहवाल को गिला समझे
क्या कहा मैं ने आप क्या समझे

इलाही क्यूँ नहीं उठती क़यामत माजरा क्या है
हमारे सामने पहलू में वो दुश्मन के बैठे हैं

और होंगे तिरी महफ़िल से उभरने वाले
हज़रत-ए-‘दाग़’ जहाँ बैठ गए बैठ गए

आप का ए’तिबार कौन करे
रोज़ का इंतिज़ार कौन करे

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
pg slot