Shayari

निदा फ़ाज़ली की शायरी – Nida Fazli Shayari in HIndi & Urdu – 2 Line Sher, Ghazal & Poetry

निदा फ़ाज़ली की शायरी

निदा फ़ाज़ली जी का पूरा नाम मुक़्तदा हसन निदा फ़ाज़ली था जो की एक प्रसिद्द हिंदी व उर्दू के शायर थे इनका जन्म १२ अक्टूबर १९३८ में तथा मृत्यु ०८ फ़रवरी २०१६ मुंबई में हुई थी | इनके पिता खुद हिंदी व उर्दू जगत के महान शायरों में से एक शायर थे जिसकी वजह से इन्हे भी शेरो शायरियो का ज्ञान हुआ और वह भी लिखने लगे | इसीलिए अगर आप निदा फ़ाज़ली जी द्वारा कुछ बेहतरीन शायरियां जानना चाहते है तो इसके लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी को पढ़ सकते है |

Nida Fazli Shayari on Life

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बहुत मुश्किल है बंजारा-मिज़ाजी
सलीक़ा चाहिए आवारगी में

ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को
बदलते वक़्त पे कुछ अपना इख़्तियार भी रख

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
हम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला

बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता

Nida Fazli Ki Shayari in Hindi

ख़ुश-हाल घर शरीफ़ तबीअत सभी का दोस्त
वो शख़्स था ज़ियादा मगर आदमी था कम

बृन्दाबन के कृष्ण कन्हय्या अल्लाह हू
बंसी राधा गीता गैय्या अल्लाह हू

रिश्तों का ए’तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं

अब किसी से भी शिकायत न रही
जाने किस किस से गिला था पहले

बृन्दाबन के कृष्ण कन्हैया अल्लाह हू
बंसी राधा गीता गय्या अल्लाह हू

Nida Fazli Sad Shayari

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किस से पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से
हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

अपने लहजे की हिफ़ाज़त कीजिए
शेर हो जाते हैं ना-मालूम भी

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो

Nida Fazli Shayari on Life

Nida Fazli Shayari Collection

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

दुनिया न जीत पाओ तो हारो न आप को
थोड़ी बहुत तो ज़ेहन में नाराज़गी रहे

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है
सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है

दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए

Nida Fazli Shayari on Father

एक बे-चेहरा सी उम्मीद है चेहरा चेहरा
जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला

दूर के चाँद को ढूँडो न किसी आँचल में
ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला

कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन
फिर इस के ब’अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर

फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा

Nida Fazli Shayari on Love

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई

जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया
बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया

ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है
जिस जगह रहिए वहाँ मिलते-मिलाते रहिए

मेरी ग़ुर्बत को शराफ़त का अभी नाम न दे
वक़्त बदला तो तिरी राय बदल जाएगी

Nida Fazli Shayari in HIndi

Nida Fazli Urdu Shayari

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कुछ लोग यूँही शहर में हम से भी ख़फ़ा हैं
हर एक से अपनी भी तबीअ’त नहीं मिलती

मुमकिन है सफ़र हो आसाँ अब साथ भी चल कर देखें
कुछ तुम भी बदल कर देखो कुछ हम भी बदल कर देखें

ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ दूर के साथी हैं
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है

मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं
जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन ज़ंजीरें हैं

कुछ तबीअ’त ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत न हुई
जिस को चाहा उसे अपना न सके जो मिला उस से मोहब्बत न हुई

Hindi Shayari Nida Fazli

नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए
इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया
होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया

पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं

उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा

तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए

Nida Fazli Shayari 2 Line

इस अँधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी
रात जंगल में कोई शम्अ जलाने से रही

ज़रूरी क्या हर इक महफ़िल में बैठें
तकल्लुफ़ की रवा-दारी से बचिए

उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला

हम भी किसी कमान से निकले थे तीर से
ये और बात है कि निशाने ख़ता हुए

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा

2 Line Sher, Ghazal & Poetry

Nida Fazli Romantic Shayari

हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नहीं ये ख़ामुशी क्या चीज़ है

बड़े बड़े ग़म खड़े हुए थे रस्ता रोके राहों में
छोटी छोटी ख़ुशियों से ही हम ने दिल को शाद किया

हमारा ‘मीर’-जी से मुत्तफ़िक़ होना है ना-मुम्किन
उठाना है जो पत्थर इश्क़ का तो हल्का भारी क्या

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना

Nida Fazli Inspirational Shayari

बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए

हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए
कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए

कहता है कोई कुछ तो समझता है कोई कुछ
लफ़्ज़ों से जुदा हो गए लफ़्ज़ों के मआनी

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे

Nida Fazli Sher O Shayari

हर जंगल की एक कहानी वो ही भेंट वही क़ुर्बानी
गूँगी बहरी सारी भेड़ें चरवाहों की जागीरें हैं

ख़तरे के निशानात अभी दूर हैं लेकिन
सैलाब किनारों पे मचलने तो लगे हैं

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है

बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे

मिरे बदन में खुले जंगलों की मिट्टी है
मुझे सँभाल के रखना बिखर न जाऊँ में

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