बैसाखी पर्व ज्यादातर हरियाणा व पंजाब में मनाया जाता है इस दिन ही किसान सर्दी को फसल को काटते है तथा नए साल की खुशियां मनाते है | यह त्यौहार सीखो द्वारा मनाया जाता है क्योकि इसी दिन 13 अप्रैल 1699 को सिख धर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी | यह त्यौहार सिख नववर्ष के नाम से भी मशहूर होता है क्योकि सीखो का नववर्ष इसी दिन से शुरू होता है इसीलिए बैसाखी के उपलक्ष्य में हम आपको कुछ बेहतरीन कविताये बताते है जिन्हे पढ़ कर आप अपने दोस्तों के साथ शेयर भी कर सकते है |
Kavita on baisakhi in hindi – Baisakhi Poem in Punjabi Language
जब बजे ढोल, नाचे कृषक
झूमी फसलें, उर में पुलक !
‘नब बर्ष’ हुआ बंगाल में जब
‘पुत्तांडु’ तमिल मनायें सब
केरल में है ‘पूरम विशु’
आसाम में ‘रंगाली बीहू’ !
गुरूद्वारों में रौनक छायी
तब प्यारी बैसाखी आयी !
धूम मचाती भाती हर मन
जन्म खालसा हुआ इसी दिन
अमृत छका पंच प्यारों ने
गुरुसाहब की याद दिलाने
भंगड़ा गिद्दा होड़ लगाते
घर बाहर रोशन हो जाते !
सब के मन पर मस्ती छायी
तब प्यारी बैसाखी आयी !
Kavita Baisakhi Par – बैसाखी की कविता
अगर आप बैसाखी के बारे में Hindi poem on Baisakhi Festival, बैसाखी पर कविताएं हिंदी कविता, lines on baisakhi in hindi, poem on baisakhi in english, baisakhi festival poem in english, hindi poem on tyohar, baisakhi slogan english, poem on holi in hindi for class 6 तथा hindi poetry on holi festival के बारे में यहाँ से जान सकते है :
(जलियाँवाला बाग की घटना बैसाखी को घटी थी,
बैसाखी वसंत से सम्बंधित महीनों (फाल्गुन और चैत्र)
के अगले दिन ही आती है)
यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,
काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।
कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से,
वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।
परिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,
हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।
ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना,
यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।
वायु चले, पर मंद चाल से उसे चलाना,
दुःख की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना।
कोकिल गावें, किन्तु राग रोने का गावें,
भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें।
लाना संग में पुष्प, न हों वे अधिक सजीले,
तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले।
किन्तु न तुम उपहार भाव आ कर दिखलाना,
स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना।
कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर,
कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर।
आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं,
अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं।
कुछ कलियाँ अधखिली यहाँ इसलिए चढ़ाना,
कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना।
तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर,
शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर।
यह सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना,
यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना।
Baisakhi Festival Poem in Hindi
रब्ब हर साल ईहोजी बैसाखी लिआवे
मेन्नू मीलिया मेरीआह मेले विच
रब्ब हर सल अहहोजी बसाखी लिआवे,
प्यार दि ज्योति दिल से जला जावइ
भाध्धी दीयाना ना मिला जावेइ
फिर खिलियाँ प्यार दी कलियान ve
मेन्नु ढेदियान साड़ी सखियां और भी
करण रब्ब दा शुकर दिल नाल मुख्य
मन्नु हृध्यया प्यार मील मेले विच
रब्ब हर सल अहहोजी बसाखी लिआवे
जितेई हर बिछाया प्यार मिल जावइ
Baisakhi Short Poems Punjabi Language
अगर आप बैसाखी पर्व की शायरी व Happy Baisakhi Wishes, बैसाखी kavita, बैसाखी पर्व kavita, kal baisakhi poem in bengali, baisakhi poem in bengali, baisakhi 2015 poem, baisakhi short poems, baisakhi festival poem के बारे में जानकारी यहाँ से जान सकते है :
बैसाखी का त्यौहार
देखो है आया बैसाखी का त्यौहार
चारों तरफ है छाई फसल की बहार
बल्ले बल्ले है आया बैसाखी का त्यौहार !
चलो मिलके डालें भंगड़ा यार
अब कटेंगी फसलें हमारी
अब होंगी खुशियाँ न्यारी
वाह वाह आया बैसाखी का त्यौहार !
आओ सब मनाएं ये खुश्वार।
Baisakhi Kavita in Punjabi Language – Baisakhi Kavita in Hindi
धरती के आंचल में
साजी है स्वारण रश्मिअन
खेतों में आज बिखरा है सोना
जिसरी देख कर मेहका
कृषक मन का कोना कोना
ची धाती ने सोलह सरंगेर
चमचमाती नयन बार बार
धनी चुनार में मोती सजी हेन
ढोल तासी और बाजी बाजे हेन
दिल की विना के झंखड़ हिन तहर
झूमे गाये हीन मैन बार बार
ह्यू एकखोन कुंजी सपेने सकर
फेर से जाजी उमिडेन हज़र
Vaisakhi Da Mela Poem in Punjabi
फसलां दी कटाई है
गिद्धा पा कुड़िये
बैसाखी आई है
मुंडिया तू गाके विखा
गिद्धा पावांगी
पहले तू भंगड़ा पा
भावें मैं हाँ लंगड़ा
डुल-डुल जावेंगी
ले,वेख मेरा भंगड़ा
मस्ती विच बस्ती है
वाह री बैसाखी
बस्ती विच मस्ती है
ठंडा – ठंडा जल हो
बैसाखी दा हर
सोहणा-सोहणा पल हो
हो चानण ही चानण
अज दे शुभ दिन ते
लोकी खुशियां मानण
नित-नित बैसाखी हो
देस बणे निरभय
लोकां दी राखी हो
Baisakhi Festival Poem in Punjabi
ढंद दे ला ला के चदर,
फुलन न्यू जद खादी खादी हैदी हैं,
हम वाइले हे बेस वासाखी अंदि है।
बदला ना चुम्दी,
हव्आ इचि जौल्दी सनहिरी फसल जड,
जाट न बूलादी है,
हम वाइले हे बेस वासाखी अंदि है।
भांगडे ते गिद्दे दी तूली रॉल के
जद्द पिंड इचि तामलका पौंडी है,
हम वाइले हे बेस वासाखी अंदि है।
मेरे पंजाब की मिट्टी जाद वी
मेन्यू वजा मार बुलंदी है,
हर दिन ही दिल इची इक नौवी बसाखी अंदि है !!!
