Poem (कविता)

भ्रष्टाचार पर कविता – Corruption Poem in Hindi Language – Corruption in India Short Poetry & Kavita

भ्रष्टाचार पर कविता

भ्रष्टाचार पर कविता इन हिंदी : सबसे अधिक भ्रष्टाचार की सूची में भारत का स्थान भी आता है क्योकि भारत में गरीबी होने का मुख्य कारण यह भी है की भारत में अधिक भ्रष्टाचार है | भ्रष्टाचार की समस्या हमारे इंडिया में बहुत बड़ी है इसको दूर करने में वर्षो का समय लग जायेगा इसीलिए कई महान कवियों द्वारा भ्रष्टाचार के ऊपर कविताये व पोएम लिखी है जिसके बारे में जानने के लिए आप हमारी इस पोस्ट को पढ़ सकते है और इसके बारे में अधिक जानकारी पा सकते है |

भ्रष्टाचार पर छोटी कविता

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अपने मन में अक्सर सोचा करता हूँ कई बार
अपने देश में ही क्यों फैला है इतना भ्रष्टाचार
नेता और अधिकारी सारे क्यों हैं मालामाल
मेहनतकश और मज़दूर देश का हो गया कंगाल
वीर सिपाही सीमा पर करता यही पुकार
अपने देश में ही क्यों फैला है इतना भ्रष्टाचार
अनेक धर्म हैं अनेक भाषा, फिर भी एक तिरंगा
हिन्दू और मुस्लिम के बीच में क्यों होता है दंगा
मैंने देखा इन्सानियत को बिकते बीच बाज़ार
अपने देश में ही क्यों फैला है इतना भ्रष्टाचार
ग्यारह बच्चे घर में हैं पर है जनगणना अधिकारी
औरों को शिक्षा देते कहाँ गई अकल तुम्हारी
झट से बोले सब ज़ायज, है यहाँ अपनी है सरकार
अपने देश में ही क्यों फैला है इतना भ्रष्टाचार
बचपन में पापा कहते थे ईश्वर भाग्य विधाता है
जन्म देने वाली माँ से बढ़कर अपनी भारत माता है
आज ईमानदार और सत्यवादी बहुत हो चुका लाचार
अपने देश में ही क्यों फैला है इतना भ्रष्टाचार
कभी तो मानव जागेगा लिए बैठा यही आस
करेगा सो भरेगा तू क्यों है बब्बर उदास
साई कहते इस जग में मतलब का व्यवहार
अपने देश में ही क्यों फैला है इतना भ्रष्टाचार

Poem Against Corruption in Hindi

व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है
मुनाफाखोरी की बीमारी लगी सभी को
महंगाई से जनता त्रस्त हो गई तभी तो
न्याय मिलने में देरी हो रही है
राष्ट्रिय संपत्ति चोरी हो रही है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है
सडको का हाल बेहाल है
दूर दूर तक न कोई अस्पताल है
सरकार आँखे मूंदे बैठी है
चोरो का अड्डा तो पुलिस चौकी है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है
नौकरशाही सब पे भारी है
हर एक को रिश्वतखोरी की बीमारी है
भ्रष्ट लोगो के खिलाफ जो आवाज़ उठाता है
बहुत जल्दी ही आवाज़ दबा दिया जाता है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है

भ्रष्टाचार पर हास्य कविता

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इस देश की है बीमारी, ये भूखे भ्रष्टाचारी.
जिस थाली में खाना खाते, ये छेद उसी में करते है
लात गरीब के पेट पे मार, घर अपना ये भरते है.
इस देश की है बीमारी, ये धनवान भिखारी.
ले हाथ कटोरा घर घर जाते, मौसम जो चुनावों का आता
अल्लाह के नाम पे दे-दे वोट, गाना इनको बस एक ही आता.
इस देश की है बीमारी, ये मूल्यों के व्यापारी.
नीलाम देश को कर दे ये, जो इनका बस चल जाये
भारत माँ को कर शर्मिंदा, ये उसकी कोख लजाये.
इस देश की है बीमारी, ये दानव अत्याचारी.
खून चूसकर जनता का, ये अपना राज चलाये
जो खाली रह गया इनका पेट, नरभक्षी भी बन जाये.
इस देश की है बीमारी, देखो इनकी गद्दारी.
गाय का चारा खाते ये, कोयले की कालिख लगाते ये
धरती माँ का सौदा कर, उसको भी नोच खाते ये.
इस देश की है बीमारी, ये भूखे भ्रष्टाचारी.

Corruption Poem in Hindi Language

Short Poem Against Corruption In Hindi

भ्रष्ट नेता और अफसरों ने सड़को का ऐसा किया है काम
बड़े बड़े गड्डे रहते है इसमें और लगा रहता है जाम
बिना काम किये पाए ये इनाम
जो इनके खिलाफ बोले करते ये उसे बदनाम
भ्रष्ट अफसरों और नेताओ पर अगर कसी जाये लगाम
पूरे भारत से हो जाये भ्रष्टाचार का काम तमाम
कोई न कर्मचारी फिर रहेगा बेलगाम
समय से पूरे होंगे सारे काम
पुकारे भारत का हर एक अवाम
भ्रष्टाचार का न रहे नामो निशान

भ्रष्टाचार निवारण पर कविता

भ्रष्टाचार की फैली महामारी है
हर एक को रिश्वत लेने या देने की बीमारी है
कब होगा भारत भ्रष्टाचार मुक्त
समय आ गया है जब सब हो जाये एकजुट
अब तो ऐसे भारत का निर्माण होगा
जिसमे भ्रष्टाचार का न नामोनिशान होगा
पहले व्यवस्था परिवर्तन लाना है
जनलोकपाल बिल पास कराना है
लोकपाल को सबके ऊपर बिठाना है
हर भ्रष्टाचारी को जेल के अंदर पहुचाना है
भ्रष्टाचारियो को मिलने लगेगी कड़ी सजा
फिर न देगा कोई किसी को दगा
इसलिए आओ हम सब मिलकर लगाये ये नारा
जन लोकपाल बिल पास हो हमारा

Small Poem On Corruption in Hindi

सत्ता का हमराज है
वह तो भ्रष्टाचार है
भीड़तंत्र के पन्नों में
उसका ही गुणगान है।
सांसद हो या विधायक
उसमें ही निर्लिप्त है
नित दिन उसका डंका बजता
उसका राग विशिष्ट है।
अपरिमित, अमिट प्रताप की
उसकी अजब कहानी है
अधिकारी हो या कर्मचारी
सब उसके आजारी हैं।
समाजवादी हो या गांधीवादी
सब देते उसे सलामी है
दुनिया के हर कोने में
वह निडर, निर्भीक स्वाभिमानी है
भ्रष्टाचार के यह सब रंग देख
बोले सब ऋषि ज्ञानी
जय हो तुम्हारी देव सदा
तुम तो हो हम पर भी भारी।

भ्रष्टाचार उन्मूलन पर कविता

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ये चिंता नहीं चिताएँ हैं .
देश में अनेक समस्याएँ हैं.
जिसका मुँह काला और कैरेक्टर है ढीला -ढाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला.
जिसने देश का निकाला दिवाला,
सिस्टम को हिला डाला,
छीना जिसने मुँह से निवाला,
ईमान की नीव हिला डाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला.
बर्थ या डेथ सर्टिफिकेट हो बनाना,
चलता नहीं कोई बहाना,
पड़ता है ज़्यादा कीमत चुकाना,
दफ्तर में चाहिए प्रमोशन या स्कूलों में एड्मिशन ,
तो देनी होगी डोनेशन.
अस्पताल हो या शमशान हर जगह लगती है कमीशन.
बैंको से चाहिए लोन या लगाना हो टेलीफोन,
बच सका है इससे कौन ?
खेलों में फिक्सिंग या रेलों में टिकटिंग,
हर जगह है सेटिंग.
एग्जामिनेशन हो या इलेक्शन,
हर तरफ है करप्शन.
डाला है इसने मजबूरी का फंदा,
जिससे परेशान है हर बन्दा,
जिसने जीवन में ज़हर घोल डाला,
इंसान की फिरत ही बदल डाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला .
जिसने समाज का बेड़ा गर्क कर डाला
हमीने उसे पला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल – बाला.

Long Poem On Corruption in Hindi

अगर भ्रष्टाचार को करना है ख़तम
तो लेनी होगी हम सबको ये कसम
की न रिश्वत लेंगे और न देंगे हम
मैंने तो ये ठानी है
रोकनी भ्रष्टाचारियो की मनमानी है
फिर बनने वाली एक कहानी है
इनको रोकते हुए जान तो मेरी जानी है
ये जानते हुए भी मै न रुकुंगा
भ्रष्टाचार को ख़त्म कर के रहूँगा
अब न मै कोई जुल्म सहूंगा
और न किसी को सहने दूंगा
इसके लिए हम सब को जागना पड़ेगा
रिश्वत देने की आदत को त्यागना पड़ेगा
सच्चा देशभक्त बनना पड़ेगा
हर बुराई से लड़ना पड़ेगा
तब जाके ख़त्म होगा ये भ्रष्टाचार
फिर न किसी पे होगा अत्याचार
आओ मिलकर करे पुकार
बंद करो ये भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टचार

भ्रष्टाचार पर हिंदी कविता

कालाधन अगर वापस आएगा
तो देश फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा
प्रगति की राह में बढ़ता चला जायेगा
महंगाई भी स्थिर हो जायेगा
सबको रोजगार भी मिल जायेगा
कालाधन अगर वापस आएगा
तो देश फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा
कही से भी न ऋण लेना होगा
किसी को न टैक्स देना होगा
आधारभूत संरचना होगी मजबूत
मिलेगा जो हमें धन अकूत
कालाधन अगर वापस आएगा
तो देश फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा
निर्यात फिर बढ़ने लगेगा
आयात भी घटने लगेगा
फिर न रहेगा कोई गरीब
हर हाथ को काम होगा नसीब
कालाधन अगर वापस आएगा
तो देश फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा
सड़के हमारी भी चमकेंगी
आईने की तरह झलकेंगी
भुखमरी से न होगी मौत
संसाधनों का होगा भरपूर उपयोग
कालाधन अगर वापस आएगा
तो देश फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा

भ्रष्टाचार पर एक कविता

ज़िन्दगी में एक लहर सी उठी है
कुछ नया करने का मन में ठनी है
कविता लिखने का ख्याल मन में आया है
पर दिमाग में हर तरफ अँधेरा छाया है
सोच रहा हु क्या लिखू ?
अपने या देश के बारे में कुछ कहू ?
देश हमेशा ही मुझसे बड़ा है
मन में बहुत से सवाल खड़ा है
महंगाई से जनता हो गई है त्रस्त
नेता और प्रशासन हो गए है पस्त
भ्रष्टाचार चारो ओर फैला है
हो रहा भारत माँ का आंचल मैला है
एक तरफ बेरोजगारी लोगो की जान ले रही है
दूसरी तरफ नेताओ और अफसरों के घर भंडार भरी पड़ी है
किसान कड़ी मेहनत के बाद जो कमाता है
मुनाफाखोर उससे दुगुना ले जाता है
मजदुर अपनी मजदूरी बढाने के लिए रो रहा है
क्योकि थोड़ी से पैसो से खर्च पूरा नहीं हो रहा है
लेकिन मालिक तो मज़े से सो रहा है

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