Maa Durga Par Kavita : हिन्दू धर्म में देवी पूजा को बहुत महत्व दिया जाता है यह धर्म बहुत प्राचीन धर्म है इस धर्म में कई करोडो देवी देवताओ की पूजा की जाती यही जिसमे की माता दुर्गा का भी अपना अलग महत्व है | माता दुर्गा की पूजा पुरे विधि विधान से की जाती है माता दुर्गा ने चैत्र नवरात्रो में ही महिषासुर का वध किया था इसीलिए नवरात्रो के शुभ मौके पर हम आपको कुछ महत्वपूर्ण माता दुर्गा की कविताओं के बारे में बताते है जो की आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है जिन्हे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर भी कर सकते है |
Maa Durga Poetry
यहां पर रखी मां हटानी नहीं थी
झूठी भक्ति उसकी दिखानी नहीं थी
चली आ रही शक्ति नवरात्रि में जब
जला ज्योति की अब मनाही नहीं थी
करे वंदना उसी दुर्गे की सदा जो
मनोकामना पूर्ण ढिलाई नहीं थी
चले जो सही राह पर अब हमेशा
उसी की चंडी से जुदाई नहीं थी
कपट, छल पले मन किसी के कभी तो
मृत्यु बाद कोई गवाही नहीं थी
सताया दुखी को किसी को धरा पर
कभी द्वार मां से सिधाई नहीं थी
चली मां दुखी सब जनों के हरन दुख
दया के बिना अब कमाई नहीं थी
भवानी दिवस नौ मनाओ खुशी से
बिना साधना के रिहाई नहीं थी
माँ दुर्गा कविता – Poem on Durga Maa
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सिंह की सवार बनकर
रंगों की फुहार बनकर
पुष्पों की बहार बनकर
सुहागन का श्रंगार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
खुशियाँ अपार बनकर
रिश्तों में प्यार बनकर
बच्चों का दुलार बनकर
समाज में संस्कार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
रसोई में प्रसाद बनकर
व्यापार में लाभ बनकर
घर में आशीर्वाद बनकर
मुँह मांगी मुराद बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
संसार में उजाला बनकर
अमृत रस का प्याला बनकर
पारिजात की माला बनकर
भूखों का निवाला बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी बनकर
चंद्रघंटा, कूष्माण्डा बनकर
स्कंदमाता, कात्यायनी बनकर
कालरात्रि, महागौरी बनकर
माता सिद्धिदात्री बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
तुम्हारे आने से नव-निधियां
स्वयं ही चली आएंगी
तुम्हारी दास बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
माँ दुर्गा की कविता
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां,
मन मेरे संताप भरा है, मैं कैसे मुस्काऊं मां।
कदम-कदम पर भरे हैं कांटे, ऊंची-नीची खाई है,
दुःखों की बेड़ी पड़ी पांव में, किस विधि चलकर आऊं मां।
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
सुख और दुःख के भंवरजाल में, फंसी हुई है मेरी नैया,
कभी डूबती, कभी उबरती, आज नहीं है कोई खिवैया।
छूट गई पतवार हाथ से, किस विधि पार लगाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
पाप-पुण्य के फेर में फंसा हूं, मैंने सुध-बुध खोई मां,
अंदर बैठी मेरी आत्मा, फूट-फूटकर रोई मां।
बोल भी अब तो फंसे गले में, आरती किस विधि गाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
पाप-पुण्य में भेद बता दे, धर्म-कर्म का ज्ञान दे,
मेरे अंदर तू बैठी है, इतना मुझको भान दे।
फिर से मुझमें शक्ति भर दे, फिर से मुझमें जान दे,
नवजात शिशु-सा गोद में खेलूं, फिर बालक बन जाऊं मां।
तू ही बता दे, किन शब्दों में, तुझको आज मनाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
दुर्गा पूजा कविता
नवरात्री में नवदुर्गा नव नव रूप धरे
हर रूप की अपनी महिमा
कुछ शब्द न कह पाएं
शैलपुत्री तुम प्रथम कहलाती
हिमराज की सुता कहलाती
द्वित्य ब्रह्म चारिणी हो तुम
दुखियों की दुखहारिणी हो तुम
चंद्र घटना तृतीय रूप है तेरा
दुष्ट प्रकम्पित होते सारा
कुश्मांड़ा तेरा रूप चतुर्थकम
उल्लास का देती नया सोपनं
पंचम स्कन्द माता कहलाती
कार्तिकेय के संग पूजी जाती
षष्टम कात्यायनी हो तुम
कात्यान ऋषि की सुता हो तुम
कालरात्रि तेरा सप्तम रूप है
दुष्टो का बेडा गर्क है
अष्टम में तुम महा गौरी
कुंदन सुमन सी कोमल नारी
नवम सिद्धि दात्री हो तुम
सुख समृद्धि और मोक्ष की माता हो तुम
Poems on Durga Puja in Hindi – Durga Puja Par Kavita
तू ही कर्म कराती मैय्या, तू ही भाग्य बनाती है,
सारी दुनिया तेरी महिमा, तू ही खेल रचाती है।
ब्रह्मा, विष्णु और सदाशिव, सब में तेरी शक्ति मां,
कभी तू गौरी, कभी कालिमा, नित नए रूप बनाती मां।
तू ही शक्ति, तू ही भक्ति, विद्या और अविद्या है,
राम भी तू, रावण भी तू ही, तू ही युद्ध रचाती है।
सूरज-चंदा तेरे सहारे, सप्तऋषि और सारे तारे,
सारी सृष्टि उधर घूमती, तू करती जिस ओर इशारे।
आग में बाग लगाती मैय्या, सागर पीती बन ज्वाला,
पूजा-पाठ की अग्नि तू ही, मधुशाला की तू हाला।
तूने जन्मा सारे जग को, तू ही गोद खिलाती है,
कालचक्र का घुमा के पहिया, वापस हमें बुलाती है।
सारी दुनिया तेरी महिमा, तू ही खेल रचाती है।
Poem on Durga in Hindi
सारे जग की माता हो तुम
सब की हो पालन हार
अतुलनीय रूप है तेरा
शक्ति तेरा है अपरम्पार
बसंत ऋतू का समागम हो गया है
चैत्र नवरात्री का आगमन हो गया है
शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है
आपके पदार्पण से कलियाँ खिल गयी है
चेहरे की उदासी को हसीं मिल गयी है
आश्रु से भरी आँखें सजल हो गयी है
दुखो के बेड़ियाँ जैसा सब नष्ट हो गयी है
शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है
Hindi Poems on Devi Durga
गूंज उठा जयकारा पृथ्वी और गगन से
भक्त वृन्द मगन हुए आपके दर्शन से
नूपुर और ढाक का संगीत गूंज रहा है
जन जन में आपका स्वररूप दिख रहा है
शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है
फुले पे बहार बांके कलियों की निखार बनके
रंगो का गुलाल बनके सिंह पे सवार होके
आजा मेरी माँ आजा
शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है
दुर्गा माता पर कविता
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
जय जननी, जय जन्मदायिनी।
विश्व वन्दिनी लोक पालिनी।
देवि पार्वती, शक्ति शालिनी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
परम पूजिता, महापुनीता।
जय दुर्गा, जगदम्बा माता।
जन्म मृत्यु भवसागर तरिणी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
सर्वरक्षिका, अन्नपूर्णा।
महामानिनी, महामयी मां।
ज्योतिरूपिणी, पथप्रदर्शिनी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
सिंहवाहिनी, शस्त्रधारिणी।
पापभंजिनी, मुक्तिकारिणी।
महिषासुरमर्दिनी, विजयिनी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
