होली का त्योहार होली का दहन के 1 दिन बाद मनाया जाता है होली को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके बारे में हम आपको बताते हैं जो कि हिंदू धर्म की पुराणों में लिखी हुई है | रंग से खेलने वाली होली से 1 दिन पहले हम होलिका दहन करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि होलिका दहन किस वजह से किया जाता है ? होलिका दहन का क्या कारण है ? अगर आप इसके बारे में जानकारी पाना चाहते हैं तो इसके लिए हम आपको होलिका दहन का इतिहास इसकी स्टोरी व कथा के बारे में आपको बताते हैं |
होलिका दहन का समय – होलिका दहन का शुभ मुहूर्त – होलिका दहन कब है
पूर्णिमा के दिन ही होलिका दहन किया जाता है इस दिन भद्रा कल के बाद ही होलिका दहन किया जाता है 1 मार्च 2018 को 8.57 मिनट पर पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी जिसमे की भद्रा काल शाम को 7.40 मिनट तक रहेगा | इसीलिए 1 मार्च को 7.40 मिनट के बाद भी अगले दिन सुबह 6.18 मिनट तक कभी भी आप होलिका दहन कर सकते है |
होलिका कौन थी
होलिका जी हिरण्यकश्यप की बेटी तथा प्रह्लाद की बुआ थी जिन्हे भगवान द्वारा यह वरदान प्राप्त हुआ था की वह आग में बैठने के बाद बह जलेगी नहीं और आग में बैठने के बाद भी जीवित रहेगी |
होलिका दहन की पूजा-विधि
होलिका दहन के लिए पूजा करने के लिए लोग महीनो भर से तैयारियां शुरू कर देते है इस दिन भगवान् विष्णु के भक्त उनके लिए व्रत भी रखते थे | इस दिन सभी लोग अपने घरो के पास लकड़ी, उपले का एक बड़ा ढेर लगाते है व शुभ मुहर्त में उसमे आग लगाते है | होलिका दहन करने से पहले पुरे विधि-विधान से इसकी पूजा की जाती है तथा भगवान् विष्णु का आह्वान किया जाता है उसके बाद सब लोग उस होलिका के चारो तरफ घूमके नाचते गाते है तथा बुराई पर अच्छे की जीत के लिए इस दिन को मनाते है अगले दिन रंगो व गुलालों से होली खेलने का प्रावधान किया जाता है |
होलिका दहन स्टोरी – होलिका की कहानी
महादानव हिरण कश्यप जो कि प्राचीन भारत का एक महादानव राजा था जो कि एक राक्षस की भांति दिखता था | उसके छोटे भाई को भगवान विष्णु ने मृत्यु दी थी जिसकी वजह से उसने अपने भाई की मृत्यु का बदला लेने के लिए भगवान विष्णु से प्रतिशोध किया | जिसके लिए उसने भगवान विष्णु के समान ताकत पाने के लिए सालों तक प्रार्थना की जिसके फलस्वरुप उसे वरदान प्राप्त हुआ – उसने मांगा कि उसे इस पृथ्वी पर कोई भी नहीं मार सके ना दिन में, ना रात में, ना घर में, ना बाहर, ना मानव, ना पशु, ना कोई अस्त्र, ना कोई शस्त्र जिसकी वजह से वह खुद को भगवान समझने लगा था |
प्रहलाद की कहानी
हिरण्यकश्यप के पुत्र का नाम प्रहलाद था जो कि भगवान विष्णु का एक परम भक्त था भगवान विष्णु के भक्त होने के कारणवश हिरणकश्यप भी उससे नफरत करने लगा था जिसकी वजह से उसने कई बार अपने पुत्र को समझाया भी कि वह भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दे लेकिन ऐसा नहीं हुआ | उसने कई बार अपने पुत्र को मारने की साजिश रखी लेकिन वह हर बार नाकाम रहा |
होलिका दहन की कथा
होलिका जोकि हिरण्यकश्यप की बहन थी उसे यह वरदान प्राप्त था कि उसे है आग में जलकर राख नहीं हो सकती | जिसकी वजह से हिरण कश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए होलिका को भेजा और कहा कि वह प्रह्लाद को गोदी में लेकर आग पर बैठ जाए | इस तरह से जब होलिका ने अपनी गोद में प्रहलाद को रखा और वह आग में बैठी तब भक्त प्रह्लाद ने भगवान विष्णु का आह्वान किया जिसकी वजह से भक्त प्रहलाद तो बच गया लेकिन होलिका जलकर राख हो गई | इसकी वजह से हम इस दिन को बुराई के नष्ट होने का प्रतीक मानते हैं | उसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण कश्यप का वध कर दिया था इसी वजह से होलिका दहन इसी कथा का एक हिस्सा माना जाता है जिसे पूरे भारतवर्ष में पूरे श्रद्धा के साथ मांगते हैं |
अगर आप holika dahan in hindi, होलिका दहन टाइम, holika dahan in english, holika dahan in bangalore, holika dahan hd wallpaper, Holi Shayari holika dahan 2016 in hindi, holika dahan in 2016, holika dahan in india, holika dahan in bihar, holika dahan 2016 kolkata, holika dahan 2016 time, holika dahan 2016 images, होलिका दहन मथुरा, होलिका दहन विशेष, होलिका दहन का मंत्र, होलिका दहन फोटो, holika dahan 2015 date, holika dahan ३गप, होलिका दहन संदेश, होलिका दहन का सच, holika dahan 2015 images, holika dahan 2013 sms in hindi, holika dahan in dubai, होलिका दहन कितने तारीख का है, होलिका दहन क्यों मनाया जाता है, होली और होलिका दहन, होलिका दहन के टोटके, होलिका दहन २०१८ डेट, होलिका के पति का नाम, हिरण्यकश्यप की कहानी के बारे में यहाँ से जान सकते है :
