जब भी उर्दू के शायर का नाम लिया जाता है उनमें से अनवर मसूद का नाम जरूर लिया जाएगा क्योंकि अनवर मसूद उर्दू के महान शायरों में से एक शायर थे | वह एक पाकिस्तानी शायर है जो कि उर्दू के अलावा पंजाबी, अरबी तथा फारसी की भाषाओं में भी अपनी रचनाएं लिखते हैं | इनका जन्म 8 नवंबर 1935 में पंजाब राज्य के गुजरात शहर में हुआ था जो हिस्सा अब पाकिस्तान में शामिल हो चुका है इसीलिए हम आपको पाकिस्तानी प्राप्ति अनवर मसूद द्वारा लिखी गई कुछ बेहतरीन शायरी के बारे में बताते हैं जिनके बारे में आते हैं साथ में दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं |
Shayari of Anwar Masood
अजीब लुत्फ़ था नादानियों के आलम में
समझ में आईं तो बातों का वो मज़ा भी गया
दोस्तो इंग्लिश ज़रूरी है हमारे वास्ते
फ़ेल होने को भी इक मज़मून होना चाहिए
डूबे हुए तारों पे मैं क्या अश्क बहाता
चढ़ते हुए सूरज से मिरी आँख लड़ी थी
Anwar Masood Shayari Dailymotion
दिल जो टूटेगा तो इक तरफ़ा चराग़ाँ होगा
कितने आईनों में वो शक्ल दिखाई देगी
‘अनवर’ उस ने न मैं ने छोड़ा है
अपने अपने ख़याल में रहना
‘अनवर’ मिरी नज़र को ये किस की नज़र लगी
गोभी का फूल मुझ को लगे है गुलाब का
Anwar Masood Punjabi Shayari
इस वक़्त वहाँ कौन धुआँ देखने जाए
अख़बार में पढ़ लेंगे कहाँ आग लगी थी
आइना देख ज़रा क्या मैं ग़लत कहता हूँ
तू ने ख़ुद से भी कोई बात छुपा रक्खी है
आस्तीनों की चमक ने हमें मारा ‘अनवर’
हम तो ख़ंजर को भी समझे यद-ए-बैज़ा होगा
Anwar Masood Ki Mazahiya Shayari
ऐ दिल-ए-नादाँ किसी का रूठना मत याद कर
आन टपकेगा कोई आँसू भी इस झगड़े के बीच
बे-हिर्स-ओ-ग़रज़ क़र्ज़ अदा कीजिए अपना
जिस तरह पुलिस करती है चालान वग़ैरा
दिल सुलगता है तिरे सर्द रवय्ये से मिरा
देख अब बर्फ़ ने क्या आग लगा रक्खी है
Urdu Shayari Anwar Masood
आँखें भी हैं रस्ता भी चराग़ों की ज़िया भी
सब कुछ है मगर कुछ भी सुझाई नहीं देता
आसमाँ अपने इरादों में मगन है लेकिन
आदमी अपने ख़यालात लिए फिरता है
हाँ मुझे उर्दू है पंजाबी से भी बढ़ कर अज़ीज़
शुक्र है ‘अनवर’ मिरी सोचें इलाक़ाई नहीं
Hindi Shayari Anwar Masood
जो हँसना हँसाना होता है
रोने को छुपाना होता है
जुदा होगी कसक दिल से न उस की
जुदा होते हुए अच्छा लगा था
उर्दू से हो क्यूँ बेज़ार इंग्लिश से क्यूँ इतना प्यार
छोड़ो भी ये रट्टा यार ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार
Anwar Masood Funny Shayri
नर्सरी का दाख़िला भी सरसरी मत जानिए
आप के बच्चे को अफ़लातून होना चाहिए
जाने किस रंग से रूठेगी तबीअत उस की
जाने किस ढंग से अब उस को मनाना होगा
इधर से लिया कुछ उधर से लिया
यूँही चल रहे हैं इदारे तिरे
Pakistani Shayari Anwar Masood
पलकों के सितारे भी उड़ा ले गई ‘अनवर’
वो दर्द की आँधी की सर-ए-शाम चली थी
हमें क़रीना-ए-रंजिश कहाँ मयस्सर है
हम अपने बस में जो होते तिरा गिला करते
रात आई है बलाओं से रिहाई देगी
अब न दीवार न ज़ंजीर दिखाई देगी
Funny Shayari Anwar Masood
मैं अपने दुश्मनों का किस क़दर मम्नून हूँ ‘अनवर’
कि उन के शर से क्या क्या ख़ैर के पहलू निकलते हैं
मैं ने ‘अनवर’ इस लिए बाँधी कलाई पर घड़ी
वक़्त पूछेंगे कई मज़दूर भी रस्ते के बीच
मस्जिद का ये माइक जो उठा लाए हो ऐ ‘अनवर’
क्या जानिए किस वक़्त अज़ाँ देने लगेगा
Shayari By Anwar Masood
नज़दीक की ऐनक से उसे कैसे मैं ढूँडूँ
जो दूर की ऐनक है कहीं दूर पड़ी है
सिर्फ़ मेहनत क्या है ‘अनवर’ कामयाबी के लिए
कोई ऊपर से भी टेलीफ़ोन होना चाहिए
वहाँ ज़ेर-ए-बहस आते ख़त-ओ-ख़ाल ओ ख़ू-ए-ख़ूबाँ
ग़म-ए-इश्क़ पर जो ‘अनवर’ कोई सेमिनार होता
Anwar Masood Poetry Shayari
सोचता हूँ कि बुझा दूँ मैं ये कमरे का दिया
अपने साए को भी क्यूँ साथ जगाऊँ अपने
साथ उस के कोई मंज़र कोई पस-ए-मंज़र न हो
इस तरह मैं चाहता हूँ उस को तन्हा देखना
