Essay (Nibandh)

वसंत ऋतु पर निबंध – Essay on Basant Ritu

वसंत_ऋतु-पर_निबंध

भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत (Himalaya Mountain) और दक्षिण (South) में उसके चरणों को सुशोभित करता हुआ सागर बहुत लुहावना (Captivating) है I वसंत ऋतु की प्राकृतिक महिमा निराली है I यहाँ एक के बाद अनेक ऋतुएँ भारत को अपनी शोभा प्रदान करती हैं। भारत में ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, हेमन्त ऋतु, शरद ऋतु, शिशिर ऋतु, आतीं है और वसंत ऋतु को इन सभी ऋतुओं में से सर्वश्रेष्ठ एवं ऋतुओं का राजा भी माना जाता है I

भारतीय कला, साहित्य, तथा संगीत में इसे महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और हम सभी ने बसंत ऋतु के विषय पर विद्यालय में कक्षा 8th और 10th में बहुत पढ़ा है तथा अख़बार, पुस्तक, और इस नए युग में हम इंटरनेट द्वारा Essay on Basant Ritu in Punjabi, Vasant Ritu Nibandh in Marathi, Short Essay on Rituraj Basant in Hindi , Festivals of ऋतुओं का राजा, Mera Priya Vasant ऋतु जैसे सभी विषयों से जुडी सभी प्रकार की Information Collect कर सकते है I

ऋतुराज बसंत पर निबंध

प्रस्तावना (Preface): भारत एक पर्व की भूमि है I जहाँ अलग-अलग राज्यों में अनेक पर्व विभिन्न प्रकार से मनाये जाते है, जिसमे से एक ऋतु बसंत ऋतु को भी पर्व के रूप में जाना जाता है और इस ऋतु को बसंत पंचमी पर्व के रूप में मानते हुए लोग बड़े ही उत्साह के साथ मानते है I

बसंत ऋतु की अवधि: भारत देश की छह ऋतुओं में से एक ऋतु बसंत ऋतु का नाम है, जो की फरवरी, मार्च एवं अप्रैल के बीच देश के अलग-अलग क्षेत्रों में एक अनोखे रूप से सौंदर्य बिखेरती हुई आती है। हिंदी महीनो के अनुसार ऐसा माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। यह ऋतु हिंदी कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन वर्ष का अंतिम और चैत्र पहला महीना निर्धारित है I

पौराणिक कथाओं के अनुसार:पौराणिक कथाओं के अनुसार शृष्टि के प्रारम्भ काल में भगवान् शिव और विष्णु की आज्ञा से ब्रम्हा जी ने मनुष्य योनि का सृजन किया किन्तु वह अपने द्वारा किये गए सृजन से संतुष्ट नहीं हुए उनेह लगा अभी कुछ कही कमी है और तब ब्रम्हा जी ने अपने कमंडल से जल लेकर पृथ्वी पर छिड़का और उस कारण पृथ्वी पर कम्पन शुरू हो गया फिर एक अद्भुत शक्ति के रूप में एक चतुर्भुजी सुन्दर स्त्री प्रकट हुई जिनके प्रथम हाथ में वीणा और द्वतीय हाथ वर मुद्रा में था तथा अन्य तृतीय और चतुर्थ हाथ में पुस्तक एवं माला थी और जब इन देवी ने अपनी वीणा का नाद छेड़ा तब सभी जीव-जन्तु एवं समस्त प्राणी वीणा के नाद के सुरों में मगन हो गयी और सुर और ज्ञान के कारण इन देवी को सरस्वती माँ के नाम से प्रख्यात किया भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण ने सरस्वती जी से प्रसन्न हो कर उनेह एक वरदान दिया कि आज से बसंत पंचमी के दिन आपकी भी पूजा होगी और इस कारण बसंत पंचमी के दिन सभी लोग पूजा और व्रत करके माँ सरस्वती जी से बुद्धि, विद्या और स्वर की मनोकामना करते है इस दिन बसंत पंचमी माँ सरस्वती जी के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है I पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बसंत को कामदेव का पुत्र कहा गया है। कवि देव ने वसंत ऋतु का वर्णन करते हुए कहा है कि रूप व सौंदर्य के देवता कामदेव के घर पुत्रोत्पत्ति का समाचार पाते ही प्रकृति झूम उठती है, पेड़ उसके लिए नव पल्लव का पालना डालते है, फूल वस्त्र पहनाते हैं पवन झुलाती है और कोयल उसे गीत सुनाकर बहलाती है भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है ऋतुओं में मैं वसंत हूँ। बसंत ऋतु में बसंत पंचमी, शिवरात्रि तथा होली नामक पर्व मनाए जाते हैं। हिंदी काव्यों में भी बसंत ऋतु का बहुत महत्व वर्णित है I

ऋतुओं का राजा बसंत का स्वागत : भारत की प्रसिद्धि का कारण ही प्राकृतिक सौन्दर्य है I भारत में फरवरी मार्च और अप्रैल के महीनों में सर्दियों के मौसम के बाद बसंत आता है। इस मौसम की सर्दियों तथा गर्मियों के मध्य मौसम के रूप में समाप्ति होती है। भारत में बसंत फरवरी के महीने से शुरू होकर और मई के प्रारम्भ तक समाप्त हो जाता है। भारत के कुछ हिस्सों में, लोग गर्म वातावरण के कारण इस मौसम का पूरी तरह से आनंद नहीं लेते हैं। तापमान बहुत सामान्य हो जाता है, सर्दियों की तरह बहुत अधिक ठंडा नहीं रहता है और पूरे बसंत के दौरान गर्मियों की तरह बहुत गर्म नहीं होता है किन्तु अंत में यह धीरे-धीरे गर्म होना शुरू हो जाता है। रात में, मौसम अधिक (Pleasant) और (Comfortable) हो जाता है। वसंत का मौसम बहुत प्रभावीशाली है; जब यह आता है तो यह प्रकृति में पेड़, घास, फूल, फसल, जानवर, इंसान और अन्य जीवित चीजों से लेकर सर्दियों के मौसम की लंबी नींद तक सब कुछ जगाता है। मनुष्य नए और हल्के कपड़े पहनते हैं, पेड़ नई हरी पत्तियों और शाखाओं से भरे होते हैं और फूल अधिक ताजा और रंगीन हो जाते हैं। हर जगह नए घास से भरे मैदान बन जाते हैं और इस प्रकार शृष्टि पूर्ण रूप से हरी भरी और सुन्दर दिखाई देती है।

बसंत ऋतू के फायदे : यह ऋतु पूरी शृष्टि को एक बहुत अच्छा वातावरण प्रदान करती है, यह प्रकृति एवं और सभी मनुष्यों तथा प्राणियों को एक सुखद, सुन्दर, खुशी भरा जीवन देने के साथ-साथ सभी जीवीय प्राणी, पशु, पक्षियों, मधुमक्खियों, तितलियों फूलों की कली स्वादिष्ट रस (फूलों का सार) चूसने का आनंद और चिड़िया, कोयल पत्तेदार डालियों पर बैठकर चहचातीं है आदि प्रकृति के इस मौसम के उपहार स्वरुप भेट करती है और सारी शृष्टि को पुनः सुसज्जित कर देती है जिसके कारण सभी मनुष्य इस ऋतु का लुप्त उठाते है I और खेतों में सरसों और भी विभिन्न प्रकार की फसलें पूर्ण रुप से तैयार हो जाती है I

बसंत ऋतु की हानियाँ : जैसे की सभी जानते है यह मौसम सर्दी और गर्मी के मध्य प्रारम्भ होता है तो इस बदलते हुए मौसम में अगर अपने स्वस्थ्य पर ध्यान ना दिया जाये तो बहुत सी बीमारियां जैसे की सामान्य झुकाम, खसरा, चेचक, चिकन पॉक्स आदि भी इस बदलती ऋतु के कारण हो सकती है I

बसंत ऋतु के प्रकृति पर प्रभाव :  जैसा की हम सब जानते है कि हमारे जीवन में ऋतुओं के बदलाब के साथ-साथ हम पर तो प्रभाव पड़ता ही है और साथ ही पूरी प्रकृति पर भी इसका बहुत ही बड़ा असर दिखता है यह ऋतु के आने पर पतझड़ के बाद जो बदलाव होता है वो बहुत ही आनंद दायक प्रतीत होता है इस ऋतु में सर्दी से राहत मिल ही जाती है और इस ऋतु के जाने के समय ग्रीष्म ऋतु का आगमन भी होता है I अतः यह ऋतु सारी प्रकृति को एक बार फिर से सुसज्जित कर सुंदरता और आनंद से भर जाती है पूरी प्रकृति में नवीन पुष्प, पत्तियों, और फल इत्यादि उपहार स्वरूप प्रदान करके एक नयी जान डाल देती है और यही इस ऋतु के प्रभाव है I जो कि सारी प्रकृति के लिए भी अत्यंत जरुरी है I

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