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10th Avatar of Vishnu – Ten Avatar of Lord Vishnu – भगवान श्रीहरि के दशावतार और उनकी प्रामाणिक कथाएं

भगवान विष्णु के दस अवतार

भगवान श्रीहरि के दशावतार और उनकी प्रामाणिक कथाएं : हिन्दू त्रिदेवों यानी कि तीन महा देवताओं (Deity) में से एक देव god विष्णु है। जिन्हे श्री हरी, परम विष्णु और नारायण आदि जैसे अनेको नामों से जाना जाता है। ब्रह्माण्ड के निर्माण के दौरान और वह ब्रह्माण्ड का निर्माण होने के उपरान्त वे ब्रह्माण्ड के विघटन तक ब्रह्माण्ड का संरक्षण करते है। भगवान् विष्णु जी के भागवत पुराण के अनुसार असंख्य अवतार (Incarnation) हुए है किन्तु Vishnu Ji Ke 10 Avatar ok naam को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है तथा विष्णु जी के दस अवतारों को ‘दशावतार’ भी कहा जाता है।

Bhagwan Vishnu ke 10 avatar ke naam का वर्णन गरुणपुराण, अग्निपुराण और भागवत पुराण में भी उल्लिखित है। आज हम आपको इस Article के माध्यम से भगवान विष्णु के 10 अवतार , Ram Kiske Avtar Hai और 10 Avatars of Lord Vishnu in Order के बारे में जानकारी प्रस्तुत कर रहे है और साथ ही हम आपको Name of 10 Avatars of Lord Vishnu तथा What Are The 10 Avatars of Lord Vishnu के बारे में भी बतायेगे।

आप Internet पर 24 Avatars of Lord Vishnu Images, Story of 10 Avatars of Lord Vishnu with pictures, को Search करके Download कर सकते है और विष्णु जी के Dashavatar in Marathi, in Telugu,in Hindi और in Tamil जैसी अन्य सभी भाषाओं में भी पढ़ सकते है।

श्री मद्भागवत में भी भगवान श्री कृष्ण जी के द्वारा यह श्लोक कहा गया है :-

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे॥

जिसका अर्थ इस प्रकार है  :-

अर्थात् जब-जब धर्म की हानि और अधर्म का उत्थान हो जाता है, तब-तब सज्जनों के परित्राण और दुष्टों के विनाश के लिए मैं विभिन्न युगों में (माया का आश्रय लेकर) उत्पन्न होता हूँ।

श्री विष्णु जी के 24 अवतार : प्रभु श्री हरि विष्णु जी के पुराणों व् ग्रंथों में उनके 24 अवतारों के बारे में बताया गया है। जिसमे से भगवान् विष्णु यह सभी 23 अवतार श्री सनकादि मुनि, वराह अवतार, नारद अवतार, नर-नारायण, कपिल मुनि, दत्तात्रेय अवतार, यज्ञ अवतार, भगवान ऋषभदेव, आदिराज पृथु, मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, Bhagwan धन्वन्तरि, मोहिनी अवतार, नृसिंह, वामन अवतार, हयग्रीव अवतार, श्रीहरि अवतार, परशुराम अवतार, महर्षि वेदव्यास, हंस अवतार, श्रीराम अवतार, श्रीकृष्ण अवतार और बुद्ध अवतार आदि को वह श्रिष्टि में धारण कर चुके है। ऐसा माना जाता है कि उनका 24 वा कल्कि अवतार के रूप में कलयुग में होगा तथा कलयुग का अन्त हो जायेगा और पुनः सतयुग का आरम्भ हो जायेगा। भगवान् विष्णु जी के 24 अवतारों में से उनके 10 अवतारों को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जिन्हे हम आपको एक सूचि के रूप में प्रस्तुत कर एवं उन अवतारों के बारे में बता रहे है।

भगवान श्रीहरि के दशावतार और उनकी प्रामाणिक कथाएं निम्नलिखित है :-

  • मत्स्य
  • कूर्म
  • वराह
  • नरसिंह
  • वामन
  • परशुराम
  • राम
  • कृष्ण
  • गौतम बुुद्ध
  • कल्कि

Vishnu ke 10 avatar ki Photo आपको नीचे वर्णन के साथ मिलेगी।

 

1. मत्स्य अवतार | Matsya (The Fish): पुराणों व् ग्रंथो में उल्लेखित कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु जी ने पूरी सृष्टि को जल मग्न होने तथा प्रलय के संकट से बचाने के लिए मत्स्य अवतार लिया था  कृतयुग में एक राजा सत्यव्रत थे। वह राजा सत्यव्रत एक दिन किसी नदी में स्नान करके उस नदी में जलांजलि दे रहे थे। जलांजलि के दौरान अचानक से उनकी अंजलि में एक छोटी सी मछली आ गयी। उन्होंने यह देखकर सोचा कि वह उस मछली को वापस से सागर में डाल देंगे किन्तु उस मछली ने राजा सत्यव्रत से कहा कि आप मुझको सागर में मत डालिएगा अन्यथा मुझे बड़ी मछलियां अपना ग्रास बना लेंगी। तब राजा सत्यव्रत ने उस मछली को अपने कमंडल में स्थान दे दिया। जब मछली और बड़ी हो गई तब राजा ने उस मछली को अपने सरोवर में स्थान दे दिया। फिर देखते ही देखते वह मछली और अधिक बड़ी हो गई तो राजा को ज्ञात हो गया कि यह कोई साधारण मछली नहीं है। तब राजा ने उस मछली से अपने वास्तविक रूप में आने के लिए प्रार्थना की। उस राजा की प्रार्थना सुनकर साक्षात चतुर्भुजधारी भगवान नारायण प्रकट हो गए और उस राजा से कहा कि यह मेरा मत्स्यावतार है। श्री नारायण ने सत्यव्रत से कहा कि सुनो राजा सत्यव्रत! आज से सात दिन के उपरान्त प्रलय होगी। इस प्रलय से बचने हेतु तुम एक विशाल नाव का निर्माण करो और तुम उस नाव में सप्त ऋषियों, बीजों व प्राणियों के सूक्ष्म शरीर तथा औषधियों को लेकर बैठ जाना और जब तुम्हारी यह विशाल नाव प्रलय के कारण डगमगाने लगेगी तब मैं मत्स्य रूप में तुम्हारी सहायता करूँगा। उस दौरान वासुकि नाग के माध्यम से नाव को मेरे सींग से बांध देना। मैं तुम्हें उस समय के दौरान प्रश्न पूछने पर उत्तर दूंगा, जिसके कारण मेरी महिमा जो कि परब्रह्म के नाम से विख्यात है, वह तुम्हारे ह्रदय में जन्म लेगी। अतः इस मत्स्यावतार दौरान श्री हरी विष्णु जी ने राजा सत्यव्रत को उपदेश भी दिया था जो कि मत्स्यपुराण कहलाता है।

मत्स्य अवतार

2. कूर्म अवतार | Kurma (The Tortoise): पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने एक विशाल कछुए का अवतार यानि कूर्म अवतार प्रथम महायुग में समुद्र मंथन के दौरान धारण किया था। विष्णु जी के इस कूर्म अवतार को कच्छप अवतार भी कहा जाता है। एक बार गुरु महर्षि दुर्वासा जी ने देवराज इन्द्र को किसी कारण श्राप दे दिया और इन्द्र देव को श्रीहीन कर दिया। इन्द्र देव श्राप के कारण जब इन्द्र भगवान विष्णु जी के पास पहुंचे तो श्री हरी ने देवराज इन्द्र को समुद्र मंथन करने को कहा। तब इन्द्र देव विष्णु जी के कहने पर देवताओं तथा असुर के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने को तैयार हो गए। समुद्र मंथन पूर्ण करने हेतु मंदराचल पर्वत को मधानी और नागराज वासुकि को नेती के रूप में प्रयोग किया। सभी दैत्यों एवं देवताओं ने अपने मतभेद को भुलाकर मंदराचल पर्वत को समुद्र मंथन के लिए उखाड़ लाये किन्तु वह उस मंदराचल पर्वत को समुद्र तक नहीं ले जा सके तब श्री हरी विष्णु ने उस पर्वत को समुद्र तक पहुंचने में उनकी मदद की फिर देवता और असुरों ने मंदराचल पर्वत एवं नागराज वासुकि की सहायता से समुन्द्र मंथन शुरू किया। किन्तु समुन्द्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत का कोई आधार न होने के कारण वह पर्वत समुन्द्र में नीचे जाने लगा तब विष्णु जी ने कूर्म अवतार धारणकर मंदराचल पर्वत का भार अपनी पीठ पर लेकर समुन्द्र मंथन को पूर्ण किया था।

कूर्म अवतार

3. वराह अवतार | Varaha (The Boar): पौराणिक कथानुसार वराह अवतार जब पृथ्वी को हिरण्याक्ष नामक राक्षस ने समुद्र के भीतर छुपा दिया था यह अवतार विष्णु जी ने पृथ्वी की रक्षा हेतु ब्रह्मा जी की नाक से प्रकट होकर धारण किया था। विष्णु जी के इस रूप को देख सभी देवी-देवताओं एवं सभी ऋषि-मुनियों श्री हरि के इस रूप की स्तुति की और उनसे प्राथना की। तब नारायण ने वराह का अवतार धारण कर वर्षों तक असुर हिरण्याक्ष से युद्ध करके दैत्य हिरण्याक्ष का वध कर दिया और अपनी थूथनी की मदद से उन्होंने पृथ्वी को पुन: जल से बहार लाकर ब्रह्माण्ड में स्थापित कर किया।

वराह अवतार

4. नरसिंह अवतार | Narasimha (The Man-Lion): पुराणों के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप अहंकार के कारण खुद को ईश्वर से अधिक शक्तिशाली मानने लगा था। उसने ब्रह्मा जी को कठोर तपस्या से प्रसन्न कर किसी भी (मनुष्य, पक्षी, पशु, और देवी -देवता, न रात में, न दिन में, न आकाश में, न धरती पर, न अस्त्र से तथा न ही शस्त्र से) ना मरने का वरदान प्राप्त कर लिया था। और उसके राज्य में जो भी विष्णु जी की पूजा करता वह उसको दंड देता था। उसका पुत्र प्रह्लाद भी बचपन से विष्णु जी की पूजा-अराधना करता था। जब यह बात हिरण्यकश्यप को ज्ञात हुई तो वह बहुत क्रोधित हो गया और अपने पुत्र को समझाने चला गया किन्तु पुत्र प्रह्लाद ने यह बात ना मानी तो उसे भी मृत्यु दंड दे दिया। लेकिन वह श्री हरि के चमत्कार से बच गया फिर उसने अपनी बहन होलिका जिसको आग से ना जलने का वरदान प्राप्त हुआ था तो होलिका पुत्र प्रह्लाद को लेकर जलती अग्नि में बैठ गयी। परन्तु प्रह्लाद हरि की कृपा से बच गया तथा होलिका उस अग्नि में जल गई। इसके बाद हिरण्यकश्यप स्वयं प्रह्लाद को मरने को तैयार हुआ तब वष्णु जी खम्बे में से नृसिंह अवतार में प्रकट हुए और उन्होंने प्रह्लाद की रक्षा कर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया।

नर्सिंगह अवतार

5. वामन अवतार | Vamana (The Dwarf): यह वामन अवतार भगवान विष्णु जी ने सत्ययुग में लिया था जो कि प्रह्लाद के पौत्र दैत्यराज बलि से सभी देवताओं की रक्षा हेतु एक बौने ब्राह्मण के रूप में लिया था जिसको वामन अवतार के नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु ने इस अवतार में प्रह्लाद के पौत्र दैत्यराज बलि से तीन पग धरती को दान के रूप में मांगी थी। उन्होंने एक पग में पूर्ण पृथ्वी तथा दूसरे पग में पूरे स्वर्ग को नाप दिया। और जब तीसरा पग के लिए कोई भी स्थान नहीं बचा तब उस समय दैत्यराज बलि ने उस ब्राह्मण रुपी भगवान वष्णु जी को तीसरा पग को अपने शीश पर रखने के लिए कहा। और दैत्यराज बलि के कथन अनुसार भगवान विष्णु ने अपने तीसरा पग को दैत्यराज बलि के सिर पर रख दिया और जिसके कारण दैत्यराज बलि सुतललोक के लिए चला गया। वामन अवतार के द्वारा भगवान विष्णु ने दैत्यराज बली को यह पाठ सीखा दिया कि अहंकार से जीवन में कभी भी कुछ प्राप्त नहीं होता है।

वामन अवतार

6. परशुराम अवतार | Parasurama (The Angry Man): ग्रंथानुसार भगवान विष्णु जी के सभी अवतारों में से एक अवतार परशुराम भी है ऋषि आपव के द्वारा राजा सहस्त्रबाहु को मिले श्राप के कारण श्री हरि नारायण ने भार्गव कुल के महर्षि जमदग्रि के यहाँ उनके पांचवें पुत्र के रूप में परशुराम अवतार लिया था। परशुराम जी ने सहस्त्रबाहु सहित सभी क्षत्रियों का नाश किया था।

परशुराम अवतार

7. राम अवतार | Lord Rama (The Perfect Man): राम अवतार यह अवतार त्रेतायुग में विष्णु जी ने राक्षस राज रावण का वध हेतु लिया था। रावण को भगवान शिव से अमृत प्राप्त था जो कि रावण ने अपनी नाभि में छुपा रखा था। भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से राम के रूप में जन्म लिया था। विष्णु जी ने राम अवतार में कई राक्षसों का वध किया था। साथ ही उन्होंने मनुष्य रूप में मर्यादा का पालन भी किया।

राम अवतार

8. कृष्ण अवतार | Lord Krishna (The Divine Statesman): कृष्ण अवतार यह अवतार भगवान विष्णु ने द्वापरयुग में श्रीकृष्ण के रूप अधर्मियों का नाश करने के लिए लिया था। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के यहाँ कारागार में हुआ था। श्रीकृष्ण की माता का नाम देवकी और उनके पिता का नाम वसुदेव था। भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया। वह महाभारत में युद्ध के दौरान अर्जुन के सारथि बने तथा उन्होंने संसार को भगवत गीता का ज्ञान भी दिया। श्रीकृष्ण जी ने धर्मराज युधिष्ठिर को राजा घोषित कर दिया और धर्म की स्थापना की।भगवान विष्णु के सभी अवतारों में से कृष्ण अवतार को सर्व श्रेष्ठ माना गया है।

कृष्ण अवतार

9. गौतम बुुद्ध अवतार | Buddha (Gautama Buddha): ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु का एक अवतार बौद्धधर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध को भी माना जाता है ग्रंथों में उल्लेखित है कि भगवान बुद्ध देव का जन्म गया के पास कीकट नामक स्थान पर हुआ था तथा गौतम बुुद्ध के पिता का नाम अजन बताया जाता है। जब राक्षस वैदिक आचरण तथा महायज्ञ के द्वारा अपनी शक्तियों को बढ़ाने लगे तब सभी देवता भगवान् विष्णु के पास पहुंचे तब विष्णु जी ने गौतम बुद्ध के रूप में अवतार लिया और सभी राक्षसों का यज्ञ रोककर देवताओं कि रक्षा की।

गौतम बुद्ध अवतार

10. कल्कि अवतार | Kalki (The Mighty Warrior): पुराणों के अनुसार पुराणों में वर्णित है कि भगवान विष्णु कलियुग के अंत में कल्कि रूप में कल्कि अवतार धारण करेगे। भगवान विष्णु के द्वारा सभी पापियों का अंत होगा और सभी मनुष्यों को दु:खों से मुक्त करेंगे। विष्णु जी का कल्कि अवतार सतयुग एवं कलियुग के संधिकाल में होगा। इस अवतार में श्री हरि नारायण 64 कलाओं से युक्त होंगे। ग्रंथो के अनुसार उत्तरप्रदेश के राज्य में मुरादाबाद जिले के शंभल नाम के स्थान पर तपस्वी ब्राह्मण विष्णुयशा के घर में भगवान कल्कि उनके पुत्र के रूप में जन्म लेगे और कल्कि देवदत्त नाम के अश्व की सवारी कर संसार से सभी पापियों का नाश कर पुन: धर्म की स्थापना करेंगे तथा फिर से सतयुग का आरम्भ हो जायेगा।

कल्कि अवतार

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