जैसा की हम सभी जानते है की पहले हमारा देश अंग्रेज़ो का ग़ुलाम था हमारे भारत देश पर ब्रिटिश शासन था और उनके शासन से हमें 15 अगस्त 1947 में आज़ादी मिली थी | भारत देश को आज़ादी दिलाने के लिए हमारे कई महान देशभक्तो ने अपनी जान कुर्बान की थी जिनको की हर 15 अगस्त के दिन याद किया जाता है | इसीलिए हमारे कुछ महान देशभक्त कवियों द्वारा देशभक्ति की कविताएं लिखी गयी है जिन कविताओं के बारे में जानने के लिए आप हमारे माध्यम से जान सकते है तथा अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते है |
Desh Bhakti Kavita in Hindi
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“होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफ़ाई रहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
मेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है
ज़्यादा की नहीं लालच हमको, थोड़े मे गुज़ारा होता है
बच्चों के लिये जो धरती माँ, सदियों से सभी कुछ सहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं, इन्सान को कम पहचानते हैं
ये पूरब है पूरबवाले, हर जान की कीमत जानते हैं
मिल जुल के रहो और प्यार करो, एक चीज़ यही जो रहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
जो जिससे मिला सिखा हमने, गैरों को भी अपनाया हमने
मतलब के लिये अन्धे होकर, रोटी को नही पूजा हमने
अब हम तो क्या सारी दुनिया, सारी दुनिया से कहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है.”
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
जिन्दगी का राज-चर्चा अपने क़त्ल का
मिट गया जब मिटने वाला
मुखम्मस-हैफ़ हम जिसपे कि तैयार थे मर जाने को
न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना
हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में सिर नवाऊँ
अरूज़े कामयाबी पर कभी तो हिन्दुस्तां होगा
भारत जननि तेरी जय हो विजय हो
ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो
बला से हमको लटकाए अगर सरकार फांसी से-तराना
देश की ख़ातिर मेरी दुनिया में यह ताबीर हो
दुनिया से गुलामी का मैं नाम मिटा दूंगा
आज़ादी-इलाही ख़ैर ! वो हरदम नई बेदाद करते हैं
देश हित पैदा हुये हैं देश पर मर जायेंगे
हरी भरी धरती हो
नीला आसमान रहे
फहराता तिरँगा,
चाँद तारों के समान रहे।
त्याग शूर वीरता
महानता का मंत्र है
मेरा यह देश
एक अभिनव गणतंत्र है
शांति अमन चैन रहे,
खुशहाली छाये
बच्चों को बूढों को
सबको हर्षाये
हम सबके चेहरो पर
फैली मुस्कान रहे
फहराता तिरँगा चाँद
तारों के समान रहे।
देशभक्ति बाल कविता
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी वह गुलिस्तां हमारा ॥
ग़ुर्बत में हों अगर हम रहता है दिल वतन में।
समझो वहीं हमें भी दिल हो जहाँ हमारा ॥
परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमां का।
वो संतरी हमारा वो पासवां हमारा ॥
गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियां।
गुलशन है जिसके दम से रश्के जिनां हमारा॥
ऐ आबे रोदे गंगा वह दिन है याद तुझको।
उतरा तेरे किनारे जब कारवां हमारा ॥
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा ॥
यूनान, मिस्र, रोमा सब मिट गए जहां से।
अब तक मगर है बाकी नामों निशां हमारा ॥
कुछ बात है कि हस्ती मिटती मिटाये।
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमां हमारा ॥
‘इक़बाल’ कोई महरम अपना नहीं जहां में।
मालूम क्या किसी को दर्दे निहां हमारा ॥
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलिसतां हमारा॥
देशभक्ति गीत कविता
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गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |
जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे ||
सभी मनाते पर्व देश का आज़ादी की वर्षगांठ है |
वक्त है बीता धीरे धीरे साल एक और साठ है ||
बहे पवन परचम फहराता याद जिलाता जीत रे |
गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |
जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे ||
जनता सोचे किंतु आज भी क्या वाकई आजाद हैं |
भूले मानस को दिलवाते नेता इसकी याद हैं ||
मंहगाई की मारी जनता भूल गई ये जीत रे |
गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |
जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे ||
हमने पाई थी आज़ादी लौट गए अँगरेज़ हैं |
किंतु पीडा बंटवारे की दिल में अब भी तेज़ है ||
भाई हमारा हुआ पड़ोसी भूले सारी प्रीत रे |
गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |
जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे ||
देशभक्ति पर कविता
यारा प्यारा मेरा देश,
सजा – संवारा मेरा देश॥
दुनिया जिस पर गर्व करे,
नयन सितारा मेरा देश॥
चांदी – सोना मेरा देश,
सफ़ल सलोना मेरा देश॥
सुख का कोना मेरा देश,
फूलों वाला मेरा देश॥
झुलों वाला मेरा देश,
गंगा यमुना की माला का मेरा देश॥
फूलोँ वाला मेरा देश
आगे जाए मेरा देश॥
नित नए मुस्काएं मेरा देश
इतिहासों में नाम लिखायें मेरा देश॥
देशभक्ति की कविताएँ
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वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
आ सके देश के काम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें जीवन, न रवानी है!
जो परवश होकर बहता है,
वह खून नहीं, पानी है!
उस दिन लोगों ने सही-सही
खून की कीमत पहचानी थी।
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में
मॉंगी उनसे कुरबानी थी।
बोले, “स्वतंत्रता की खातिर
बलिदान तुम्हें करना होगा।
तुम बहुत जी चुके जग में,
लेकिन आगे मरना होगा।
आज़ादी के चरणें में जो,
जयमाल चढ़ाई जाएगी।
वह सुनो, तुम्हारे शीशों के
फूलों से गूँथी जाएगी।
आजादी का संग्राम कहीं
पैसे पर खेला जाता है?
यह शीश कटाने का सौदा
नंगे सर झेला जाता है”
यूँ कहते-कहते वक्ता की
आंखों में खून उतर आया!
मुख रक्त-वर्ण हो दमक उठा
दमकी उनकी रक्तिम काया!
आजानु-बाहु ऊँची करके,
वे बोले, “रक्त मुझे देना।
इसके बदले भारत की
आज़ादी तुम मुझसे लेना।”
हो गई सभा में उथल-पुथल,
सीने में दिल न समाते थे।
स्वर इनकलाब के नारों के
कोसों तक छाए जाते थे।
“हम देंगे-देंगे खून”
शब्द बस यही सुनाई देते थे।
रण में जाने को युवक खड़े
तैयार दिखाई देते थे।
बोले सुभाष, “इस तरह नहीं,
बातों से मतलब सरता है।
लो, यह कागज़, है कौन यहॉं
आकर हस्ताक्षर करता है?
इसको भरनेवाले जन को
सर्वस्व-समर्पण काना है।
अपना तन-मन-धन-जन-जीवन
माता को अर्पण करना है।
पर यह साधारण पत्र नहीं,
आज़ादी का परवाना है।
इस पर तुमको अपने तन का
कुछ उज्जवल रक्त गिराना है!
वह आगे आए जिसके तन में
खून भारतीय बहता हो।
वह आगे आए जो अपने को
हिंदुस्तानी कहता हो!
वह आगे आए, जो इस पर
खूनी हस्ताक्षर करता हो!
मैं कफ़न बढ़ाता हूँ, आए
जो इसको हँसकर लेता हो!”
सारी जनता हुंकार उठी-
हम आते हैं, हम आते हैं!
माता के चरणों में यह लो,
हम अपना रक्त चढाते हैं!
साहस से बढ़े युबक उस दिन,
देखा, बढ़ते ही आते थे!
चाकू-छुरी कटारियों से,
वे अपना रक्त गिराते थे!
फिर उस रक्त की स्याही में,
वे अपनी कलम डुबाते थे!
आज़ादी के परवाने पर
हस्ताक्षर करते जाते थे!
उस दिन तारों ने देखा था
हिंदुस्तानी विश्वास नया।
जब लिक्खा महा रणवीरों ने
ख़ूँ से अपना इतिहास नया।
देशभक्ति पर आधारित कविता
बच्चे, बूढे,जवान
खून से लथपथ
अनगिनत लाशों का ढेर
इस हृदय विदारक वारदात की
कहानी कह रहा है
ओह!
यह कैसी आजा़दी है
जो घोल रही है
मेरे और तुम्हारे बीच
खौ़फ, आग और विष का धुआँ?
हमारे होठों पे थिरकती हंसी को
समेटकर
दुबक गई है
किसी देशद्रोही की जेब में
और हम
चुपचाप देख रहे हैं
अपने सपनों को
अपने महलों को
अपनी आकांक्षाओं को
बारूद में जलकर
राख़ में बदलते हुए.
Patriotic Poem in Hindi for Independence Day
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क्या यह जरूरी है कि मेरे हाथों में
अनाज या सोने या परिधानों के महंगे उपहार हों?
ओ ! मैंने पूर्व और पश्चिम की दिशाएं छानी हैं
मेरे शरीर पर अमूल्य आभूषण रहे हैं
और इनसे मेरे टूटे गर्भ से अनेक बच्चों ने जन्म लिया है
कर्तव्य के मार्ग पर और सर्वनाश की छाया में
ये कब्रों में लगे मोतियों जैसे जमा हो गए।
वे पर्शियन तरंगों पर सोए हुए मौन हैं,
वे मिश्र की रेत पर फैले शंखों जैसे हैं,
वे पीले धनुष और बहादुर टूटे हाथों के साथ हैं
वे अचानक पैदा हो गए फूलों जैसे खिले हैं
वे फ्रांस के रक्त रंजित दलदलों में फंसे हैं
क्या मेरे आंसुओं के दर्द को तुम माप सकते हो
या मेरी घड़ी की दिशा को समझ करते हो
या मेरे हृदय की टूटन में शामिल गर्व को देख सकते हो
और उस आशा को, जो प्रार्थना की वेदना में शामिल है?
और मुझे दिखाई देने वाले दूरदराज के उदास भव्य दृश्य को
जो विजय के क्षति ग्रस्त लाल पर्दों पर लिखे हैं?
जब घृणा का आतंक और नाद समाप्त होगा
और जीवन शांति की धुरी पर एक नए रूप में चल पड़ेगा,
और तुम्हारा प्यार यादगार भरे धन्यवाद देगा,
उन कॉमरेड को जो बहादुरी से संघर्ष करते रहे,
मेरे शहीद बेटों के खून को याद रखना!
देशभक्ति से संबंधित कविताएँ
“मन जहां डर से परे है
और सिर जहां ऊंचा है;
ज्ञान जहां मुक्*त है;
और जहां दुनिया को
संकीर्ण घरेलू दीवारों से
छोटे छोटे टुकड़ों में बांटा नहीं गया है;
जहां शब्*द सच की गहराइयों से निकलते हैं;
जहां थकी हुई प्रयासरत बांहें
त्रुटि हीनता की तलाश में हैं;
जहां कारण की स्*पष्*ट धारा है
जो सुनसान रेतीले मृत आदत के
वीराने में अपना रास्*ता खो नहीं चुकी है;
जहां मन हमेशा व्*यापक होते विचार और सक्रियता में
तुम्*हारे जरिए आगे चलता है
और आजादी के स्*वर्ग में पहुंच जाता है
ओ पिता
मेरे देश को जागृत बनाओ”
देशभक्ति कविता भगत सिंह पर
अगर आप किसी भी कक्षा जैसे Class 1, Class 2, Class 3, Class 4, Class 5, Class 6, Class 7, Class 8, Class 9, Class 10, Class 11, Class 12 के लिए अन्य भाषाओ जैसे Hindi, Kannada, Malayalam, Marathi, Telugu, Urdu, Tamil, Gujarati, Punjabi, Nepali, English Language Font 120 Words, 140 Character के 3D HD Image, Wallpapers, Photos, Pictures, Pics Free Download के बारे में जानना चाहे तो यहाँ से जान सकते है :
“तिरंगा” शान से लहराता,
शुभाशीष दे भारतमाता,
जोश से सीने लगे है फूलने,
कदम लगे है आगे चलने,
अपनों से ले रहे बिदाई,
माँ की छाती है भर आई,
शहीद हो पर ना पीठ दिखाना,
भारत माँ की लाज बचाना,
हुक्म यहाँ की माँ है करती,
बेटे की कुर्बानी से नहीं डरती,
दोनों ही करते है कुर्बान,
माँ ममता को,जान को जवान,
इसीलिए तो है “मेरा भारत महान”
सबका प्यारा हिन्दुस्थान……
हिन्दी में देशभक्ति कविता
अरूजे कामयाबी पर कभी तो हिन्दुस्तां होगा ।
रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियां होगा ।।
चखायेगे मजा बरबादिये गुलशन का गुलची को ।
बहार आयेगी उस दिन जब कि अपना बागवां होगा ।।
वतन की आबरू का पास देखें कौन करता है ।
सुना है आज मकतल में हमारा इम्तहां होगा ।।
जुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दें वतन हरगिज ।
न जाने बाद मुर्दन मैं कहां.. और तू कहां होगा ।।
यह आये दिन को छेड़ अच्छी नहीं ऐ खंजरे कातिल !
बता कब फैसला उनके हमारे दरमियां होगा ।।
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेगें हर बरस मेले ।
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा ।।
इलाही वह भी दिन होगा जब अपना राज्य देखेंगे ।
जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा ।।
