Essay (Nibandh)

पोंगल पर निबंध | Pongal Essay in Hindi And Tamil

Pongal Essay in Hindi

भारतवर्ष के उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक विभिन्न प्रकार की संस्कृति ,रीति – रिवाज, धर्म और जाति देखने को मिलती है । यहाँ प्रत्येक राज्य के अपने अलग – अलग भाषाएँ और त्योहार है जिन्हे लोग बड़ी धूम-धाम से मनाते है । इस त्यौहारों में से एक है पोंगल का त्यौहार । पोंगल तमिलनाडु राज्य का पर्व है । ये पर्व यहाँ के किसानों और उनकी फसलों से जुड़ा एक बहुत ही बढ़ा पर्व है जिसे मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है । इस उत्सव का संबंध धान की फसल की अच्छी पैदावार होने से होता है ।

आप सब को पोंगल की शुभकामना|

पोंगल पर निबंध

आज हम यहाँ इसी उत्सव पर लिखे गए कुछ निबंध पड़ेंगे । अगर आप Esaay on Pongal in Hindi , Esaay on Pongal in tamil , Esaay on Pongal in Telugu, या Esaay on Pongal in english की तलाश कर रहे है तो आपको कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है । क्युकी इस पोस्ट में आपको इन सभी Languages पर निबंध मिल जाएंगे।

Essay On Pongal In Hindi (1000 words)

प्रस्तावना:- भारत पर्वो की भूमि है। विभिन्न राज्यों में विभिन्न पर्व विभिन्न प्रकार से मनाए जाते है। वही तमिलनाडु के लोग पोंगल बहुत उत्साह के साथ मनाते है। पोंगल वास्तव में तमिलनाडु का बहुत महत्वपूर्ण पर्व है। यह जनवरी माह 14 या 15 तारिक से3 दिनों तक मनाया जाता है। इस पर्व का इतिहास कम से कम १००० साल पुराना है तथा इसे तमिळनाडु के अलावा देश के अन्य भागों, श्रीलंका, मलेशिया, मॉरिशस, अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर तथा अन्य कई स्थानों पर रहने वाले तमिलों द्वारा उत्साह से मनाया जाता है। तमिलनाडु के प्रायः सभी सरकारी संस्थानों में इस दिन अवकाश रहता है।

पोंगल त्योहार का महत्व:- इस पर्व का किसानों के लिए विशेष महत्व है। इसे मनाने का कर्यक्रम कृषि से जुड़ा हुआ है। चावल तमिलनाडु का प्रमुख कृषि उत्पाद है। चावल अधिक वर्षा माँगता है। इंद्र देव वर्षा के भगवान है। इसलिए , भगवान इंद्र की पूजा करना पोंगल पर्व का विशेष कार्यक्रम है। तमिलनाडू के किसान इस पर्व की उत्सकता से प्रतीक्षा करते है। दिसम्बर के अंत तक चावल की खेती के बाद किसानों का अवकाश होता है। यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

पोंगल का इतिहास:– पोंगल तमिलनाडु का एक प्राचीन त्योहार है। हरियाली और सम्पन्नता को समर्पित है। पोंगल के दिन भगवान सूर्य देव जी की पूजा अर्चना की जाती है और भोग लगाया जाता है। जो प्रसाद भगवान को भोग लगाया जाता है। उसे ही पोंगल कहा जाता है। पोंगल 200-300 ईस्वी पूर्व से मनाया जाता है। हालांकि इस त्योहार को द्रविड फसल के त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है। इस त्योहार का संस्कृत के पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है।

पौराणिक कथानुसार :- पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शिव जी ने अपने बैल को स्वर्ग से पृथ्वी पर जाकर मनुष्यों को एक संदेश देने के लिए कहा, भगवान ने कहा कि जाओ बैल पृथ्वी पर जा के कहो कि उन्हें रोज़ तेल से स्नान करना चाहिए और महीने में एक बार खाना खाना चाहिए। लेकिन बैल ने इसके विपरीत संदेश पृथ्वी पर दिया उसने कहा कि आप सभी को एक दिन तेल से स्नान करना चाहिए और रोज़ खाना खाना चाहिए। बैल की इस गलती से शिव जी बहुत नाराज़ हुए और उन्होंने बैल को श्राप दिया कि तुम्हें पृथ्वी पर रहकर किसानों के साथ खेती करने में सहायता करनी होगी और ऐसा बोलकर बैल को कैलाश से निकाल दिया तब से ही बैलो का प्रयोग खेती करने में ओर अधिक अन्न उत्पन्न करने में उनकी सहायता ली जाती है।

एक अन्य कथानुसार:- जब भगवान कृष्ण छोटे थे तब उन्होंने भगवान इंद्र को सबक सिखाने का सोचा क्योंकि वो देवताओं के राजा बन गए थे। इसलिए इंद्र देवता को अपने ऊपर बहुत अभिमान होने लगा था। भगवान श्री कृष्ण अपने गाँव के लोगो को भगवान इंद्र की पूजा न करने के लिए कहा इस बात से भगवान इंद्र बहुत क्रोधित हुए उन्होंने बादलो को तूफान लाने और तीन दिन तक लगातार बारिश करने के लिए भेजा इस तूफान से पूरा द्वारका तहस नहस हो गया । उस समय सभी की रक्षा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी सी उंगली में गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। उस समय इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और तब उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की सकती को समझा था। भगवान श्रीकृष्ण ने विशवकर्मा से द्वारका को दुबारा से बसाने के लिए कहा ओर ग्वाले फिर से अपनी गायों के साथ खेती करने लगे।

कटाई महोत्सव:- पोंगल एक फसल का उत्सव होता है। जो जनवरी महीने के बीच मे आता है। यह तमिलनाडु के लोगो का प्रमुख त्योहार होता है। सीजन में ग्रामीण लोंगो खेती में व्यस्त होते है। स्त्री, पुरूष ओर बच्चे सभी खेतो में फसल लगाने जाते है। जब खेत पूरे धान से भर जाता हैं तो ऐसा लगता है जैसे हरे समुद्र की लहरे लहलहा रही है और ये देखकर किसान का मन खुशी से भर जाता है और ऐसा दर्शय तमिलनाडु के लोगो के मन मे एक अलग ही छाप छोड़ जाता है। उसके बाद पोंगल के दिन लोग इस चावल की खीर बनाते है ओर बो भी आंगन में घर के अंदर नही। फिर इस खीर का भोग भगवान को लगया जाता है। इसे ही पोंगल कहा जाता है।

(1). प्रथम दिन भोगी पोंगल:- पर्व के पहले दिन को भोगी पोंगल के नाम से जानते है। इस दिन तमिलनाडु के प्रत्येक घर मे चावल बनाये जाते है। लोग अपने मित्रों और सम्बन्धियो को आमंत्रित करते है। यह दावत इंद्र देवता के संम्मान में आयोजित की जाती है। लोग चावल को अनेक रूप में बनाते है। ऐसा लोग भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए करते है। ताकि वो अच्छी वर्षा करें।

(2). दूसरा दिन सूर्य देवता की पूजा:- पर्व के दूसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इसे सूर्य पोंगल कहा जाता है। इस दिन सूर्य को धन्यवाद कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अच्छी फसल उगाने में सूर्य देव का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए किसान लोग इस दिन भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करते है। इस दिन चावल को पकाकर भोग लगाते है। महिलाएं सूर्य के प्रारूप बनाती है।

(3). तीसरा दिन मतु पोंगल:- तृतीय दिन मतु पोंगल के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु के किसान गाय की पूजा करते है । यह दिन गाय को समर्पित होता है। गाय को नेहलाया जाता है उसे अच्छे से नहलाकर उसके सिंग पर रंग किये जाते है। उन्हें अच्छी अच्छी भोजन खिलाई जाती है। रात को लोग अच्छा भोजन बनाते है और अपने मित्रो ,सम्बंधियो को आमंत्रित करते है।

उपसंहार

पोंगल दक्षिण भारत मे तमिलनाडु में बहुत जोर शोर से मनाने वाला त्योहार है इस दिन यहां बैलो की लड़ाई भी कराई जाती है। जो पूरे भारत मे प्रसिद्ध है और उसे एक उत्साह के साथ मनाया जाता है। तमिलनाडु में मनाया जाने वाला पोंगल त्योहार एक प्रकार से बहुत कुछ गोवर्धन पूजा के त्योहार जैसा ही होता है। नाम भले ही हमारे देश मे त्योहार के अलग- अलग हो पर उन्हें मनाने का स्वरूप सबका एक जैसा ही है ओर मकसद भी एक ही है खुशी और उल्लास।

Essay in English (300 words )

इस दिन सब अपने घर या ऑफिस में पोंगल रंगोली बनाते है जो की इस त्यौहार की शोभा बढ़ा देती है|

Introduction: Pongal is a harvest festival, celebrated by the people belonging to Hindu faith. On this occasion, people thanks the Sun God for abundant agricultural crops. The festival is most popular in the state of Tamil Nadu in India and in Srilanka.

The harvest festival corresponds to the celebration of Makar Sankranti. Generally, the festival of Pongal and Lohri are celebrated on the same day.

Pongal is a Tamil word means which means ‘overflowing’. This festival signifies good wishes, wealth, abundance and prosperity.

Celebration and Rituals: Pongal Festival is celebrated for four days. The four days of the Pongal festival are known as Bhogi, Surya, Mattu and Kaanum.

Day 1 – Bhogi Pongal: It is celebrated on the first day of the festival. The houses are cleaned and old items are discarded.

Day 2 – Surya Pongal: Surya Pogal, also known as Thai Pongal, is celebrated on the second day of the festival. This day is devoted to Surya Dev (the Sun God). This day is the first day of the Thai month in Tamil calendar.

Day 3 – Mattu Pongal: It is celebrated on the next day of Surya Pongal. This day is also known as ‘Thanksgiving’ day. People play a variety of games on this day. This day is also known as “Kanu Pongal”. On this day, following the custom of ‘Kanu Pidi’, girls and women are seen offering prayers for the well-being of their brothers. They also make sweets and delicious dishes for their brothers.

Day 4 – Kaanum Pongal: The fourth day and the last day of the festival is known as Kannum Pongal. This is a time for re-union of friends and families. The younger people seek blessings of the elders.

Essay in Telugu (300 words) తెలుగులో వ్యాసం (300 పదాలు)

పొంగల్ ఎప్పుడు? పొంగల్ గమనించినప్పుడు 2020
మంగళవారం, జనవరి 14, 2020, పరిమితం చేయబడిన సెలవు

Tuesday, January 14, 2020, Pongal Celebrated, Restricted Holiday

పొంగల్ ఫెస్టివల్ పొంగల్ సెలబ్రేషన్ 2020
ఈ పండుగను 4 రోజులు వివిధ ప్రాంతాల్లో జరుపుకుంటారు.

డే 1 – భోగి పొంగల్ డే 1 – భోగి పొంగల్

పొంగల్ పండుగకు ముందు మహిళలు తమ ఇళ్లను బాగా శుభ్రపరుస్తారు. వారు పెద్ద కుండలను కుంకుం మరియు స్వస్తికాతో అలంకరిస్తారు.

2 వ రోజు – సూర్య పొంగల్ రోజు 2- సూర్య పొంగల్

పొంగల్ రోజున పెద్ద పెద్ద మట్టి కుండలో బియ్యం మరియు నీరు పోయడానికి ఇంటి పెద్ద వ్యక్తికి ఇవ్వబడుతుంది, ఇది కూడా ఒక గౌరవం. పొంగల్ అంటే భగవంతుడిని అర్పించడానికి తయారుచేసిన వండిన అన్నం. కానీ ఈ ఆనందం కలిగించే వారు చాలా శ్రద్ధ వహించాలి ఎందుకంటే వారు అందమైన రంగోలిపై ఉంచకుండా ఆహ్ తయారు చేయాలి.

ఈ పండుగను తమిళనాడుతో పాటు పొరుగు రాష్ట్రాలైన కర్ణాటక, ఆంధ్రప్రదేశ్‌లో కూడా జరుపుకుంటారు.

పొంగల్ పండుగ ఉదయం, పిల్లలు లేదా వృద్ధులు అన్ని సరస్సులు లేదా నదులలో పవిత్రంగా మునిగిపోయి గ్రామ ప్రజలు చెరువులు మరియు బావులలో స్నానం చేస్తారు. సహజంగానే, ఈ పండుగ చాలా ఆనందంతో మరియు ఉత్సాహంతో జరుపుకుంటారు.

ఈ రోజున ప్రజలందరూ కొత్త బట్టలు ధరిస్తారు. సాయంత్రం అందరూ ఒకరినొకరు కలుసుకుని బియ్యం తింటారు. కొంతమంది అలసిపోయిన ఓడిపోయినవారు, అప్పుడు మొదటి రోజు పండుగ వేడుకలను గుర్తు చేసుకుంటూ నిద్రపోతారు.

3 వ రోజు – ముట్టు పొంగల్ రోజు 3 – ముట్టు పొంగల్

పొంగల్ మూడవ రోజు వేరే విధంగా జరుపుకుంటారు. ఈ రోజు ముఖ్యంగా మన పెంపుడు జంతువులకు గౌరవం ఇవ్వడం. పంట యొక్క నీటిపారుదల నుండి పంట కోత వరకు జంతువులు కూడా చాలా సహాయపడతాయి కాబట్టి వాటిని గౌరవించడం ఒక మతం.

ఆవులు, ఎద్దులను చాలా అందంగా అలంకరిస్తారు మరియు పూజిస్తారు. ఈ రోజును కను పొంగల్ అని కూడా పిలుస్తారు మరియు ఈ అభ్యాసాన్ని కను పిడి అంటారు.

ఈ రోజున మహిళలందరూ తమ సోదరులకు మంచి జీవితం మరియు విజయం సాధించాలని కోరుకుంటారు. పొంగల్

4 వ రోజు – కనుమ్ పొంగల్ రోజు 4 – కనుమ్ పొంగల్

నాల్గవ రోజు లేదా చివరి రోజును కన్నం పొంగల్ అంటారు. ఈ రోజు ప్రజలందరూ కలిసి కూర్చుని తినడానికి. ప్రజలందరూ తమకన్నా పాతవారి ఆశీర్వాదాలను తీసుకుంటారు మరియు ఈ పవిత్ర పండుగ పొంగల్ పొంగల్ జరుపుకుంటారు.

Essay in Tamil (250 words)தமிழில் கட்டுரை (250 வார்த்தைகள்)

பொங்கல் – அறுவடை விழா

பொங்கல் ஒரு தமிழ் அறுவடை திருவிழா. இது நன்றி நாள் போன்றது. விவசாய அடிப்படையிலான நாகரிகத்தில், அறுவடை முக்கிய பங்கு வகிக்கிறது. நிலத்தை பயிரிடும் விவசாயி தனது கால்நடைகள், சரியான நேரத்தில் மழை மற்றும் சூரியனைப் பொறுத்தது. வருடத்திற்கு ஒரு முறை, அறுவடை கொண்டாட்டத்தை குறிக்கும் எல்லாவற்றிற்கும் அவர் தனது நன்றியைத் தெரிவித்துக் கொள்கிறார். ஈரமான மாதமான மார்காஷி (டிசம்பர் நடுப்பகுதி முதல் ஜனவரி நடுப்பகுதி வரை) புதிய தமிழ் மாதமான தாய் பண்டிகைகளின் தொடர்ச்சியைக் குறிப்பிடுகிறது. இந்த முதல்

நல்ல அதிர்ஷ்டத்தைக் கொண்டுவருபவர்

அறுவடை காலத்தின் வாசலில் ஒருவர் நிற்கும்போது, ​​எல்லோரும் பொங்கல் விருப்பங்களை பரிமாறிக்கொள்கிறார்கள், இது நல்ல அதிர்ஷ்டம், நல்ல அதிர்ஷ்டம் மற்றும் நல்ல உற்சாகத்தைத் தருகிறது என்று நம்புகிறார்கள். மக்கள் ஒருவருக்கொருவர் நல்ல நேரம், மகிழ்ச்சி, அமைதி மற்றும் செழிப்பு ஆகியவற்றை விரும்புகிறார்கள். தமிழில் “பொங்கலோ பொங்கல்” மற்றும் “பொங்கம் மங்கலம் எங்கம் தங்குகா” என்றும் அவர்கள் ஒருவருக்கொருவர் வாழ்த்துகிறார்கள். பரஸ்பர மரியாதை, புரிதல், நம்பிக்கை மற்றும் நேர்மையான ஒத்துழைப்புடன் புத்தாண்டு தொடங்க தமிழர்கள் ஒருவருக்கொருவர் விரும்புகிறார்கள்.

பொங்கல் கொண்டாட்டத்தின் பின்னணியில் உள்ள யோசனை

பொங்கல் கட்டுரை பொங்கல் “அறுவடை திருவிழா” என்றும் குறிப்பிடப்படுகிறது, இது இந்தியாவின் தெற்கு பகுதியில் அமைந்துள்ள தமிழக மக்களால் அனுசரிக்கப்படுகிறது. இந்த நாளைக் கொண்டாடுவதன் பின்னணியில் உள்ள யோசனை, கடவுள் சூரியனை நோக்கிய மக்கள், அறுவடை காலத்தைக் கொண்டுவருவதற்காக, அவர்களுக்கு ஒரு வரப்பிரசாதம்! இந்த விழா ஒவ்வொரு ஆண்டும் ஜனவரி 15 ஆம் தேதி இந்து சமூகத்தினரால் கொண்டாடப்படுகிறது.

சர்வவல்லவருக்கு சமைத்த அரிசியை வழங்குவதன் மூலம் மக்கள் தங்கள் நன்றியைக் காட்டுகிறார்கள் !! இந்த பருவத்தில் அனைத்து வகை மக்களும் வயலில் அறுவடை செய்வதில் பிஸியாகி விடுகிறார்கள். குறிப்பிட்ட நாளில் அவர்கள் தங்கள் வீடுகளின் முற்றத்தில் அரிசி சமைக்கிறார்கள், ஏனெனில் கடவுளுக்கு வழங்கப்பட வேண்டிய உணவு சமையலறையில் சமைக்கப்பட்டால் அது தீங்கு விளைவிக்கும் என்று கருதப்படுகிறது.

பொங்கல் கொண்டாட்டத்தின் பாரம்பரியம்

பொங்கல் வருவதற்கு சில நாட்களுக்கு முன்பு, மக்கள் குறிப்பாக வீட்டின் பெண்மணி, முழு வீட்டையும் பூக்கள் மற்றும் பூக்களின் சரங்களால் அலங்கரித்து அலங்கரிக்கின்றனர். பெரிய மண் பாத்திரங்களை அலங்கரிக்க ஸ்வஸ்திக் மற்றும் கும்கம் ஆகியவற்றைப் பயன்படுத்துகிறார்கள். குழி தண்ணீர் மற்றும் அரிசியால் நிரப்பப்படுகிறது, குடும்பத்தின் இளையவர் அல்லது வயதான உறுப்பினர். மரபுகளின்படி, அரிசி சமைக்கப்படும் தண்ணீரில் சிறிது பால் சேர்ப்பது மிக முக்கியமானது, இது கடவுளுக்கு சூரியனுக்கு வழங்கப்பட உள்ளது. ஜி

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