भारतीय किसान एक मेहनती आदमी है। वह सुबह से शाम तक चिलचिलाती गर्मी और ठंड में काटता है। सुबह-सुबह वह अपने बैलों को खेतों में ले जाता है। वह खेतों की जुताई करता है, बीज बोता है और पौधों को पानी देता है। फसलों की देखभाल करता है और उन्हें आवारा पशुओं या जंगली जानवरों द्वारा खराब होने से बचाता है। उसे कोई छुट्टी नहीं मिलती। दोपहर में वह एक छायादार पेड़ के नीचे अपना भोजन करता है और थोड़ा आराम करता है। शाम को वह घर लौटता है।
A farmers poem
लिखता मैं किसान के लिए
मैं लिखता इंसान के लिए
नहीं लिखता धनवान के लिए
नहीं लिखता मैं भगवान के लिए
लिखता खेत खलियान के लिए
लिखता मैं किसान के लिए
नहीं लिखता उद्योगों के लिए
नहीं लिखता ऊँचे मकान के लिए
लिखता हूँ सड़कों के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
क़लम मेरी बदलाव बड़े नहीं लाई
नहीं उम्मीद इसकी मुझे
Farmer poem for funeral
देखता हूं नित दिन मैं एक इंसान को
धूप में जलता हुआ शिशिर में पिसता हुआ
वस्त्र है फटे हुए पांव हैं जले हुए
पेट-पीठ एक है बिना हेल्थ जोन गए हुए।
किसान पर कविता हिंदी मैं
खड़ी फसल जल रही
सूद-ब्याज बढ़ रही
पुत्र प्यासा रो रहा दूध के इंतजार में
फटी बिवाई कह रही
दीनता की कहानी
शब्दों के अभाव में
जो रह गई बेजुबानी
Farmer poem in marathi
शेतकर्यांना लिहितात
मी त्या व्यक्तीसाठी लिहितो
श्रीमंतासाठी लिहित नाही
मी देवासाठी लिहित नाही
खलीयन शेतासाठी लिहिते
शेतकर्यांना लिहितात
उद्योगांसाठी लिहित नाही
उच्च घरासाठी लिहा
रस्त्यावर लिहा
मी त्या व्यक्तीसाठी लिहितो
दंडाने माझा बदल आणला नाही
त्याची अपेक्षा करू नका
Farmer poem in hindi
बंजर सी धरती से सोना उगाने का माद्दा रखता हूँ,
पर अपने हक़ की लड़ाई लड़ने से डरता हूँ.
ये सूखा, ये रेगिस्तान, सुखी हुई फसल को देखता हूँ,
न दीखता कोई रास्ता तभी आत्महत्या करता हूँ .
उड़ाते हैं मखौल मेरा ये सरकारी कामकाज ,
बन के रह गया हूँ राजनीती का मोहरा आज .
क्या मध्य प्रदेश क्या महाराष्ट्र , तमिलनाडु से लेकर सौराष्ट्र ,
मरते हुए अन्नदाता की कहानी बनता, मै किसान हूँ !
साल भर करूँ मै मेहनत, ऊगाता हूँ दाना ,
ऐसी कमाई क्या जो बिकता बहार रुपया पर मिलता चार आना.
न माफ़ कर सकूंगा, वो संगठन वो दल,
राजनीती चमकाते बस अपनी, यहाँ बर्बाद होती फसल.
डूबा हुआ हूँ कर में , क्या ब्याज क्या असल,
उन्हें खिलाने को उगाया दाना, पर होगया मेरी ही जमीं से बेदखल.
बहुत गीत बने बहुत लेख छपे की मै महान हूँ,
पर दुर्दशा न देखी मेरी किसी ने, ऐसा मैं किसान हूँ !
लहलहाती फसलों वाले खेत अब सिर्फ सनीमा में होते हैं,
असलियत तो ये है की हम खुद ही एक-एक दाने को रोते हैं.
अब कहाँ रास आता उन्हें बगिया का टमाटर,
वो धनिया, वो भिंडी और वो ताजे ताजे मटर.
आधुनिक युग ने भुला दिया मुझे मै बस एक छूटे हुए सुर की तान हूँ,
बचा सके तो बचा ले मुझे ए राष्ट्रभक्त, मैं किसान हूँ !
किसान पर कविता हिंदी मैं
The farmer’s bride poem

खेत खलियान में बीज ये बो दे
सड़क का एक गढ्ढा भर देती
ये काफ़ी इंसान के लिए
लिखता हूँ किसान के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
आशा नहीं मुझे जगत पढ़े
पर जगत का एक पथिक पढ़े
फिर लाए क्रांति इस समाज के लिए
इसलिए लिखता मैं दबे-कुचलों के लिए
पिछड़े भारत से ज़्यादा
भूखे भारत से डरता हूँ
फिर हरित क्रांति पर लिखता हूँ
फिर किसान पर लिखता हूँ
किसान पर कविता हिंदी मैं
किसान की दुर्दशा पर कविता
जय भारतीय किसान
तुमने कभी नहीं किया विश्राम
हर दिन तुमने किया है काम
सेहत पर अपने दो तुम ध्यान
जय भारतीय किसान.
अपना मेहनत लगा के
रूखी सूखी रोटी खा के
उगा रहे हो तुम अब धान
जय भारतीय किसान.
परिश्रम से बेटों को पढ़ाया
मेहनत का उनको पाठ सिखाया
लगाने के लिए नौकरी उनको
किसी ने नहीं दिया ध्यान
जय भारतीय किसान.
सभी के लिए तुमने घर बनाए
अपने परिवार को झोपडी में सुलाए
तुमको मिला नही अच्छा मकान
जय भारतीय किसान.
लोकगीत को गा के
सबके सोए भाग जगा के
उगा रहे हो तुम अब धान
जय भारतीय किसान.
Shaam ek kisan poem
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माना गरीब हूं मैं बेटा किसान का
मैं ही बनूंगा गौरव भारत महान का
मेरे घर नहीं तिजोरी
कपड़े हैं एक जोड़ी
लेने को पेन-कॉपी
नहीं है फूटी-कौड़ी
किसान पर कविता हिंदी मैं
कमजोर बना घर है टूटा हुआ छप्पर है
मजबूत चौखट प्रेम की पर लगी मेरे दर है
खजाना भरा है,
विचारों की शान का
मैं ही बनूंगा गौरव
भारत महान का
अभावों में मैं पला हूं भूख से भी मैं जला हूं
लेकिन ये पाई प्रेरणा सत्यपथ से न टला हूं।
न अंग्रेजी सीख पाया
न जीन्स-ट्राऊजर में मचलना
सीखा है मगर मैंने
सिद्धांतों पर चलना
बनूंगा मैं हिन्द का रखवाला आन का
मैं ही बनूंगा गौरव भारत महान का।
