Hindu nav varsh 2022 : भारत में, हम नए साल को एक विशेष तरीके से मनाते हैं। विभिन्न राज्यों में विविध रीति-रिवाज और परंपराएं हैं और वे अपने नए साल को अलग तरह से मनाते हैं। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में उगादि चैत्र महीने में आते हैं। यह गुड़ और नीम के फूलों को वितरित करके मनाया जाता है जो जीवन के मीठे और कड़वे दोनों अनुभवों को साझा करने के लिए प्रतीकात्मक है महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा भी चैत्र माह में आती है, और गुड़ी (चमकीले पीले कपड़े को बाँधकर एक लंबे बाँस की नोक से बाँधा जाता है और चीनी की माला के साथ उस पर उल्टा रखा जाता है)।
हिन्दू नव वर्ष 2078 निबंध
Hindu nav varsh date: इस वर्ष यानिकि 2022 में हिन्दू नव वर्ष 02 april को है| इसी दिन चैत्र नवरात्रि भी प्रारम्भ हो रही है|
भारतवर्ष ने विश्व को काल गणना का अद्वितीय सिद्धांत प्रदान किया है । सृष्टि की संरचना के साथ ही ब्रह्माजी ने काल चक्र का भी निर्धारण कर दिया । ग्रहों और उपग्रहों की गति का निर्धारण कर दिया ।
चार युगों की परिकल्पना, वर्ष मासों और विभिन्न तिथियों का निर्धारण काल गणना का ही प्रतिफल है । यह काल कल्पना वैज्ञानिक सत्यों पर आधारित है । मनुष्य ने काल पर अपनी अमिट छाप छोड़ने के उद्देश्य से कालचक्र को नियन्त्रित करने का भी प्रयास किया । उसने विक्रम संवत्, शक-संवत्, हिजरी सन्, ईसवी सन आदि की परिकल्पना की ।
जैन और बौद्ध मतावलंबियों ने अपने-अपने ढंग से काल गणना के सिद्धान्त बनाये । हमारे देश में नव संवत्सर का प्रारम्भ विक्रम संवत् के आधार पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से स्वीकार किया जाता है और पाश्चात्य दृष्टि से पहली जनवरी को नव वर्ष का शुभारम्भ होता है । अत: हमें दोनों ही दृष्टि से इस विषय पर विचार करना होगा ।
भारतीय मतानुसार महाराज विक्रमादित्य ने विक्रम संवत का प्रारम्भ किया था । इसकी गणना चन्दन के आधार पर की जाती है । इसी दिन से नवरात्र का प्रारम्भ होता है । इस दिन मंदिरों और घरों में घट स्थापित किए जाते हैं । जी बोए जाते हैं और नौ दिन पश्चात् पवित्र नदियों में प्रवाहित कर दिए जाते हैं ।गृहस्थ लोग इन दिनों मांगलिक कार्यों का आयोजन करते हैं । गृह-प्रवेश, लगन-सगाई और विवाह आदि के लिए यह समय सर्वोत्तम समझा जाता है । अनेक आस्तिक लोग रामायण-पाठ का आयोजन करते हैं । व्यापारी लोग नये बही खाते प्रारम्भ करते हैं । नई दुकानों और व्यापारिक संस्थानों की स्थापना-उद्घाटन करते हैं ।
भारतीय नव वर्ष एस्से
देश भर में प्रचलित परम्पराओं की बात करें तो आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में घरों को आम के पेड़ की पत्तियों के बंदनवार से सजाया जाता है. इसी तरह ‘उगादि‘ के दिन ही पंचांग भी तैयार होता है. दिलचस्प है कि महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग ‘ की रचना की थी. कई लोगों की मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने बालि के अत्याचारी शासन से दक्षिण की प्रजा को मुक्ति दिलाई थी. राजा बालि के त्रास से मुक्त हुई प्रजा ने तब घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज (ग़ुड़ियां) फहराए थे. उसी की याद में आज भी घर के आंगन में ग़ुड़ी खड़ी करने की प्रथा महाराष्ट्र प्रदेश में प्रचलित है. दक्षिण के राज्यों की बात करें तो इस अवसर पर आंध्र प्रदेश में घरों में ‘पच्चड़ी/ प्रसादम‘ बांटा जाता है. कहा जाता है कि इसका निराहार सेवन करने से मानव निरोगी बना रहता है. यूँ तो आजकल आम बाजार में मौसम से पहले ही आ जाता है, किन्तु आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में इसी दिन से ‘आम’ खाया जाता है. पारंपरिक रूप से नौ दिन तक मनाया जाने वाला यह त्यौहार दुर्गापूजा के साथ-साथ, रामनवमी को राम और सीता के विवाह के साथ सम्पन्न होता है.
ऐतिहासिक रूप से इसकी पृष्ठभूमि में अनेक कथाएं सुनने को मिलती हैं, किन्तु यह एक अजीब बिडम्बना है कि आज के आधुनिक समय में हमारी स्वस्थ भारतीय परम्पराओं को एक तरह से तिलांजलि ही दे दी गयी है. पाश्चात्य सभ्यता के ‘न्यू ईयर’ को हैपी बनाया जाने लगा है, किन्तु वैज्ञानिक रूप से तथ्यपरक होने के बावजूद हिन्दू नववर्ष को लोग महत्वहीन करने की कोशिशों में जुटे रहते हैं. 31 दिसंबर की आधी रात को नव वर्ष के नाम पर नाचने गाने वाले आम-ओ-ख़ास को देखकर आखिर क्या तर्क दिया जा सकता है!
भारतीय सांस्कृतिक जीवन का विक्रमी संवत से गहरा नाता है, इसलिए इस दिन लोग पूजापाठ करते हैं और तीर्थ स्थानों पर जाते हैं. धार्मिक लोग तो पवित्र नदियों में स्नान करते ही हैं, साथ में मांस-मदिरा का सेवन करने वाले लोग भी इस दिन तामसी पदार्थों से दूर रहते हैं. पर विदेशी संस्कृति के प्रतीक 1 जनवरी को मनाये जाने वाले नव वर्ष के आगमन से घंटों पूर्व ही मांस मदिरा का प्रयोग, अश्लील कार्यक्रमों से नयनाभिराम तथा अन्य बहुत कुछ ऐसा प्रारंभ हो जाता है जिससे अपने देश की संस्कृति का दूर-दूर तक रिश्ता नहीं रहा है. एक तरफ विक्रमी सम्वत के स्मरण मात्र से ही विक्रमादित्य और उनके विजय अभियान की याद ताजा होती है, तो भारतीयों का मस्तक गर्व से ऊंचा होता है, जबकि ईसवी सन के साथ ही गुलामी द्वारा दिए गए अनेक जख्म हरे होने लगते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को जब किसी ने पहली जनवरी को नव वर्ष की बधाई दी तो उन्होंने उत्तर दिया था- किस बात की बधाई? मेरे देश और देश के सम्मान का तो इस नव वर्ष से कोई संबंध नहीं! काश कि हम सब भी यह समझते!
हिन्दू नव वर्ष पर कविता
फिर आया है नया साल
सर्द रातों की एक हवा जागी
और बर्फ़ की चादर ओढ़
सुबह के दरवाज़े पर दस्तक दी उसने
उनींदी आँखों से सुबह की अंगड़ाई में भीगी ज़मीन से ज्यों फूटा
एक नया कोपल
नए जीवन और नई उमंग
नई खुशियों के संग
दफ़ना कर कई काली रातों को
झिलमिलाते किरनों में भीगता
नई आशाओं की छाँव में
नए सपनों का संसार बसाने
बर्फ़ीली रात की अंगड़ाई के साथ
बसंत के आने की उम्मीद लिए
आज सब पीछे छोड़
चला वो अपनाने नए आकाश को
नए सुबह की नई धूप में
नई आशाओं की नई किरन के संग
आज फिर आया है नया साल
पीछे छोड़ जाने को परछाइयाँ
जिन्दगी का एक ओर वर्ष कम हो चला,
कुछ पुरानी यादें पीछे छोड़ चला..
कुछ ख्वाईशैं दिल मे रह जाती हैं..
कुछ बिन मांगे मिल जाती हैं ..
कुछ छोड़ कर चले गये..
कुछ नये जुड़ेंगे इस सफर मे ..
कुछ मुझसे बहुत खफा हैं..
कुछ मुझसे बहुत खुश हैं..
कुछ मुझे मिल के भूल गये..
कुछ मुझे आज भी याद करते हैं..
कुछ शायद अनजान हैं..
कुछ बहुत परेशान हैं..
कुछ को मेरा इंतजार हैं ..
कुछ का मुझे इंतजार है..
कुछ सही है
कुछ गलत भी है.
कोई गलती तो माफ कीजिये और
कुछ अच्छा लगे तो याद कीजिये।
Hindu New Year Poem in Hindi
अवनी से अंबर तक छाया नववर्ष।
सिन्दूरी भोर लिए आया नववर्ष।।
तैरते हवाओं में पंछी रंगीन।
ले आए प्राची से उजियारे दिन।
झरनों ने भैरवी में गाया नववर्ष।
सिन्दूरी भोर लिए आया नववर्ष।।
मधु किरणें पूरब से आई छुम-छुम।
घोल गई रेवा के जल में कुमकुम।।
सुखद रात सुप्रभात लाया नववर्ष।
सिन्दूरी भोर लिए आया नववर्ष।।
शाखों पर फूल नए चमकीली पातें।
बांट रहा स्नेहिल सूरज सौगातें।।
अलसायी धूप खिली भाया नववर्ष।
सिन्दूरी भोर लिए आया नववर्ष।।
हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें कविता
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नये वर्ष का करें सभी हम,
मिलकर सारे ऐसा स्वागत,
भूल सारे वैर भाव हम,
मन में हो प्रीती की चाहत.
नहीं किसी का बुरा करें हम,
सीखें मानवता से रहना,
सच्ची -मीठी वाणी बोलें,
कटुवचन न कभी कहना!
नये -नए संकल्प करें हम
अब है आगे हमको बढ़ना,
भूखे -प्यासे दीन -दुखी की ,
आगे बढ़ कर सेवा करना.
सबके लिए हो मंगलमय इस,
नए वर्ष का इक -इक पल,
भविष्य स्वर्णिम और सुखद हो,
सबके लिए हो उज्जवल कल.
