जिस इंसान के अंदर हौसला होता है वह अपने हौसले से सब कुछ हासिल कर सकता है हौसला होना हर इंसान के लिए बहुत जरुरी होता क्योकि उसी मदद से वह अपनी सभी तरह की मुसीबतो से छुटकारा पा सकता है | अपने अंदर हौसला लाने के लिए आपको कई तरह के मोटिवेशनल मैसेज, कोट्स व शायरियां पढ़नी होती है जिससे की आप अपने अंदर हौसला ला सकते है इसीलिए हम आपको हौसला बढ़ाने वाली कुछ बेहतरीन शायरियो के बारे में बताते है जिन्हे पढ़ कर आप इसके बारे में काफी कुछ जान सकते है |
Hosla Afzai Shayari in Hindi
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आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकी
अल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही
वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से
वो और थे जो हार गए आसमान से
वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है
गो आबले हैं पाँव में फिर भी ऐ रहरवो
मंज़िल की जुस्तुजू है तो जारी रहे सफ़र
जिन हौसलों से मेरा जुनूँ मुतमइन न था
वो हौसले ज़माने के मेयार हो गए
उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है
मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है
हौसले पर शायरी
बढ़ के तूफ़ान को आग़ोश में ले ले अपनी
डूबने वाले तिरे हाथ से साहिल तो गया
जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं
सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलती
चलो तुम उधर को हवा हो जिधर की
शह-ज़ोर अपने ज़ोर में गिरता है मिस्ल-ए-बर्क़
वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले
ये कह के दिल ने मिरे हौसले बढ़ाए हैं
ग़मों की धूप के आगे ख़ुशी के साए हैं
हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
हौसला शायरी इन हिंदी
तीर खाने की हवस है तो जिगर पैदा कर
सरफ़रोशी की तमन्ना है तो सर पैदा कर
इन्ही ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा
अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है
अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला
जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा
अभी से पाँव के छाले न देखो
अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो
हौसले मुश्किलों में पलते हैं
हौसले की शायरी
यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है
हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है
लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं
मैं ने उस हाल में जीने की क़सम खाई है
लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब को
मर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं
हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे
हवा ख़फ़ा थी मगर इतनी संग-दिल भी न थी
हमीं को शम्अ जलाने का हौसला न हुआ
देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख
हौसला भरी शायरी
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इतने मायूस तो हालात नहीं
लोग किस वास्ते घबराए हैं
नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर
तू शाहीं है बसेरा कर पहाड़ों की चटानों में
नशेमन पर नशेमन इस क़दर तामीर करता जा
कि बिजली गिरते गिरते आप ख़ुद बे-ज़ार हो जाए
बना लेता है मौज-ए-ख़ून-ए-दिल से इक चमन अपना
वो पाबंद-ए-क़फ़स जो फ़ितरतन आज़ाद होता है
भँवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो
कहाँ तक चलोगे किनारे किनारे
वो कोई अौर चिराग होते हैं जो हवाअों से बुझ जाते हैं…
हमने तो जलने का हुनर भी तूफानों से सीखा है
Hausla Shayari SMS
जलाने वाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर
ये क्या कहा कि हवा तेज़ है ज़माने की
तुंदी-ए-बाद-ए-मुख़ालिफ़ से न घबरा ऐ उक़ाब
ये तो चलती है तुझे ऊँचा उड़ाने के लिए
मैं आँधियों के पास तलाश-ए-सबा में हूँ
तुम मुझ से पूछते हो मिरा हौसला है क्या
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
खामोशियाँ कर दे बयाँ तो अलग बात है
कुछ दर्द एसे भी है जो लफ्जों में उतारे नहीं जाते
सफलता एक दिन में नहीं मिलती,
मगर ठान लो तो एक दिन ज़रूर मिलती है
हौसले पर शेर
लहू बेच बेच जिसने परिवार को पाला
वो भूखा ही सो गया जब बच्चे कमाने वाले हो गये
साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन
तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है
मौजों की सियासत से मायूस न हो ‘फ़ानी’
गिर्दाब की हर तह में साहिल नज़र आता है
तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा
तिरे सामने आसमाँ और भी हैं
खुद को भी कभी महसूस कर लिया करो,
कुछ रौनकें खुद से भी हुअा करती हैं
चाहता कौन है बेवफ़ायी करना उसने परिवार सम्भाला होगा
यही सोच कर समझाता हूँ ख़ुदको
मजबूर होकर मुझे दिल से निकाला होगा
हौसला देने वाली शायरी
जूते फटे पहन आखाश पे चढ़े थे
सपने हमेशा हमारे अौकात से बङे थे..
संसार में सबसे बड़ा आदमी वही कहलाता है ,
जिससे मिलने के बाद कोई इन्सान खुद को छोटा महसूस ना करे
दामन झटक के वादी-ए-ग़म से गुज़र गया
उठ उठ के देखती रही गर्द-ए-सफ़र मुझे
राहें खुश्क हों कितनीं कदम मेरा हर चुस्त हो मौला
नज़र कमज़ोर बेशक हो नज़रिया दुरुस्त हो मौला
लज़्ज़त-ए-ग़म तो बख़्श दी उस ने
हौसले भी ‘अदम’ दिए होते
मेरे टूटे हौसले के पर निकलते देख कर
उस ने दीवारों को अपनी और ऊँचा कर दिया
हौसला हो बुलंद शायरी
हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते
हर तकलिफ में ताकत की दवा देते हैं
उसूल तो हमारे भी बहुत थे
मगर वो ज़माने को नागवार गुज़रे
मजबूरियाँ होती है, यक़ीन जाता है
बचपन का प्यार अक्सर तजुर्बे दे जाता है
मुसीबत का पहाड़ आख़िर किसी दिन कट ही जाएगा
मुझे सर मार कर तेशे से मर जाना नहीं आता
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
कल का दिन किसने देखा है आज का दिन भी खोए क्यों,
जिस घड़ियों में हस सकते है उस घडियों में रोए क्यों
हौसलों की उड़ान शायरी
ख़्वाब टूटे हैं मगर हौंसले ज़िन्दा हैं
हम वो हैं जहॉ मुश्किलें शर्मिदा हैं…!!
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का
यही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का
चूम लेता हूॅ हर मुश्किलों को..मैं अपना मानकर
ज़िन्दगी कैसी भी है आखिर है तो मेरी..
रख भरोसा खुद पर क्यो ढूॅढता है फरिश्ते
पंछीअो के पास कहॉ होते है नक्शे फिर भी ढूॅढ लेते है रास्ते
ऐ उदास पल जरा धीरे धीरे चल
तू भी चला गया तो कैसे पाउँगा संभल
साहिल के सुकून से किसे इन्कार है लेकिन,
तूफान से लङने में मज़ा ही कुछ अौर है
