करवा चौथ के दिन व्रत रखना एक महान अनुष्ठान है, जिसके दौरान एक विवाहित महिला पूरे दिन उपवास रखती है और अपने पति के कल्याण और लंबे जीवन के लिए भगवान गणेश की पूजा करती है। यह भारत के लगभग सभी राज्यों में एक ही तिथि में मनाया जा रहा है। यह हर साल अक्टूबर या नवंबर के महीने में पूर्णिमा के चौथे दिन पड़ता है जिसका अर्थ हिंदू कैलेंडर के अनुसार पूर्णिमा है| करवा चौथ का त्यौहार कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पूरे दिन का उपवास रखकर महिलाओं द्वारा हर साल बहुत खुशी से मनाया जाता है। विशेषकर, यह कुछ भारतीय क्षेत्रों में विवाहित महिलाओं का त्योहार है; यह अविवाहित महिलाओं द्वारा अपने भावी पति के लिए भी उपवास रखने की परंपरा है।
Karva Chauth Kavita
एक सुबह जब आँख खुली तो मेरे उड़ गये होश ,
मेरे बीवी खड़ी सामने आँखों में भर के जोश !
बोली मिस्टर कैसे हो और कैसी कटी है आपकी रात ,
ना जाने क्यों कर रही थे मिश्री से मीठी बात !
मैंने पूछा ओ डियर आज मैं तुमको क्यो भाया ,
पलकें झुकए बड़ी शर्म से बोली करवाचौथ है आया !
ये सुन कर मेरे शरीर मैं दौड़ उठा करेंट ,
समझ गया था मेरे नाम का निकल चुका वारेंट!
इस दिन का इंतजार हर शौहर को है रहता ,
बड़ी अदब से बात मनती मैं जैसा-जैसा कहता !
पूरा साल बीत गया था सुन -सुन के ताने ,
आज कहे हर बात पे हाँ , ये मेरी ही माने !
मुझे कभी परमेश्वर कहती कभी कहे देव ,
खुद तो व्रत रखती पर मुझको देती सेब !
शाम होते होते फिर वो घड़ी है आती ,
गिफ्ट गिफ्ट का राग आलापे बाज़ार ले जाती !
अहसानों के बोझ तले दब मुझ को आए रोना ,
नहीं चाहते हुए भी लेना पड़े है महँगा सोना !
देर रत जब चाँद ना निकले ये चाँद -चाँद चिल्लाए ,
कभी भेजे नुक्कड़ पे मुझको कभी छत पे दौड़ाए !
मैं भी जब दौड़- दौड़ के हो जाता परेशान ,
हाथ जोड़ कर चाँद से बोलूं अब बात इसकी मान !
आज तुम्हारा दिन है इसलिए खा रहे भाव ,
कल से कौन पूछेगा तुम को जब आओ जब जाव !
इतनी से बात क्यों मैडम के समझ ना आती ,
जो साल भर प्यार जताती तो बात बन जाती !
Karva chauth poems for husband
ईश्वर हमें नवाजता है, अनेकानेक उपहार
माँ, बाबा, भाई, बहन और उनका निश्छल प्यार
जीवनपथ पर वो हमे, हमसे बेहतर जानता है
और हमारी चाहतों को, प्यारे से रिश्तों में ढालता हैपर दुनिया में दो धागे, खुद भी बांधने होते हैं
दोस्त और पत्नी, हमें खुद ही छांटने होते हैं
दोस्त बचाते हैं आपको, मुश्किलों से हर पहर
तो पत्नी खुद पर ही ले जाती है, आपके कहरइस पत्नी को बनाने में, वो बड़ा दिमाग लगाता है
अच्छे समय में पति से, तो बुरे समय में उसकी मुश्किलों से लड़ना सिखाता है
दे देता है वो इसे, खुद खुदा से भी लड़ने की ताकत
और उसका ये वरदान, करवा चौथ कहलाता हैबङा प्यारा सा होता है, ये करवाचौथ त्यौहार
मोङ देता है ये, पति पर होने वाला हर वार
रहती है वो पति के लिये, तादिन भूखी प्यासी
जिससे सदा सलामत बना रहे उसका प्यारसुबह सुबह सूनी जाती हैं, कुछ कथा-कहानियाँ
बहुओं को ताउम्र का तजुर्बा सौंपती हैं, दादी-नानियाँ
पति के नाम से कि जाती है, ईश्वर की आराधना
कितनी पवित्र होती है, इनकी पति के प्रति चाहनाफिर दिन में पति को 10-15 फोन किये जाते हैं
शाम को घर पर जल्दी आने के वादे लिये जाते हैं
शाम को कर सोलह श्रृंगार, पीला ओढा जाता है
और चांद को देरी पर ,सौ सौ बार कोसा जाता हैतभी बदलियों के पीछे, चंद्रमा नजर आता है
हर ब्याहता के दिल में उल्लास छा जाता है
सजाई जाती है प्रेम की थाली, सिंदूर के लिये
तो चांद से पति की लम्बी उम्र का वादा लिया जाता हैउस वक्त कि क्या कहें, कि कितना प्यार फैल जाता है
जब चांद के बाद, हमसफर छलनी के सामने आता है
पत्नी के शर्म की लाली लाख छूपाने से नहीं छूपती
पर मां बाप वहीं होने से, पति तुरंत साइड हो जाता हैइस दिन इतनी प्रेम पूर्ण होती हैं ,पत्नियों की धुनें
आखिर वो भी किस मूंह से इनकी अर्ज ना सूने
करवे पर इतना बल, इनके प्रेम में उपज आता है
बदल देती हैं ये वो लकीरें, जिनको लिखता विधाता हैपश्चिम जगत, हमारे इस प्रेम पर रोज संदेह उठाता है
ज्यादा पढा लिखा वर्ग, इसे अंधविश्वास बताता है
गुड फ्राइडे पर जीसस का जिंदा होना वैज्ञानिक है
पर करवे का प्यार, इनकी आंखों में चूभ जाता हैइस करवा चौथ की ताकत को कोई कम ना आंके
ये प्रेम ना जाने क्या क्या चमत्कार कर जाता है
भारत भूमि के सतीत्व ने उच्च सोपान सदैव छूये हैं
“उत्तम” भी सावित्री-सत्यवान के प्रेम को बारम्बार शीश झुकाता है
Karva chauth poems for wife
चाँद का रूप
आज सजना के रूप में ,
मुझे याद आया !सुबह से लेकर
अब तक शाम हो गयी ,
पर साजन कहीं भी मुझे नज़र न आया !बड़े दिनों बाद
आज के दिन ,
छत पर साजन चाँद के रूप में नज़र आया !सज के मैं
सुबह से तुम्हारे लिए सजना मैं ,
तुम्हारे ही लिए
मैं खुशी से उपवास रख रही !तुम रहना संग मेरे साथ ,
ओ मेरे साथिया
ऐसी मैं आज भी कामना कर रही
Karwa chauth poetry
करवा चौथ का त्योहार
लाए ख़ुशियाँ हजार
हर सुहागिं के दिल का
ये अरमान है
प्यारे पिया में बसी
उसकी जान है
पिया के लिए ही
व्रत करती है वह
उसके नाम से ही
अपनी माँग भारती है वह
पिया की दीर्घायु के लिए
करती है दुआ
भूखी – प्यासी रहती है
बस चाहती है पिया
पिया ही तो उसकी ख़ुशियों
का संसार है
आज प्यारा पिया
का ही दीदार है
चाँद फीका लगे
पिया चाँद के आगे
और चाँद से ही पिया की
लंबी आयु मांगे
बस भावुकता से यह
ओत – प्रोत है
प्यारा प्यार का त्योहार
यह करवा चौथ है
करवा चौथ कविता
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चांद
कितना मीठा और सलोना लगता है
महकता और मोहता हैजब स्लेटी बादलों के रेशमी परदों
को सरका कर
मुस्कुराता है
अखंड सुहागिनों के लिए….करवा चौथ का सुरीला चांद
बस इतना रखें याद
आज उसे देर तक थिरकना है
सच्ची सुहागिनों के लिए
थोड़ा जल्दी दमकना है..
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ऐ चांद तुम जल्दी से आ जाना
भूखी-प्यासी मैं दिनभर की बेकरार
छलनी से करूंगी साजन का दीदार
शर्म लाल होंगे तब मेरे रुखसार
पिया मिलन में देर न लगा जाना
ऐ चांद तुम जल्दी से आ जाना।मेहंदी रचे हाथ, सजे कंगन के साथ
पूजा का थाल, और ले करवा हाथ
मांगूंगी तुमसे रहे सजना सदैव साथ
लंबी उम्र का वर, पिया को दे जाना
ऐ चांद तुम जल्दी से आ जाना।मेरा साज-श्रृंगार सब साजन से है
बिखरा जीवन में प्यार साजन से है
घर और परिवार सब साजन से है
सातों जन्म के साथ का वर दे जाना
ऐ चांद तुम जल्दी से आ जाना।माना भूख से मैं न अकुलाऊंगी तब
पर पिया की बेचैनी मैं सह पाऊंगी कब
मेरे प्रिय पिलाए मुझे अधर सुधा जब
बादलों में तुम छुप जाना, पर पहले..
ऐ चांद तुम जल्दी से आ जाना।
Karwa chauth hasya kavita
मैं बोला, ‘बॉस, छुट्टी चाहिए।’ सुनते ही भड़क उठे, ‘क्यों?
क्या करना है?’मैंने कहा, ‘बॉस, कल करवा चौथ है
और मेरी पत्नी को मेरी लम्बी उम्र के लिए
व्रत रखना है।’सुन कर बॉस बोले,’तो इसमें तुम्हें क्या करना है?’
मैं बोला, ‘बॉस मेरे बगैर वह
व्रत नहीं रख पाएगी
घर-परिवार और बच्चे कैसे संभाल पाएगी?यह सब तो कल मुझे ही करना पड़ेगाइसीलिए छुट्टी ले कर घर पर ही रहना पड़ेगा।
कल वो किसी काम को
हाथ भी न लगाएगी
भूखी-प्यासी आखिर बेचारी
कर भी क्या पाएगी?साल में एक ही दिन तो यह त्योहार आता है
जब हर पत्नी को संपूर्ण सत्ता का
स्वाद आता है।’
बॉस कड़के, ‘तो ना रखे व्रत
पत्नी व्रत नहीं रखेगी तो क्या तुम
जल्दी मर जाओगे
लम्बी उम्र नहीं पाओगे?’मैं गिड़गिड़ाया, ‘मरूँगा नहीं सर, मगर
सचमुच मर जाऊँगा, जी नहीं पाऊँगा
वह भी आप ही की तरह कड़क है, रूठ जाएगीमुझे छोड़ कर हमेशा को चली जाएगी
आप नहीं जानते हैं सर, बड़ी मुश्किल से
एक हाथ लगी है, वह भी निकल जाएगी।
