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सुरेन्द्र शर्मा की हास्य कविताएँ – Kavi Surendra Sharma Ki Hasya Kavita in Hindi Free Download

सुरेन्द्र शर्मा की हास्य कविताएँ

हमारे देश में कई महान कवियों ने जन्म लिया लेकिन हर कवियों की लेखन शैली अलग-2 प्रकार होती है कोई प्यार, कोई भक्ति, कोई किसी अन्य चीज़ पर कविताये लिखता है | जब कभी हास्य कवियों की बात सामने आती है सुरेंद्र शर्मा जी का नाम कैसे पीछे रह सकता है | इसीलिए आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में सुरेंद्र शर्मा जी द्वारा लिखी गयी कुछ हंसी मज़ाक की कविताओं के विषय में बताते है जिसे आप फेसबुक, व्हाट्सएप्प पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करके लाभ उठा सकते है |

हास्य कविता सुरेन्द्र शर्मा

कोई फर्क नहीं पड़ता
कोई फर्क नहीं पड़ता
इस देश में राजा रावण हो या राम,
जनता तो बेचारी सीता है
रावण राजा हुआ
तो वनवास से चोरी चली जाएगी
और राम राजा हुआ
तो अग्नि परीक्षा के बाद
फिर वनवास में भेज दी जाएगी।
कोई फर्क नहीं पड़ता
इस देश में राजा कौरव हो या पांडव,
जनता तो बेचारी द्रौपदी है
कौरव राजा हुए
तो चीर हरण के काम आएगी
और पांडव राजा हुए
तो जुए में हार दी जाएगी।
कोई फर्क नहीं पड़ता
इस देश में राजा हिन्दू हो या मुसमान,
जनता तो बेचारी लाश है,
हिन्दू राजा हुआ
तो जला दी जाएगी
और मुसलमान राजा हुआ
तो दफना दी जाएगी।

Surendra Sharma Hasya Kavita Lyrics

‘पत्नी जी!
मेरो इरादो बिल्कुल ही नेक है
तू सैकड़ा में एक है।’
वा बोली-
‘बेवकूफ मन्ना बणाओ
बाकी निन्याणबैं कूण-सी हैं
या बताओ।’

पत्नी जी!
जै मैं ऊ युग में
महाराणा परताप होत्तो
तो के होत्तो?
वा बोल्ली –
महाराणा परताप को घोड़ो चेत्तक
खुद मरने की जगा
थारा ही पराण ले लेत्तो!

Surendra Sharma Ki Hasya Kavita MP3

राम बनने की प्रेरणा
‘पत्नी जी!
मैं छोरा नैं राम बनने की प्रेरणा दे रियो ऊँ
कैसो अच्छो काम कर रियो ऊँ!’
वा बोली-‘मैं जाणूँ हूँ थैं छोरा नैं
राम क्यूँ बणाणा चाहो हो
अइयां दसरथ बणकै तीन घरआली लाणा चाहो हो!’

सुरेंद्र शर्मा की हास्य कविता

एक दिन म्हारी घराड़ी बोल्ली –
ऐ जी, पड़ोसी की चौथी घराड़ी मरगी
ते शमशान घाट हो आओ
मैं बोल्यो – मैं को तो नी जाऊं
मैं ओके घरा तीन बार हो आयो
वो एक बार भी नहीं आयो…

Kavi Surendra Sharma Ki Hasya Kavita in Hindi

Surendra Sharma Hasya Kavita in Hindi

नदी में डूबते आदमी ने
पुल पर चलते आदमी को
आवाज लगाई- ‘बचाओ!’
पुल पर चलते आदमी ने
रस्सी नीचे गिराई
और कहा- ‘आओ!’
नीचे वाला आदमी
रस्सी पकड़ नहीं पा रहा था
और रह-रह कर चिल्ला रहा था-
‘मैं मरना नहीं चाहता
बड़ी महंगी ये जिंदगी है
कल ही तो एबीसी कंपनी में
मेरी नौकरी लगी है।’
इतना सुनते ही
पुल वाले आदमी ने
रस्सी ऊपर खींच ली
और उसे मरता देख
अपनी आंखें मींच ली
दौड़ता-दौड़ता
एबीसी कंपनी पहुंचा
और हांफते-हांफते बोला-
‘अभी-अभी आपका एक आदमी
डूब के मर गया है
इस तरह वो
आपकी कंपनी में
एक जगह खाली कर गया है
ये मेरी डिग्रियां संभालें
बेरोजगार हूं
उसकी जगह मुझे लगा लें।’
ऑफिसर ने हंसते हुए कहा-
‘भाई, तुमने आने में
तनिक देर कर दी
ये जगह तो हमने
अभी दस मिनिट पहले ही
भर दी
और इस जगह पर हमने
उस आदमी को लगाया है
जो उसे धक्का देकर
तुमसे दस मिनिट पहले
यहां आया है।

Hasya Kavita By Surendra Sharma Free Download

एक दिन म्हारी घराड़ी बोल्ली –
ऐ जी, पड़ोसी की चौथी घराड़ी मरगी
ते शमशान घाट हो आओ
मैं बोल्यो – मैं को नी जाऊं
मैं ओके घरा तीन बार हो आयो
वो एक बार भी नहीं आयो…

हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा की कविता

सुरेंद्र शर्मा Ji नें अपनी पत्नी से कहा, ” संत महात्मा कह गये हैं……
ढोल, गंवार, शुद्र, पशु और नारी ये सब ताड़न के अधिकारी.
इन सभी को पीटना चाहिये!! “
इसका अर्थ समझती हो या समझायें?
पत्नी बोली
“हे स्वामी इसका मतलब तो बिलकुल साफ है
इसमें एक जगह मैं हूँ और चार जगह आप हैं.

सुरेंद्र शर्मा कवि सम्मेलन – सुरेंद्र शर्मा कॉमेडी

मैं जब शेर का शिकार कर घर पहुंचो
तो पत्नी से कही –
देख, शेर की खाल लाया हूं
पर आज तो गजब ही हो जातो
एक मौको एेसो आयो थो
कि शेर मने ही खा जातो
घराड़ी बोली –
ऐसो हो जातो तो मैं तो बरबाद ही हो जाती
थारी तो खाल भी काम नहीं आती।

Surendra Sharma Char Laina Lyrics

इंटरव्यू देने पहुंचा
हरियाणे का एक बेरोजगार
एक पोस्ट के लिए
आए थे अस्सी उम्मीदवार
किसे रखना है, यह बात तय थी,
इसलिए चयनकर्ताओं के सवालों में
न सुर, न ताल और न लय थी।
एक चयनकर्ता ने
हरियाणवी छोरे से पूछा-
बताओ
ताजमहल कहां है?
हरियाणवी छोरा बोला-
‘जी… रोहतक में’
‘बहुत अच्छा… बहुत अच्छा…
इतना भी नहीं जानता
नौकरी क्या खाक करेगा?’
‘आगरे में बता दूं
तो क्या रख लेगा?

Best Of Surendra Sharma

हर तरफ गोलमाल है साहब
आपका क्या खयाल है साहब
कल का भगुआ चुनाव जीता तो
आज भगवत दयाल है साहब
लोग मरते रहें तो अच्छा है
अपनी लकड़ी की टाल है साहब
आपसे भी अधिक फले फूले
देश की क्या मजाल है साहब
मुल्क मरता नहीं तो क्या करता
आपकी देखभाल है साहब
रिश्वतें खाके जी रहे हैं लोग
रोटियों का अकाल है साहब
इसको डेंगू, उसे चिकनगुनिया
घर मेरा अस्पताल है साहब
तो समझिए कि पात-पात हूं मैं
वो अगर डाल-डाल हैं साहब
गाल चांटे से लाल था अपना
लोग समझे गुलाल है साहब
मौत आई तो जिंदगी ने कहा-
‘आपका ट्रंक कॉल है साहब’

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