कृष्ण जन्माष्टमी 2020: जन्माष्टमी, भगवान कृष्ण का जन्मदिन जुलाई या अगस्त के महीने में भारत में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। श्री कृष्ण को भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली मानव अवतारों में से एक माना जाता है। उनका जन्म 5,200 साल पहले मथुरा में हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह धार्मिक त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी या भादो के महीने में अंधेरे पखवाड़े के 8 वें दिन मनाया जाता है।
Janmashtami Speech in Hindi
कृष्ण जन्माष्टमी कब की है: इस वर्ष कृष्णा जन्माष्टमी 24 अगस्त शनिवार को है|
जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा।
जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है :
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था, जो कि बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेवसहित काल-कोठारी में डाल दिया। कंस ने देवकी के कृष्ण से पहले के 7 बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा। श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।
तैयारियां :
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खासतौर पर सजाया जाता है। जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान है। जन्माष्टमी पर सभी 12 बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है।
दही-हांडी/मटकी फोड़ प्रतियोगिता :
जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल-गोविंदा भाग लेते हैं। छाछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल-गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं। जो विजेता टीम मटकी फोड़ने में सफल हो जाती है वह इनाम का हकदार होती है।
उपसंहार :
जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करना चाहिए। कोई भी भगवान हमें भूखा रहने के लिए नहीं कहता इसलिए अपनी श्रद्धा अनुसार व्रत करें। पूरे दिन व्रत में कुछ भी न खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए हमें श्रीकृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
Janmashtami Par Bhashan
कृष्णा जन्माष्टमी हिंदू धर्म के लोगों द्वारा हर साल मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान कृष्ण की जयंती या जन्म तिथि के रूप में मनाया जाता है भगवान कृष्ण हिंदू धर्म के भगवान हैं, जिन्होंने पृथ्वी पर एक मानव के रूप में जन्म लिया था ताकि वह मानव जीवन की रक्षा कर सकें और अपने भक्तों के दुख दूर कर सके। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे।
भगवान कृष्ण को गोविंद, बालगोपाल, कान्हा, गोपाल और लगभग 108 नामों से जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण को प्राचीन समय से हिंदू धर्म के लोगों द्वारा उनकी विभिन्न भूमिकाओं और शिक्षाओं (जैसे भगवद गीता) के लिए पूजा जाता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी (8 वें दिन) को कृष्ण पक्ष में श्रावण महीने के अंधेरी आधी रात में हुआ था। भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों के लिए इस धरती पर जन्म लिया और शिक्षक, संरक्षक, दार्शनिक, भगवान, प्रेमी, के रूप विभिन्न भूमिकाएं निभाईं। हिंदू लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और विभिन्न प्रकार के कृष्ण के रुपों की पूजा करते हैं।
उनके हाथों एक बांसुरी और सिर पर एक मोर का पंख रहता है। कृष्ण अपनी रासलीलाओं और अन्य गतिविधियों के लिए अपने मानव जन्म के दौरान बहुत प्रसिद्ध हैं। भारत के साथ-साथ कई एनी देशों में भी हर साल अगस्त या सितंबर के माह में बड़े उत्साह, तैयारी और खुशी के साथ जन्माष्टमी मनाते हैं। पूर्ण भक्ति, आनन्द और समर्पण के साथ लोग जन्माष्टमी (जिसे सटम आथम, गोकुलाष्टमी, श्री कृष्ण जयंती आदि कहते हैं) का जश्न मनाते हैं।
यह भद्रप्रद माह में आठवें दिन प्रतिवर्ष मनाया जाता है। लोग व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, और भगवान कृष्ण के भक्ति में भव्य उत्सव के लिए दहीहंडी, रास लीला और अन्य समाहरोह का आयोजन करते हैं। इस वर्ष भी सभी वर्षों की तरह पूरे भारत के साथ-साथ ही विदेशों में भी कृष्णा जन्माष्टमी (भगवान कृष्ण की जन्मगांठ) को लोग हर्ष और उल्लास के साथ मनाएंगे।
Janmashtami Speech in Gujarati
જન્માષ્ટમી કૃષ્ણના જન્મની ઉજવણીનો એક હિન્દુ તહેવાર છે. જન્માષ્ટમીને ભગવાન શ્રીકૃષ્ણના જન્મદિવસ તરીકે ઉજવવામાં આવે છે.
કૃષ્ણ જન્માષ્ટમીને શ્રી કૃષ્ણ જયંતી, ક્રિષ્નાશ્ટીમી, ગોકૌલાશત્મી અને કેટલીક વખત માત્ર જન્માષ્ટમી તરીકે ઓળખવામાં આવે છે. હિંદુઓએ તેમના પ્રિય ભગવાન શ્રી કૃષ્ણના જન્મદિવસની ઉજવણી માટે આ તહેવારનું નિરીક્ષણ કર્યું. ભગવાન કૃષ્ણનું જન્મ માનવજાત પર અમાનુષી અને ક્રૂરતાનો અંત છે. કૃષ્ણ સદ્ગુણોનું પ્રતીક છે. શ્રીકૃષ્ણ આ દિવસે મધ્યરાત્રિમાં થયો હતો. કૃષ્ણ જન્માષ્ટમી અષ્ટમિતિધિ, શ્રાવાના મહિનાના આઠમા દિવસ અથવા કૃષ્ણ પક્ષના આઠમી દિવસે જોવા મળે છે. તેમને ભગવાન વિષ્ણુના અવતાર માનવામાં આવે છે. આ દિવસે મહાન ઉત્સાહ અને ભક્તિ સાથે ઉજવવામાં આવે છે. ભગવાન કૃષ્ણ ભક્તો આખો દહાડો ઉપવાસ કરે છે, તેમની પૂજા કરે છે. શ્રી કૃષ્ણના મંદિરો સુંદર શણગારવામાં આવે છે. હજારો હિન્દુ પુરુષો અને સ્ત્રીઓ નવાં વસ્ત્રો પહેરે છે અને તેમના પ્યારું ભગવાનનો જન્મદિવસ ઉજવવા માટે આ મંદિરોમાં ભેગા થાય છે. પાદરી મંત્રના મંત્રી અને ભગવાન શ્રીકૃષ્ણની ઉપાસના કરે છે. કેટલાક મંદિરો હિન્દુ ધાર્મિક ગ્રંથ ભગવદ ગીતાના વાંચન પણ કરે છે. ભગવાન શ્રીકૃષ્ણના જીવનમાંથી ઘટનાઓને ફરીથી બનાવવા માટે ધાર્મિક નાટકો અથવા રાસ્લિલાસ કરવામાં આવે છે. જન્માષ્ટમી એક એવો તહેવાર છે જે ઉત્તર અને દક્ષિણ ભારતમાં સમાન રીતે ઉજવવામાં આવે છે. દેશના જુદા જુદા ભાગો તહેવારને અલગ રીતે ઉજવણી કરે છે.
મુંબઈ અને પૂણેમાં લોકપ્રિય રીતે જાણીતા જનમાષ્ટમી અથવા ગોકુલશત્મી, એક ઘટના તરીકે ઉજવવામાં આવે છે જેમાં એક માનવ પિરામિડ બનાવવામાં આવે છે અને છાશ (દહીં) સાથે ભરેલી માટીના વાસણ (હાથી) ભંગ કરે છે, જે અનુકૂળ ઊંચાઈથી બંધાયેલ છે.
ગુજરાતમાં દ્વારકાના નગર જે કૃષ્ણની પોતાની ભૂમિ સાધના માટે ઉજવણી કરનારા મુલાકાતીઓનો ચુકાદો ધરાવે છે. ઉત્તર પ્રદેશમાં આવેલા સ્થળો જેમ કે મથુરા, ગોકુલ અને વૃંદાવન જેવા કૃષ્ણના બાળપણ સાથે સંકળાયેલા છે, જે સમગ્ર ભારતમાં મુલાકાતીઓને આકર્ષે છે. તહેવાર ઉજવણીમાં ભાગ લેવો.
કૃષ્ણશ્ત્મતી એકતાના ખુબ આનંદ અને લાગણી લાવે છે. આ તહેવાર દેશભરમાં અને વિશ્વના અન્ય ભાગોમાં જ્યાં હિન્દુ સમાજ અસ્તિત્વમાં હોય ત્યાં ઉત્સાહ અને આનંદ સાથે ઉજવણી કરવામાં આવે છે.
Speech on Janmashtami in Hindi
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जन्माष्टमी का त्योहार सभी हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख त्योहार है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे- कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती, श्री जयंती इत्यादि। परंतु अधिकांश लोग इसे ‘जन्माष्टमी’ ही कहते हैं। हिन्दू इस त्योहार को भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण के जन्म के रूप में मनाते हैं।
कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे उनके मामा कंस के कारागार में हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार श्रावण (सावन) माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में पड़ती है। यह त्योहार कभी अगस्त और कभी सितम्बर में पड़ता है। कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले सप्तमी को लोग व्रत रखते हं और आधी रात को 12 बजे कृष्ण का जन्म हो जाने के बाद घंटे-घड़ियाल बजाकर श्री कृष्ण की आरती उतारते हैं। तत्पश्चात् सभी लोग अपने आस-पड़ोस और मित्र-रिश्तेदारों को ईश्वर का प्रसाद वितरण कर के खुशी प्रकट करत हैं। फिर वे स्वयं खाना खाते हं। इस प्रकार पूरे दिन व्रत रखकर यह त्योहार मनाया जाता है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन बच्चे अपने घरों के सामने हिंडोला सजाते हैं। वे हिंडोले (पालने) में छोटे से कृष्ण को सुला देते हैं। कंस का कारागार बना देते हैं। उसमें देवकी और वसुदेव को बिठा देते हैं कारागार के बाहर सिपाही तैनात कर देते हैं। इसी प्रकार उसके आसपास अन्य खिलौने रख देते हैं। इन्हें देखने के लिए आस-पास के बहुत लोग आते हैं। वहाँ मेला-सा लग जाता है। जहाँ स्थान अधिक होता है वहाँ झूले और खिलौने बेचने वाले भी आ जाते हैं। बच्चे वहाँ हिंडोला देखने के साथ-साथ झूला झूलते हैं और खिलौने वगैरह भी खरीदते हैं। विशेषकर जन्माष्टमी के दिन बच्चे बहुत उत्साहित होते हैं क्योंकि कई प्रकार के खिलौने खरीदकर उन्हें हिंजोला सजाना होता है। कई स्थान पर कृष्ण-लीला भी होती है। इसमें मथुरा का जन्मभूमि मंदिर और बांकेबिहारी का मंदिर मुख्य है।
कहा जाता है कि जब कृष्ण का जन्म हुआ था तब कारागार के सभी पहरेदार सो गए थे देवकी-वसुदेव की बेड़ियाँ स्वतः ही खुल गई थीं और कारागार के दरवाजे स्वतः ही खुल गये थे। फिर आकाशवाणी ने वसुदेव को बताया कि वे अभी कृष्ण को गोकुल पहँचा दें। तत्पश्चात् कृष्ण के पिता वसुदेव कृष्ण को सूप में सुलाकर वर्षा ऋतु में उफनती हुई नदी पार कर के गोकुल ले गए और नंद के यहाँ छोड़ आए। सभी लोग इसे कृष्ण का ही चमत्कार मानते हैं। वर्ना कंस ने तो कृष्ण के सात भाइयों को पैदा होते ही मार दिया था। फिर कृष्ण ने बचपन से युवावस्था तक कंस सहित अनेक राक्षसों का वध किया और अपने भक्तों का उद्धार किया। यही कारण है कि लोगउन्हें ईश्वर का अवतार मानकर उनकी पूजा-अर्चना एवं भक्ति कर तेहैं। इस प्रकार कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार आनंद ¸ सांप्रदायिक सद्भाव और अनेकता में एकता का त्योहार है।
Janmashtami Speech in English
Janmashtami is a Hindu festival celebrating the birth of Krishna. Janmashtami is celebrated as the birthday of Lord Sri Krishna.
Krishna Janmashtami is also known as Sri Krishna Jayanti, Krishnashtami, Gokulashtami and sometimes simply as Janmashtami. Hindus observed this festival to celebrate the birthday of their beloved God Sri Krishna. The birth of Lord Krishna marks the end of inhumanity and cruelty over mankind. Krishna is a symbol of righteousness. Sri Krishna was born at mid-night of this day. Krishna Janmashtami is observed on the Ashtamitithi, the eighth day of the dark half or Krishna Paksha of the month of Shraavana. He is considered as an avatar of the God Vishnu. The day is celebrated with great zeal and devotion. The Lord Krishna devotees observe fast for the entire day and night, worshipping him. Temples of Sri Krishna are beautifully decorated. Thousands of Hindu men and women wear new clothes and gather in these temples to celebrate the birthday of their beloved God. The priest chants mantras and worship Lord Sri Krishna. Some temples also conduct readings of the Hindu religious scripture Bhagavad Gita. Religious plays or Raslilas are performed to recreate events from the life of Lord Krishna. Janmashtami is one such festival that is celebrated equally in North and South India. Different parts of the country celebrate the festival differently.
Janmaashtami or Gokulashtami, popularly known in Mumbai and Pune as DahiHandi, is celebrated as an event which involves making a human pyramid and breaking an earthen pot (handi) filled with buttermilk (dahi), which is tied at a convenient height.
The town of Dwarka in Gujarat which is Krishna’s own land witnesses hordes of visitors gathering here for celebrations.Places in Uttar Pradesh that are associated with Krishna’s childhood, such as Mathura, Gokul and Vrindavan, attract visitors from all over India, who go there to participate in the festival celebrations.
Krishnashtami brings much joy and feeling of unity.The festival is celebrated with zeal and rejoicings all over the country and in various other parts of the world wherever there exist Hindu societies.
