महाराणा प्रताप जी एक महान वीर योद्धा थे जो की मुगलो के काल के राजा थे जिन्होंने मुग़ल सम्राट अकबर को हल्दीघाटी के युद्ध में करारी शिकस्त दी थी | उनका जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार विक्रम संवत १५९७ तदानुसार ९ मई १५४० को हुई तथा उनकी मृत्यु १९ जनवरी १५९७ में हुई थी | इसीलिए हर साल 9 मई के दिन ही महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है इसीलिए अगर आप महाराणा प्रताप जी के ऊपर कुछ बेहतरीन शायरियो के बारे में जानकारी पाना चाहते है तो इसके लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी पा सकते है |
महाराणा प्रताप जयंती हिंदी शायरी
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जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी।
फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥
हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे,दुश्मन को मै भी हराऊंगा।
मै हु तेरा एक अनुयायी,दुश्मन को मार भगाऊंगा॥
जो सुख मे अतिप्रसन्न और विपत्ति मे डर के झुक जाते है,
उन्हे ना सफलता मिलती है और न ही इतिहास मे जगह।
धन्य हुआ रे राजस्थान,जो जन्म लिया यहां प्रताप ने।
धन्य हुआ रे सारा मेवाड़, जहां कदम रखे थे प्रताप ने॥
Maharana Pratap Jayanti Shayari for WhatsApp
फीका पड़ा था तेज़ सुरज का, जब माथा उन्चा तु करता था।
फीकी हुई बिजली की चमक, जब-जब आंख खोली प्रताप ने॥
है धर्म हर हिन्दुस्तानी का,कि तेरे जैसा बनने का।
चलना है अब तो उसी मार्ग,जो मार्ग दिखाया प्रताप ने॥
चेतक पर चढ़ जिसने , भाला से दुश्मन संघारे थे…
मातृ भूमि के खातिर , जंगल में
कई साल गुजारे थे…
झुके नही वह मुगलोँ से,अनुबंधों को ठुकरा डाला…
मातृ भूमि की भक्ति का, नया प्रतिमान बना डाला…
हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था…
देख वीरता राजपूताने की , दुश्मन भी थर्राया था…
Maharana Pratap Ki Jayanti Par Shayari
बलिदान पर राणा के, भारत माँ ने, लाल देश का खोया था…
वीर पुरुष के देहावसान पर, अकबर भी फफक कर रोया था…
भारत माँ का वीर सपूत, हर हिदुस्तानी को प्यारा हे…
कुँअर प्रताप जी के चरणों में, सत सत नमन हमारा हे..
अपने कतर्व्य,और पुरे सृष्टि के कल्याण के लिए प्रयत्नरत मनुष्य को युग युगांतर तक स्मरण रखा जाता है।
अन्याय, अधर्म,आदि का विनाश करना पुरे मानव जाति का कतर्व्य है।
है धर्म हर हिन्दुस्तानी का,कि तेरे जैसा बनने का। चलना है अब तो उसी मार्ग,जो मार्ग दिखाया प्रताप ने॥
Maharana Pratap Latest Shayri
अत्यंत विकट परिस्तिथत मे भी झुक कर हार नही मानते। वो हार कर भी जीते होते है।
सम्मानहीन मनुष्य एक मृत व्यक्ति के समान होता है।
अपने अच्छे समय मे अपने कर्म से इतने विश्वास पात्र बना लो कि बुरा वक्त आने पर वो उसे भी अच्छा बना दे।
मनुष्य अपने कठीन परिश्रम और कष्टो से ही अपने नाम को अमर कर सकता है।
अपने और अपने परिवार के अलावा जो अपने राष्ट्र के बारे मे सोचे वही सच्चा नागरिक होता है।
Maharana Pratap Chetak Shayari
अपनी कीमती जीवन को सुख और आराम कि जिन्दगी बनाकर कर नष्ट करने से बढिया है कि अपने राष्ट्र कि सेवा करो।
समय इतना बलवान होता है, कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है।
जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी। फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥
अगर इरादा नेक और मजबूत है। तो मनुष्य कि पराजय नही विजय होती है।
मनुष्य का गौरव और आत्मसम्मान उसकी सबसे बङी कमाई होती है।अतः सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए।
Maharana Pratap Shayari with Images
गौरव,मान- मर्यादा और आत्मसम्मान से बढ कर कीमती जीवन भी नही समझना चाहिए।
अगर सर्प से प्रेम रखोगे तो भी वो अपने स्वभाव के अनुसार डसेगाँ ही।
कष्ट,विपत्ती और संकट ये जीवन को मजबूत और अनुभवी बनाते है। इनसे डरना नही बल्कि प्रसन्नता पूर्वक इनसे जुझना चाहिए।
हल्दीघाटी के युध्द ने मेरा सर्वस्व छीन लिया हो। पर मेरी गौरव और शान और बढा दिया।
नित्य, अपने लक्ष्य,परिश्रम,और आत्मशक्ति को याद करने पर सफलता का मार्ग सरल हो जाता है।
Famous Dialogue of Maharana Pratap
एक शासक का पहला कर्त्यव अपने राज्य का गौरव और सम्मान बचाने का होता है।
फीका पड़ा था तेज़ सुरज का, जब माथा उन्चा तु करता था। फीकी हुई बिजली की चमक, जब-जब आंख खोली प्रताप ने॥
हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे,दुश्मन को मै भी हराऊंगा। मै हु तेरा एक अनुयायी,दुश्मन को मार भगाऊंगा॥
सत्य,परिश्रम,और संतोष सुखमय जीवन के साधन है। परन्तु अन्याय के प्रतिकार के लिए हिंसा भी आवश्यक है।
अपनो से बङो के आगे झुक कर समस्त संसार को झुकाया जा सकता है।
महाराणा प्रताप जयंती शायरी इन हिंदी
जो सुख मे अतिप्रसन्न और विपत्ति मे डर के झुक जाते है, उन्हे ना सफलता मिलती है और न ही इतिहास मे जगह।
मातृभूमि और अपने माँ मे तुलना करना और अन्तर समझना निर्बल और मुर्खो का काम है।
हर मां कि ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा करे। देख के उसकी शक्ती को, हर दुशमन उससे डरा करे॥
ये संसार कर्मवीरो की ही सुनता है। अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो।
करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है। तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है॥
