Mahashivratri 2020: महाशिवरात्रि को बहुत भक्ति के साथ मनाया जाता है। यहां तीर्थयात्री त्योहार से एक महीने पहले अपनी तैयारी शुरू करते हैं। द्वीप के आसपास के विभिन्न समाजों के लोगों ने शिवरात्रि की तैयारियों के लिए बहुत समय बिताया। कभी-कभी पूरी रात सुंदर ढंग से सजाए गए कंवरों को तैयार करने में बिताया जाता है, जिसे वे अपनी यात्रा के दौरान ग्रैंड बेसिन में ले जाते हैं, जिसे a गंगा तालोआ ’के नाम से भी जाना जाता है। गंगा तलाओ बीच में एक छोटे से द्वीप के साथ एक गड्ढा झील है, जिसे पंडित गोसाईं नायपॉल 108 द्वारा खोजा गया था। बहुत साल पहले। इस वर्ष हम इसकी खोज की 108 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
महाशिवरात्रि पर हिन्दी निबंध
महाशिवरात्रि कब है: इस वर्ष महा शिवरात्रि 21 फरवरी को है||
हमारा देश भारत त्योहारों का देश है | यहाँ होली, दिवाली, दशहरा, पोंगल, महाशिवरात्रि, क्रिसमस, ईद इत्यादि अनेक त्योहार मनाए जाते हैं | हम लोग यह सारे त्योहार धूमधाम से मनाते हैं | जैसा कि आप जानते हैं इस वर्ष 24 फरवरी को महाशिवरात्रि पड़ रही है | हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से यह त्योहार प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को अर्थात अमावस्या से एक दिन पहले वाली रात को मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर रूद्र के रूप में प्रजापिता ब्रह्मा के शरीर से प्रकट हुए थे और इसी महाशिवरात्रि ( Essay on Mahashivratri in Hindi ) को भगवान शिव तांडव नृत्य करते हुए इस सृष्टि को अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से भष्म कर देंगे | कई स्थानों पर यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह हुआ था | इन सब कारणों से महाशिवरात्रि की रात हिंदू धर्मग्रंथों में अतिमहत्त्वपूर्ण है |
महाशिवरात्रि के दिन सुबह से ही शिवमंदिर में कतारें लग जाती हैं | लोग जल से तथा दूध से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं | जहाँ तक हो सके लोग गंगाजल से शिवलिंग को स्नान कराते हैं | कुछ लोग दूध, दही, घी, शहद और शक्कर के मिश्रण से भी स्नान कराते हैं | फिर उन पर चंदन लगाकर उन्हें फूल, बेल के पत्ते अर्पित किये जाते हैं | धूप और दीप से भगवान शिव का पूजन किया जाता है | भगवान शिव को बेल के पत्ते अतिप्रिय है | इसलिए लोग उन्हें बेलपत्र अर्पण करते हैं | महाशिवरात्रि ( Essay on Mahashivratri in Hindi ) को रात्री जागरण का भी विधान है | लोग शिवमंदिरों में अथवा घरों में पूरी-पूरी रात जागकर भगवान शिव की आराधना करते हैं | कई लोग इस दिन शरीर और मन को पवित्र करने के लिए उपवास भी रखते हैं | कुछ लोग निर्जल रहकर भी उपवास करते हैं | कई जगह भगवान शिव की बारात भी निकाली जाती है |
महाशिवरात्रि से संबंधित कई पौराणिक कथाएँ भी हैं जो बहुत प्रेरणादाई हैं | ऐसी ही एक कथा में चित्रभानु नामक एक शिकारी का उल्लेख मिलता है | चित्रभानु को महाशिवरात्रि के व्रत का कोई ज्ञान नहीं था | वह जंगल के जानवरों को मारकर अपना जीवन यापन करता था | एक बार महाशिवरात्रि के दिन अनजाने में उसे शिवकथा सुनने मिली | शिवकथा सुनने के बाद वह शिकार की खोज में जंगल गया | वहाँ शिकार का इंतज़ार करते-करते वह अनजाने में बेल के पत्ते तोड़कर घास के ढेर के नीचे ढँके हुए शिवलिंग पर फेंकता जाता | उसके इस कर्म से प्रसन्न होकर भगवान शिव उसका ह्रदय निर्मल बना देते हैं | उसके मन से हिंसा के विचार नष्ट जाते हैं | वह जंगल शिकार करने गया था किंतु एक के बाद एक ४ हिरणों को जीवनदान देता है | उस दिन के बाद से चित्रभानु शिकारी का जीवन छोड़ देता है |
इस कहानी से हमें भगवान शिव की दयालुता का परिचय मिलता है | वे अनजाने में की हुई पूजा का भी फल प्रदान करते हैं | एक हिंसक शिकारी का ह्रदय करुणामय बना देते हैं | इस तरह महाशिवरात्रि ( Essay on Mahashivratri in Hindi ) का त्योहार प्राणिमात्र के प्रति दया और करुणा का संदेश भी देता है | धार्मिक ग्रंथों में ऐसा विधान है कि भगवान शिव की पूजा करने से सारे सांसारिक मनोरथ पूरे हो जाते हैं | नीति-नियम से न हो सके तो साधारण तरीके से पूजा करने पर या सिर्फ उन्हें स्मरण कर लेने पर भी भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं |
हमारे देश का हर त्योहार हमें इकट्ठा होनें, खुशियाँ बाँटने, और समाज के हित में कुछ करने का मौका देता है | हमें चाहिए कि महाशिवरात्रि के दिन भी हम समाज के हित के लिए अपनी क्षमता के अनुसार कुछ न कुछ अवश्य करे | कई संस्थाएँ इस दिन रक्तदान शिविर का आयोजन करती हैं | तो कई दूसरी संस्थाएँ मुफ्त में भोजन वितरण का प्रबंध करती हैं | कई लोग गरीबों को दान देते हैं | परहित में किये गए यह सारे कर्म, हमें भगवान के ज्यादा करीब ले जाते हैं | हमें भी भगवान शिव से प्रार्थना करनी चाहिए जिस तरह उन्होंने शिकारी चित्रभानु के ह्रदय को निर्मल और पवित्र किया, हमारे ह्रदय को भी उसी तरह निर्मल और पवित्र करे |
Mahashivratri essay in marathi
महाशिवरात्री हा हिंदूंचा धार्मिक सण आहे, जो हिंदू धर्माचा प्रमुख देवता शिव यांच्या जयंती म्हणून साजरा केला जातो. कृष्ण पक्षाच्या चतुर्दशी फाल्गुन महिन्यामध्ये महाशिवरात्रि उत्सव साजरा केला जातो. या दिवशी शिव भक्त आणि शिव भक्त उपवास करतात आणि विशेषतः भगवान शिव यांची पूजा करतात.
भगवान शिवशी संबंधित काही मान्यता महा शिवरात्रीवर प्रचलित आहे. असा विश्वास आहे की भगवान राम या विशेष दिवशी भगवान ब्रह्माच्या रुद्र स्वरूपात जन्माला आले होते. त्याच वेळी, असेही मानले जाते की, या दिवशी भगवान शिव यांनी तिसरा डोळा तंदवाद्वारे उघडला आणि या डोळ्याच्या ज्वालांनी विश्वाचा अंत केला. याशिवाय, बर्याच ठिकाणी आजही भगवान शिव यांच्या विवाहाशी जोडलेले आहे आणि असे मानले जाते की हा पवित्र दिवस भगवान शिव आणि माता पार्वती यांचा विवाह होता.
प्रत्येक महिन्यात एक Shivaratri आहे तरी, पण फाल्गुन महिन्याच्या कृष्ण चौदाव्या आगामी Shivaratri अंत महत्व आहे, म्हणून ती महा Shivaratri म्हणतात. खरेतर, महाशिवरात्री भगवान भोलानाथचा सण आहे, जेव्हा भक्त महादेवच्या नियमाने पूजा करतात आणि त्यांच्याकडून आशीर्वाद प्राप्त करतात. या दिवशी शिव मंदिरामध्ये वाढणार्या भक्त मोठ्या संख्येने आहेत, जे भगवान शिव यांच्या पूजेने भाग्यवान मानतात.
Mahashivratri essay in gujarati
મહાશિવરાત્રિ હિન્દુઓનો ધાર્મિક તહેવાર છે, જે હિન્દુ ધર્મના મુખ્ય દેવ, ભગવાન શિવની જન્મજયંતિ તરીકે ઉજવાય છે. મહાશિવરાત્રી falgun તહેવાર માસ ઘટતો ચૌદમાં પર ઉજવવામાં આવે છે. આ દિવસે વિશ્વાસ રાખવો Shivbkt અને શિવ લોકો ઝડપી ફાસ્ટ અને ખાસ કરીને ભગવાન શિવની ભક્તિ છે.
Mahashivarathri કેટલાક ભગવાન શિવ માન્યતાઓ સાથે જોડાયેલ પ્રચલિત છે. એવું માનવામાં આવે છે કે ભગવાન રામ આ ખાસ દિવસે ભગવાન બ્રહ્માના રુદ્ર સ્વરૂપમાં જન્મ્યા હતા. પરંતુ તે પણ ખબર પડી કે આ દિવસે ભગવાન શિવ ખોલી તેની ત્રીજી આંખ બિહામણું હતી અને બ્રહ્માંડ આંખ જ્યોત પૂરું કર્યું. પણ ઘણી જગ્યાએ આ દિવસે પણ ભગવાન શિવનું લગ્ન સાથે સંલગ્ન છે અને એવું માનવામાં આવે છે કે આ પવિત્ર દિવસે ભગવાન શિવ અને પાર્વતી લગ્ન હતી.
જોકે દર મહિને એક Shivaratri છે, પરંતુ Shivaratri માટે અત્યંત મહત્વ falgun મહિનાના કૃષ્ણ ચૌદમો આગામી છે, તેથી તેને મહાશિવરાત્રી કહેવામાં આવે છે. Dharmpremi લોકો શિવની કર્મકાંડ સાથે પૂજા જ્યારે પૂજા Bholenath હકીકત Mahashivarathri ઈશ્વરના ફિસ્ટ અને તેમને આશીર્વાદ આપ્યા. આ દિવસે શિવા મંદિરોમાં વધતા ભક્તો મોટી સંખ્યામાં છે, જેઓ ભગવાન શિવની પૂજા કરીને પોતાને નસીબદાર માને છે.
Mahashivratri essay in hindi
महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक धार्मिक त्योहार है, जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता महादेव अर्थात शिव जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन शिवभक्त एवं शिव में श्रद्धा रखने वाले लोग व्रत-उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं।
महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन ही ब्रम्हा के रूद्र रूप में मध्यरात्रि को भगवान शंकर का अवतरण हुआ था। वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपना तीसरा नेत्र खोला था और ब्रम्हांड को इस नेत्र की ज्वाला से समाप्त किया था। इसके अलावा कई स्थानों पर इस दिन को भगवान शिव के विवाह से भी जोड़ा जाता है और यह माना जाता है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।
वैसे तो प्रत्येक माह में एक शिवरात्रि होती है, परंतु फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली इस शिवरात्रि का अत्यंत महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। वास्तव में महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानती है।
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Mahashivratri is a religious festival of Hindus, which is celebrated as the birth anniversary of Lord Shiva, chief god of Hindu religion. The festival of Mahashivaratri is celebrated in the month of Phalgun, the Chaturdashi of Krishna Paksha. On this day, devotees of Shiva Bhakta and Shiva keep fast fasting and especially worship Lord Shiva.
Some beliefs associated with Lord Shiva are prevalent on Maha Shivratri. It is believed that Lord Rama was born on this special day in the Rudra form of Lord Brahma. At the same time, it is also believed that on this day, Lord Shiva had opened his third eye by tandava and ended the universe with the flames of this eye. Apart from this, in many places this day is also linked to Lord Shiva’s marriage and it is believed that this holy day was the marriage of Lord Shiva and mother Parvati.
In any case, there is a Shivratri in every month, but this Shivaratri coming to Krishna Chaturdashi of Phalgun month is of utmost importance, hence it is called Mahashivaratri. In reality, Mahashivratri is the festival of Lord BholaNath, when the devotees perform Pooja with Mahadev’s law and receive blessings from them. On this day there is a large crowd of devotees growing in Shiva temples, who consider themselves fortunate by worshiping Lord Shiva.
