भगवान महावीर जैन धर्म के भगवान है उन्हें जैन धर्म का चौबीसवा तथा आखिरी तीर्थकार माना जाता है उनका जन्म 540 ईंसवी में बिहार में हुआ था वह एक प्रेरणादायक व अहिंसा के व्यक्तित्व थे | उनके द्वारा बताये गए उपदेश आज भी हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है इसीलिए हम आपको भगवान स्वामी द्वारा बताये गए कुछ अनमोल विचारो के बारे में बताते है जो की आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है जिन्हे आप जान सकते है व अपने दोस्तों के साथ शेयर भी कर सकते है |
महावीर स्वामी के विचार
हर जीवित प्राणी ईश्वर निर्मित है इनके प्रति दयाभाव ही सच्ची अहिंसा है क्यूकी घृणा से केवल मनुष्य का विनाश हो सकता है और किसी भी प्राणी का सम्मान उसके प्रति अहिंसा का भाव ही है
क्रोध हमेशा अधिक क्रोध को जन्म देता है और क्षमा और प्रेम हमेशा अधिक क्षमा और प्रेम को जन्म देते हैं
सभी जीवों के प्रति सम्मान रखना अहिंसा है
सत्य ही दुनिया का सबसे सच है किसी भी इन्सान को किसी भी परिस्थति में भी सत्य का साथ नही छोड़ना चाहिए और एक बेहतर इन्सान तभी बन सकते है जब हर स्थिति में सत्य का साथ दे
भगवान महावीर के विचार
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पर्यावरण का महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि एक आप ही इसके अकेले तत्व नहीं हो
जो व्यक्ति खुद पर विजय पा लेता है फिर उसे किसी भी विजय या पराजय की कामना नही रह जाती है इसलिए लाख शत्रु से अच्छा खुद पर विजय पाना चाहिए
मनुष्य के सबसे बड़े दुश्मन खुद के भीतर होते है जो क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत के रूप में रहते है इसलिए जो मनुष्य खुद के इन दुर्गुणों पर विजयी पा लेता है फिर उसे बाहरी दुश्मनों से लड़ने की आवश्कयता नही पड़ती है
आत्मा अकेली आती है और अकेली जाती है उसका न कोई साथ देता है और न ही मित्र बनता है
Mahavir Swami Bhagwan Quotes
किसी के अस्तित्व मिटाने की अपेक्षा उसे शांति से जीने दो और खुद भी शांति से जियो तभी आपका कल्याण संभव है
स्वयं पर विजय प्राप्त करना लाखों दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने से बेहतर है
दुसरो की वस्तुओ को चुराना या किसी के वस्तु को पाने की कामना भी पाप है अर्थात हमे जो ईश्वर ने दिया है उसी में खुश रहना चाहिए
स्वयं पर विजय प्राप्त करना लाखों दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने से बेहतर है
भगवान महावीर के सिद्धांत
किसी आत्मा की सबसे बड़ी भूल खुद के असली रूप को नहीं पहचानना है और यह ज्ञान से ही प्राप्त हो सकती है
लगाव और घृणा कर्म का मूल कारण हैं, और कर्म मोह से निकलती है. कर्म जन्म और मृत्यु का मूल कारण है, और इन्हें दुख का स्रोत कहा जाता है. कोई भी अपने अतीत के कर्म – प्रभाव से बच नहीं सकता
शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है
भोजन आत्म-नियंत्रण के लिए सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न करता है; यह आलस को जन्म देता है
Mahavir Quotes Jainism – जैन धर्म की शिक्षाएं
एक आदमी जलते हुए जंगल में एक ऊँचे पेड़ पर बैठा था. वह सभी जीवीत प्राणियों को मरते हुए देख रहा था, लेकिन वह यह नही समझ पाया की जल्द ही उसकी भी वही दशा होने वाली है. मुर्ख है ऐसे आदमी
प्रत्येक जीव आजाद है और कोई किसी पर निर्भर नहीं करता
जियो और दूसरों को भी जीने दो; किसी को दुःख मत दो, सभी प्राणियों का जीवन उनके लिए प्रिय ही होता है
जो व्यक्ति खुद पर नियन्त्रण रख पाता है वह कभी भी हिसंक नही हो सकता है अर्थात खुद पर नियन्त्रण रखना ही अहिंसा के मार्ग पर चलना है
भगवान महावीर के संदेश
इस नश्वर रूपी संसार में आत्मा सदैव अकेली ही आती है और अकेले ही इस दुनिया को छोड़ जाती है आत्मा का कोई भी साथ नही देता है और न ही कोई उसका मित्र होता है
अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है जो सबके कल्याण की कामना करता है
किसी का भला करके उस भलाई को भूल जाना ही सबसे बड़ी उपलब्धि है जो लोग आपका बुरा करे उसे भूल जाना ही बुद्दिमानी है
हर जीवित व्यक्ति के प्रति दया भाव रखो,घृणा करने से तो सर्वनाश होता है
महावीर स्वामी के अनमोल विचार
ईमानदारी से, एक व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और भाषाई स्पष्टवादिता और सामंजस्यपूर्ण प्रवृत्ति प्राप्त कर सकता है, यानी कथनी और करनी में अनुरूपता
मनुष्य के दुखी होने की वजह खुद की गलतिया ही है जो मनुष्य अपनी गलतियों पर काबू पा सकता है वही मनुष्य सच्चे सुख की प्राप्ति भी कर सकता है
कठिन परिस्थितयो में घबराना नहीं चाहिए बल्कि धैर्य रखना चाहिए
आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है . असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं , वो शत्रु हैं क्रोध , घमंड , लालच ,आसक्ति और नफरत
भगवान महावीर के अनमोल वचन
जीओ और जीने दो,किसी को दुःख मत दो क्योंकि सभी का जीवन उनके लिए प्रिय होता है
एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊँचे वृक्ष पर बैठा है वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है लेकिन वह यह नहीं समझता की जल्द ही उसका भी यही हस्र होने वाला है . वह आदमी मूर्ख है
आपका इस दुनिया में कोई शत्रु नहीं है बल्कि असली शत्रु तो आपके भीतर मौजूद हैं और वे हैं- क्रोध,अहंकार,लोभ और घृणा
सबसे बड़ा धर्म अहिंसा है
भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है.कोई भी सही दिशा में अपना श्रेष्ठ प्रयास करके देव तत्व को प्राप्त कर सकता है
