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Munshi Premchand Quotes in Hindi – मुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार, वचन व कथन

Munshi Premchand Quotes in Hindi

मुंशी प्रेमचंद जी जी हिंदी जगत में जिनका नाम सबसे ऊपर आता है यह उपन्यास के महान प्रकांड पंडित थे इनका जन्म ३१ जुलाई १८८० में लमही नामक ग्राम में वाराणसी में व मृत्यु ८ अक्टूबर, १९३६ में वाराणसी में हुई थी | इन्होने अपने जीवन की रचनाये लिखना प्रारम्भ एक अध्यापक के पद पर किया था तब से लकर इन्होने अब तक कई महत्वपूर्ण रचनाये लिखी है | यह एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे जिसके लिए उनके द्वारा कहे गए विचार आज भी हमारे लिए काफी प्रेरणादायक सिद्ध होते है अगर आप इनके द्वारा बताये गए कोट्स व विचारो के बारे में जानना चाहे तो हमारी इस पोस्ट के माध्यम से जान सकते है |

Munshi Premchand Ke Vichar in Hindi

जिस साहित्य से हमारी सुरुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हममें गति और शक्ति न पैदा हो, हमारा सौंदर्य प्रेम न जागृत हो, जो हममें संकल्प और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने की सच्ची दृढ़ता न उत्पन्न करे, वह हमारे लिए बेकार है वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं है।

ऐश की भूख रोटियों से कभी नहीं मिटती| उसके लिए दुनिया के एक से एक उम्दा पदार्थ चाहिए

दौलत से आदमी को जो सम्‍मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्‍मान है

सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं

अच्‍छे कामों की सिद्धि में बड़ी देर लगती है, पर बुरे कामों की सिद्धि में यह बात नहीं

Munshi Premchand Quotes Love

न्याय और नीति लक्ष्मी के खिलौने हैं, वह जैसे चाहती है नचाती है

मनुष्य कितना ही हृदयहीन हो, उसके ह्रदय के किसी न किसी कोने में पराग की भांति रस छिपा रहता है| जिस तरह पत्थर में आग छिपी रहती है, उसी तरह मनुष्य के ह्रदय में भी ~ चाहे वह कितना ही क्रूर क्यों न हो, उत्कृष्ट और कोमल भाव छिपे रहते हैं

विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है

दुखियारों को हमदर्दी के आँसू भी कम प्यारे नहीं होते

जो प्रेम असहिष्णु हो, जो दूसरों के मनोभावों का तनिक भी विचार न करे, जो मिथ्या कलंक आरोपण करने में संकोच न करे, वह उन्माद है, प्रेम नहीं

मुंशी प्रेमचंद कोट्स

आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है

सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं

संसार के सारे नाते स्‍नेह के नाते हैं, जहां स्‍नेह नहीं वहां कुछ नहीं है

नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है

मासिक वेतन पूरनमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते घटते लुप्त हो जाता है

Munshi Premchand Quotes Love

Munshi Premchand Quotes Education in Hindi

मनुष्य बिगड़ता है या तो परिस्थितियों से अथवा पूर्व संस्कारों से| परिस्थितियों से गिरने वाला मनुष्य उन परिस्थितियों का त्याग करने से ही बच सकता है

कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुआब दिखाने से नहीं

मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है

चोर केवल दंड से ही नहीं बचना चाहता, वह अपमान से भी बचना चाहता है| वह दंड से उतना नहीं डरता जितना कि अपमान से

जीवन की दुर्घटनाओं में अक्‍सर बड़े महत्‍व के नैतिक पहलू छिपे हुए होते हैं

Munshi Premchand ke Quotes

जीवन को सफल बनाने के लिए शिक्षा की जरुरत है, डिग्री की नहीं| हमारी डिग्री है ~ हमारा सेवा भाव, हमारी नम्रता, हमारे जीवन की सरलता| अगर यह डिग्री नहीं मिली, अगर हमारी आत्मा जागृत नहीं हुई तो कागज की डिग्री व्यर्थ है

जिस बंदे को पेट भर रोटी नहीं मिलती, उसके लिए मर्यादा और इज्‍जत ढोंग है

चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुँचा सकता जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझ कर पी न जाएँ

आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपने घर की याद आती है

दुनिया में विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई भी विद्यालय आज तक नहीं खुला है

मुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार, वचन व कथन

मुंशी प्रेमचंद के अनमोल वचन

साक्षरता अच्छी चीज है और उससे जीवन की कुछ समस्याएं हल हो जाती है, लेकिन यह समझना कि किसान निरा मुर्ख है, उसके साथ अन्याय करना है

मै एक मज़दूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं

कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सद्व्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुबाब दिखाने से नहीं

कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है

जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं

Munshi Premchand Famous Quotes

दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है

अतीत चाहे जैसा हो, उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं

अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है

युवावस्था आवेशमय होती है, वह क्रोध से आग हो जाती है तो करुणा से पानी भी

हम जिनके लिए त्याग करते हैं, उनसे किसी बदले की आशा ना रखकर भी उनके मन पर शासन करना चाहते हैं| चाहे वह शासन उन्हीं के हित के लिए हो| त्याग की मात्रा जितनी ज्यादा होती है, यह शासन भावना उतनी ही प्रबल होती है

Munshi Premchand Quotes Thoughts In Hindi

देश का उद्धार विलासियों द्वारा नहीं हो सकता। उसके लिए सच्चा त्यागी होना आवश्यक है

दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते

कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता | कर्तव्य~पालन में ही चित्त की शांति है

क्रोध अत्यंत कठोर होता है| वह देखना चाहता है कि मेरा एक~एक वाक्य निशाने पर बैठा है या नहीं| वह मौन को सहन नहीं कर सकता| ऐसा कोई घातक शस्त्र नहीं है जो उसकी शस्त्रशाला में न हो, पर मौन वह मन्त्र है जिसके आगे उसकी सारी शक्ति विफल हो जाती है

नमस्‍कार करने वाला व्‍यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है

Munshi Premchand Ke Vichar in Hindi

Thoughts of Munshi Premchand in Hindi Quotes

अपनी भूल अपने ही हाथों से सुधर जाए तो यह उससे कहीं अच्छा है कि कोई दूसरा उसे सुधारे

केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है

किसी किश्ती पर अगर फर्ज का मल्लाह न हो तो फिर उसके लिए दरिया में डूब जाने के सिवाय और कोई चारा नहीं

बल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद कोई नहीं सुनता

जिस प्रकार नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है उसी प्रकार बुद्धिहीन के लिए विद्या बेकार है

Inspiring Quotes From The Book Of Munshi Premchand

क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है

मनुष्य का उद्धार पुत्र से नहीं, अपने कर्मों से होता है| यश और कीर्ति भी कर्मों से प्राप्त होती है| संतान वह सबसे कठिन परीक्षा है, जो ईश्वर ने मनुष्य को परखने के लिए दी है| बड़ी~बड़ी आत्माएं, जो सभी परीक्षाओं में सफल हो जाती हैं, यहाँ ठोकर खाकर गिर पड़ती हैं

खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है, आगे बढ़ते रहने की लगन का।

महान व्यक्ति महत्वाकांक्षा के प्रेम से बहुत अधिक आकर्षित होते हैं

नीतिज्ञ के लिए अपना लक्ष्य ही सब कुछ है| आत्मा का उसके सामने कुछ मूल्य नहीं| गौरव सम्पन्न प्राणियों के लिए चरित्र बल ही सर्वप्रधान है

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