विजयदशमी 2019: दशहरा का त्यौहार (जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है) हर साल पूरे देश में हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह हिंदू लोगों द्वारा राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की जीत की खुशी में मनाया जाता है। यह हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में दिवाली त्योहार के बीस दिन पहले पड़ता है। दशहरा का त्योहार बुरी शक्ति पर सत्य की जीत का संकेत देता है। प्राचीन समय में, राजकुमार राम को 14 साल के लिए अयोध्या के जंगल में निर्वासित किया गया था। अपने निर्वासन के अंतिम वर्ष के दौरान, रावण ने अपनी पत्नी, सीता का अपहरण कर लिया। जिस दिन भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की, प्राचीन काल से लोगों द्वारा दशहरा उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।
विजयदशमी पर कविता
आ गया पावन दशहरा
फिर हमे सन्देश देने
आ गया पावन दशहरा।
तुम संकटों का हो घनेरा
हो न आकुल मन ये तेरा
संकटो के तम छटेंगे
होगा फिर सुन्दर सवेरा
धैर्य का तू ले सहारा।
द्वेष कितना भी हो गहरा
हो न कलुषित मन ये तेरा
फिर ये टूटे दिल मिलेंगे
होगा जब प्रेमी चितेरा
बन शमी का पात प्यारा।
सत्य हो कितना प्रताड़ित
पर न हो सकता पराजित
रूप उसका और निखरे
जानता है विश्व सारा
बन विजय “स्वर्णिम सितारा”
Poems on dussehra in english language
Today is the day when we burn all our sins,
And promise to begin all over again,
Flames come and take all the darkness away,
Light shines and makes it own way,
Because this is the festival where truth wins,We make our way towards a bright future
And with our heads high and up chins,
Take a vow to do all this together,
As we burn the ravana inside us
Which is kept like a false heather!
Happy dusherra!
Dussehra poem in marathi
परम – प्राइड – गरिमा – ठेव,
सार्वजनिक अभिनंदन, सूक्ष्म पात्र;
फायदेशीर, लीला-बेस,
पवित्रमल्टी-मल्टी-मल्टी-मल्टी-म्युझिकल-रिसॉर्ट,
सुधायम-सरस राग-हाऊसिंग;
कुट – विरूपण – कला,
वैविध्यपूर्ण विलासितापूर्ण विलासिताजात-जीवन- अलाअल-आलोक,
किर्ती-विटापावली-अप गार्डन;
निवडण्यायोग्य – Charit-Peacock-Poyod,
भावनात्मकतामनुज-कुल-मूर्तिमन-उत्साह,
भारत-भौगोलिक उत्सव- सिरमौर;
मंजूव-उत्सव – गट-सर्व,
भावनिक पोटपंकित लशित अमारा,
मंजू आधा अर्भा रस-धाम;
सजावटीचा चेहरा अमित विनोद,
प्रा. आलोकित लोकलमशरद कमणी कलाधर कंट,
वेचकिक सरशीरू-सम रिवाकस;
हे कोरियोग्राफ न्यु-ताल कोण आहे,
सुपरहमान विजय-विभूती-निवास
Acrostic poem about dussehra
दशहरा का तात्पर्य, सदा सत्य की जीत।
गढ़ टूटेगा झूठ का, करें सत्य से प्रीत॥सच्चाई की राह पर, लाख बिछे हों शूल।
बिना रुके चलते रहें, शूल बनेंगे फूल॥क्रोध, कपट, कटुता, कलह, चुगली अत्याचार
दगा, द्वेष, अन्याय, छल, रावण का परिवार॥
राम चिरंतन चेतना, राम सनातन सत्य।
रावण वैर-विकार है, रावण है दुष्कृत्य॥वर्तमान का दशानन, यानी भ्रष्टाचार।
दशहरा पर करें, हम इसका संहार॥
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तेजमान हो जाय तेजहत पल-पल पाकर तेज अपार;
अंधीभूत अवनि पर होवे ज्योति-पुंज का प्रबल प्रसार।
महिमा-हीन बने महिमामय, मिले लोक का विभव महान;
होकर सबल अबल बन जाये प्रबल प्रभंजन-तनय-समान।
मिले लोक-बल जन कर पावे पार परम-दुख-पारावार;
रोके पंथ चूर हो जावे पर्वत सहकर प्रबल प्रहार।
सेतु आपदा-सरि का होवे कल कौशल घन पटल समीर;
बने बीर रिपु वन दावानल कूटनीति पावकता नीर।
हो न सभीत पुरंदर-पवि से, कंपित कर पावे न पिनाक;
विचलित हो न समर में कोई महाकाल की भी सुन हाँक।
जीवनमय जनता-जीवन हो, कर्म योगमय हो सब योग;
किसी पियूष-पाणि से होवे दूर जाति-जर्जर-तन-रोग।
सब के उर में भाव जगे वह, जो हो कार्य-सिध्दि का यंत्र;
हो स्वतंत्रताओं का साधान, सधे साधाने से जो मंत्र।
भरत-सुअन-उर में भर जाये अभयंकरी अतुल अनुभूति;
भूतिमान भारत बन जाये ले विजया से विजय-विभूति।
दशहरे पर कविता
है सुतिथि सिर धारी विजय दशमी।
है विजय सहचरी विजय दशमी।1।
कान्त कल कंठता दिखाती है।
है कलित किन्नरी विजय दशमी।2।
सामने ला कला बहुत सुन्दर।
है बनी सुन्दरी विजय दशमी।3।
पूत जातीय भाव पादप की।
है विकच बल्लरी विजय दशमी।4।
एक अवतार प्रीति पूता हो।
है धरा अवतरी विजय दशमी।5।
मंजु जातीयमान हिम कर की।
है शरद शर्वरी विजय दशमी।6।
दूर कर बहु अभाव भारत का।
भाव में है भरी विजय दशमी।7।
पा जिसे दुख उदधि उतर पाये।
है रुचिर वह तरी विजय दशमी।8।
जो असुर-भाव में भरे से हैं।
है उन्हें सुरसरी विजय दशमी।9।
जाति हित में शिथिल हुए जन की।
है शिथिलता हरी विजय दशमी।10।
बहु पतन शील प्राणियों की भी।
है परम हितकरी विजय दशमी।11।
